ओडिशा के रेल हादसे को देखकर सावित्री की आंखें नम हैं. चार साल पहले उनका जवान बेटा उत्तराखंड में आई बाढ़ में बह गया था लेकिन उसके बीमा का क्लेम अभी तक नहीं मिला है. ओडिशा में हुए रेल हादसे के पीड़ित परिवारों को बीमा क्लेम कैसे मिलेगा, यह मुद्दा चर्चाओं में है. हालांकि सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी ने बीमा के दावेदारों के लिए नियमों में रियायत देने की घोषणा की है. लेकिन बीमा का क्लेम ले पाना इतना आसान नहीं होता. जब भी रेल, बस या पुल टूटने जैसे बड़े हादसे होते हैं तो उनमें मृतक के शव की बरामदगी, मृत्यु प्रमाण पत्र और यात्रा टिकट का सबूत जुटा पाना बड़ी चुनौती होती है. शव के गायब होने पर बीमा का मुआवजा मिल पाना बहुत मुश्किल हो जाता है.
कहां आती है अड़चन?
जब भी बड़े हादसे होते हैं तो बड़ी संख्या में शव लापता हो जाते हैं. इस स्थिति में डेथ सर्टिफिकेट नहीं मिल पाता. इसके बिना बीमा कंपनियां क्लेम नहीं देती हैं. हालांकि एलआईसी ने ओडिशा रेल हादसे के पीड़ितों को डेथ सर्टिफिकेट के बिना भी क्लेम देने की घोषणा की है. लेकिन दावेदार मृतक की मौत की पुष्टि कैसे करेगा, यह बड़ी चुनौती है. लेकिन जब शव ही बरामद नहीं हुआ है तो परिजन मौत की पुष्टि कैसे करेंगे. इस स्थिति में क्लेम अटक जाता है. बड़े हादसे और प्राकृतिक आपदा के समय सरकार कुछ रियायत देती है लेकिन खासकर निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियां डेथ सर्किफिकेट के बिना क्लेम नहीं देती हैं. हालांकि इंडियन एविडेंट एक्ट के अनुसार किसी व्यक्ति के गायब होने के बारे में दर्ज एफआईआर के सात साल बाद उसे मृत मान लिया जाता है. इस तरह किसी गायब व्यक्ति के बीमा की रकम हासिल करने के लिए परिजनों को कम से कम सात साल तक इंतजार करना होगा.
कितने ले सकते हैं क्लेम?
एक व्यक्ति कितने बीमा क्लेम के लिए दावा कर सकता है? इस सवाल को लेकर उलझन में रहते हैं. अगर ओडिशा रेल हादसे की ही बात करें तो इस घटना में मारे गए ऐसे कई लोग होंगे जिन्होंने टिकट बुकिंग के समय यात्रा बीमा लिया होगा. साथ ही उनके पास प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा, जीवन सुरक्षा बीमा के साथ अन्य जीवन बीमा और एक्सीडेंटल पॉलिसी होंगी. पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट निशा सांघवी कहती हैं किसी व्यक्ति के पास जितनी भी व्यक्तिगत बीमा पॉलिसी हैं, उसके परिजन उन सभी पॉलिसियों के क्लेम के लिए अलग-अलग दावा कर सकते हैं. यह नहीं, कई बैंक बचत खाता, डेबिट और क्रेडिट कार्ड पर भी बीमा देते हैं. पीड़ित परिवार इस तरह के बीमा के लिए भी क्लेम करना चाहिए. अगर बीमा का कोई दस्तावेज नहीं मिला है तो बैंक में जाकर पता कर लेना चाहिए उनके परिजन को किस-किस मद में कितना बीमा कवर मिला हुआ था.
क्लेम की प्रक्रिया
बीमा का क्लेम लेने के लिए पॉलिसीधारक की मृत्यु प्रमाण पत्र जरूरी होता है. इसके साथ ही दावेदार को अपने बैंक के ब्योरे के साथ केवाईसी से जुड़े कागज देने होंगे. क्लेम के फॉर्म के साथ पॉलिसी का बॉन्ड और मृतक के पैन और आधार भी मांगे जाते हैं. अगर पॉलिसी में कोई नॉमिनी नहीं है तो क्लेम के लिए कोर्ट से सक्सेशन यानी उत्तराधिकार प्रमाण पत्र बनवा कर जमा करना होगा.
यात्रा बीमा कवर लेना मुश्किल
जब हम ट्रेन की ऑनलाइन टिकट बुक कराते हैं तो उसमें यात्रा बीमा का विकल्प आता है. अगर हम इस ऑप्शन को क्लिक करते हैं तो इसके तहत महज 35 पैसे में 10 लाख रुपए तक का बीमा कवर मिल जाता है. इस बीमा के तहत अगर यात्री की हादसे में मौत हो जाती है या फिर स्थायी रूप से पूरी तरह दिव्यांग हो जाता है तो 10 लाख रुपए का मुआवजा मिलेगा. अगर पॉलिसीधारक आंशिक रूप से दिव्यांग होता है तो 7.5 लाख रुपए और दुर्घटना में घायल होने पर इलाज के लिए दो लाख रुपए तक का बीमा कवर मिलेगा. यह बीमा आईआरसीटीसी की ओर से मुहैया कराया जाता है. हालांकि बीमा का क्लेम बीमा जारी करने वाली जनरल इंश्योरेंस कंपनी की ओर से किया जाता है. इस बीमा के क्लेम के लिए यात्रा का सबूत और डेथ सर्टिफिकेट देना होता है जो हादसे के बाद जुटा पाना मुश्किल होता है.