सरकार ने देश में पर्सनल कम्प्यूटर, लैपटॉप और टैबलेट के आयात पर प्रतिबन्ध लगा दिया है. ये रोक तुरंत प्रभाव से लागू हो गई है. कम्प्यूटर, लैपटॉप और टैबलेट का आयात अब Restricted श्रेणी में रहेगा. अगर इंपोर्ट जरूरी है तो उसके लिए वैध इंपोर्ट लाइसेंस लेना होगा. हालांकि बैगेज नियम के तहत इंपोर्ट होने वाले इन प्रोडक्ट्स पर प्रतिबंध नहीं होगा. अब सवाल यह है कि आखिर इतनी जरूरी चीजों के आयात पर रोक क्यों लगाई गई है.
सरकार ने दिया जवाब
सरकार का कहना है कि उसने सुरक्षा कारणों से लैपटॉप, टैबलेट और कम्प्यूटर के आयात पर प्रतिबंध लगाया है. इसके अलावा सरकार का एक मकसद इनके घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना भी है. सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इस रोक लगाने के पीछे वैसे तो कई कारण हैं, लेकिन प्रमुख कारण नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. अधिकारी ने कहा कि देश में इंटरनेट की पहुंच तेजी से पहल रही है. इसे देखते हुए भारतीय नागरिकों को ऐसे परिवेश की जरूरत है, जहां उनका डेटा ऐसी मशीनों या उपकरणों के समक्ष न पहुंचे, जिनसे उन्हें सुरक्षा संबंधी जोखिम हो. उन्होंने कहा कि कुछ उपकरणों में सुरक्षा संबधी दिक्कतें हो सकती हैं और इनसे संवेदनशील और व्यक्तिगत जानकारी जोखिम में पड़ सकती है. इसलिए सरकार ने कुछ वस्तुओं के आयात पर रोक लगाने की कार्रवाई की है.
चीन से हो रहा है आयात
सरकार के इस फैसले से चीन और दक्षिण कोरिया जैसे देशों से इन वस्तुओं का आयात घटेगा. डेल, एसर, सैमसंग, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स, एप्पल इंक, लेनोवो और एचपी इंक कुछ प्रमुख कंपनियां हैं, जो भारतीय बाजार में लैपटॉब और टैबलेट्स बेचती हैं. ये कंपनियां इनके अधिकांश पार्ट चीन जैसे देशों से आयात करती हैं. देश के कुल वार्षिक आयात में लैपटॉप, टैबलेट्स और पर्सनल कम्प्यूटर की हिस्सेदारी करीब 1.5 फीसदी है. 1.5 फीसदी में से करीब आधा हिस्सा चीन से आयात किया जाता है.
अप्रैल-जून में हुआ 19.7 अरब डॉलर का आयात
इस साल अप्रैल-जून तिमाही के दौरान सालाना आधार पर इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के आयात में 6.25 फीसद की बढ़ोतरी दिखी है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश में इलेक्ट्रॉनिक्स का आयात 19.7 अरब डॉलर का रहा है. इसमें लैपटॉप, टैबलेट्स और पर्सनल कम्प्यूटर भी शामिल है. देश के कुल मर्चेंडाइज आयात में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों की हिस्सेदारी 7 फीसद से लेकर 10 फीसद के बीच है.
भारत बनना चाहता है पावरहाउस
सरकार की योजना ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स सप्लाई चेन में पावरहाउस बनने का है. सरकार ने 2026 तक 300 अरब डॉलर के वार्षिक उत्पादन का लक्ष्य तय किया है. इसके लिए सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए 2 अरब डॉलर की पीएलआई योजना भी शुरू की है. देश में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन को बढ़ावा देना भी आयात प्रतिबंध का एक वजह है.