Sahara India: सहारा इंडिया परिवार के प्रमुख सुब्रत रॉय का मंगलवार रात मुंबई में निधन हो गया. इसके बाद कंपनी के निवेशकों को अपने रिफंड की चिंता सताने लगी है. सरकार ने निवेशकों को रिफंड देने के लिए पोर्टल बनाया है, जिसकी हालत भी कुछ ठीक नहीं है. सहारा समूह की अवितरित धनराशि सेबी के पास पड़ी है, ऐसे में सुब्रत रॉय की मौत का असर इस रिफंड पर पड़ेगा या नहीं, यह बड़ा सवाल है.
सरकार ने की पोर्टल की शुरुआत
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने सहारा के निवेशको को रिफंड देने के लिए पोर्टल की शुरुआत की है. इस पोर्टल के जरिए सहारा के 4 कोऑपरेटिव सोसाइटी में फंसे निवेशकों को उनके पैसे रिफंड किये जाने हैं. उच्चतम न्यायालय ने सहारा-सेबी रिफंड खाते से 5,000 करोड़ रुपये सहकारी समितियों के केंद्रीय पंजीयक (सीआरसीएस) को हस्तांतरित करने का निर्देश दिया गया था. जिसके बाद, केंद्र सरकार ने सहारा रिफंड पोर्टल https://mocrefund.crcs.gov.in/ लॉन्च कियाऔर सुब्रत रॉय की मौत के बाद भी इस प्रक्रिया से निवेशकों को पैसा वापस करने की प्रक्रिया जारी रहेगी. सरकार ने 29 मार्च को कहा था कि सहारा के चारों सहकारी समितियों के 10 करोड़ निवेशकों को नौ महीने के भीतर उनके रुपये लौटा दिए जाएंगे. हालांकि अब तक महज कुछ ही निवेशकों को मामूली राशि रिफंड हुई है.
सहारा पोर्टल की हालत खराब
केंद्र सरकार की तरफ से पोर्टल की शुरुआत जरूर की गई है लेकिन निवेशकों का रिफंड का इंतजार खत्म होता नजर नहीं आ रहा है. दरअसल, इस पोर्टल के माध्यम से निवेशको को पहले बस 10 हजार रुपए ही रिफंड किए जाने हैं. लेकिन ये दस हजार भी मिलना मुश्किल ही है. निवेशकों की तरफ से लगातार पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं कर पाने की शिकायतों की खबर आ रही है. इसके अलावा, जिन निवेशकों का रजिस्ट्रेशन हो भी गया है, उनके भी खाते में रिफंड नहीं आ रहा है. इसे लेकर भी शिकायतें तो आ रही है, लेकिन सरकार की तरफ से जवाब नहीं मिल रहा है.
सेबी के पास पड़ी है संपत्ति
सुब्रत रॉय की मौत के बाद सेबी के पास पड़ी उनकी 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की गैरवितरित धनराशि भी एक बार फिर से चर्चा में है. कौन होगा सुब्रत रॉय का उत्तराधिकारी? कैसे मिलेंगे निवेशकों के पैसे वापस? इस तरह के सवाल सोशल मीडिया पर लगातार पूछे जा रहे हैं. गौरतलब है कि रॉय समूह की कंपनियों के संबंध में कई विनियामक तथा कानूनी लड़ाइयों का सामना कर रहे थे. इतना ही नहीं, इन पर पोंजी योजनाओं में नियमों को दरकिनार करने का भी आरोप था.
सेबी ने 2011 में सहारा समूह की दो कंपनियों एसआईआरईएल और एसएचआईसीएल के जरिए करीब तीन करोड़ निवेशकों से जुटाए गए धन को वापस करने का आदेश दिया था. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उच्चतम न्यायालय ने 31 अगस्त 2012 को सेबी के निर्देशों को बरकरार रखा और दोनों कंपनियों को निवेशकों से एकत्र धन 15 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करने को कहा था. इसके बाद सहारा को निवेशकों को धन लौटाने के लिए सेबी के पास अनुमानित 24,000 करोड़ रुपये जमा करने को कहा गया. हालांकि समूह लगातार यह कहता रहा कि उसने पहले ही 95 प्रतिशत से अधिक निवेशकों को प्रत्यक्ष रूप से भुगतान कर दिया है. कुल मिलकर यह मामला अब भी अटका है.