आजकल हर कोई व्यक्ति किसी न किसी काम के लिए कर्ज लेता है. कई वजहों से लोग समय पर कर्ज नहीं चुका पाते हैं. निजी कंपनी में काम करने वाले राजेश सिंह ने दो साल के लिए पर्सनल लोन लिया. नियमित रूप से ईएमआई चुका रहे थे. छह महीने पहले नौकरी चली गई. किस्त न चुकाने पर लोन रिकवरी एजेंट ने उन्हें धमकाना शुरू कर दिया. पिछले दिनों ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें रिकवरी एजेंट के उत्पीड़न से तंग आगर पीड़ितों ने आत्महत्या तक कर ली. अगर रिकवरी एजेंट परेशान कर रहा है तो आपके पास क्या कानूनी विकल्प हैं, इनके बारे में जान लेना जरूरी है.
क्या हैं आरबीआई के नियम?
बैंकिंग रेगुलेटर रिजर्व बैंक के मुताबिक लोन रिकवरी एजेंट कर्ज की वसूली के लिए धमकी या उत्पीड़न का सहारा नहीं ले सकते. कोई भी एजेंट सुबह आठ बजे से पहले और शाम सात बजे के बाद वसूली के लिए फोन नहीं कर सकता. कर्ज लेने वाले व्यक्ति को बार-बार या देर-सवेर फोन करना भी परेशान करना है. लोन रिकवरी के लिए बाहुबल का इस्तेमाल करना या इस्तेमाल करने की धमकी देना उत्पीड़न के दायरे में आता है. यही नहीं, लोन लेने वाले शख्स के घर या वर्कप्लेस पर बिना बताए जाकर रिश्तेदारों, दोस्तों या साथी कर्मचारियों को धमकाना और परेशान करना भी उत्पीड़न (Harassment) माना जाएगा. धमकी या अभद्र भाषा का इस्तेमाल भी इसे दायरे में आता है. ये गाइडलाइन आरबीआई के अधीन आने वाले सभी तरह के बैंक फाइनेंस कंपनियों पर लागू होते हैं.
रिकवरी एजेंटों से कैसे निपटें?
पूर्व बैंकर सुरेश बंसल कहते हैं कि अगर लोन रिकवरी एजेंट परेशान करता है तो आपको सबसे पहले बैंक से इसकी शिकायत करनी चाहिए. साथ ही अपनी परिस्थितियों के बारे में बैंक को बताकर लोन रिपेमेंट की शर्तों पर काम करना चाहिए. बैंक से शिकायत का निवारण 30 दिन में नहीं होता है तो बैंकिंग ओंबड्समैन से शिकायत की जा सकती है. रिजर्व बैंक को भी शिकायत की जा सकती है. आरबीआई बैंक को निर्देश दे सकता है और स्पेशल केस में जुर्माना भी लगा सकता है.
पुलिस और कोर्ट में जाने का विकल्प?
अगर रिकवरी एजेंट कोई गैर कानूनी एक्शन लेता है. यानी धमकी देता है, देर-सबेर फोन करता है या कोई एसेट उठा ले जाता है तो पुलिस में शिकायत दर्ज कराएं. पुलिस को मामले से जुड़े मैसेज और कॉल की रिकॉर्डिंग भी दें. अगर पुलिस शिकायत दर्ज न करे तो कोर्ट में उस बैंक के खिलाफ मामला दर्ज कराएं. अदालत में मानहानी के तहत संबंधित बैंक और रिकवरी एजेंट पर कार्रवाई की जा सकती है. पीड़ित व्यक्ति के पास लोक अदालत और कंज्यूमर कोर्ट में जाने का भी विकल्प है. ऐसे में रिकवरी एजेंट से डरने की कोई जरूरत नहीं है.