TROP प्लान क्या है? जानिए इसके फायदे और ध्यान रखने योग्य बातें

इंश्योरर या पॉलिसी का चयन करते समय अक्सर यह सलाह दी जाती है कि मैच्योरिटी बेनिफिट को प्राथमिकता न दें.

  • Team Money9
  • Updated Date - September 10, 2021, 01:33 IST
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इसके अलावा जरूरत के अनुसार मातृत्व लाभ में गर्भावस्था में जटिलताओं या चिकित्सकीय रूप से आवश्यक समाप्ति के लिए किए गए उपचार को शामिल किया गया है

इसके अलावा जरूरत के अनुसार मातृत्व लाभ में गर्भावस्था में जटिलताओं या चिकित्सकीय रूप से आवश्यक समाप्ति के लिए किए गए उपचार को शामिल किया गया है

रिटर्न ऑफ प्रीमियम प्लान के साथ टर्म इंश्योरेंस को TROP के रूप में जाना जाता है. यह एक तरह का टर्म लाइफ इंश्योरेंस प्लान है जो बीमित व्यक्ति को पॉलिसी अवधि में जीवित रहने की स्थिति में प्रीमियम रिटर्न का बेनिफिट देता है. किसी भी दूसरे स्टैंडर्ड प्लान की तरह, TROP का उद्देश्य भी पॉलिसी होल्डर की फैमिली को उसके न होने पर वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है.

स्टैंडअलोन टर्म पॉलिसी सबसे कम प्रीमियम पर डेथ बेनिफिट प्रोवाइड करती है. हालांकि, यदि पॉलिसी होल्डर पॉलिसी टर्म के बाद भी जीवित रहता है, तो इंश्योरर पॉलिसी होल्डर को कुछ भी भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं है. लेकिन भारत में ज्यादातर लोग अपने इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न चाहते हैं. इस बिहेवियर पैटर्न को देखते हुए, बीमा कंपनियों ने TROP प्लान की पेशकश शुरू कर दी है.

आपके लिए इसमें क्या है?

टर्म इंश्योरेंस की एक सब-कैटेगरी के तौर पर TROP को पहचाना जाता है, TROP ग्राहकों को पॉलिसी के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम के रिटर्न के अलावा टर्म इंश्योरेंस के सभी बेनिफिट ऑफर करता है, यदि बीमित व्यक्ति पॉलिसी की अवधि तक जीवित रहता है. अब, यह उन लोगों के लिए एक बढ़िया कॉन्सेप्ट है, जो इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान करने में संकोच करते हैं और इसे एक अतिरिक्त खर्च के रूप में देखते हैं, जिसमें रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती है.

प्रीमियम का भुगतान न करने की स्थिति में, TROP प्लान कम बेनिफिट ऑफर करते हैं, जबकि प्योर टर्म प्लान ऐसी स्थिति में सीधे लैप्स हो जाते हैं. खास तौर से, ‘सभी प्रीमियम वापस’ आने की सुविधा के कारण, इन प्लान का प्रीमियम रेट प्योर टर्म इंश्योरेंस प्लान से थोड़ा ज्यादा है.

इसे ऐसे समझें- 30 साल के व्यक्ति के लिए 1 करोड़ रुपये के बेसिक टर्म कवर की कॉस्ट 30 साल की पॉलिसी अवधि के लिए 9,276 रुपये सालाना है. अगर वही व्यक्ति रिटर्न ऑफ प्रीमियम प्लान खरीदता है तो कॉस्ट 18,396 रुपये बनती है. यानि प्रीमियम दरों में लगभग 100% की बढ़त. ऐसा इसलिए है क्योंकि एक रेगुलर टर्म प्लान में केवल मोर्टेलिटी चार्ज पे किया जाता है, जबकि TROP प्लान में ग्राहक सभी प्रीमियमों के गारंटीड रिटर्न के लिए भी भुगतान करता है.

उदाहरण के लिए, 10 साल की अवधि के लिए 10 लाख रुपये की बीमा राशि वाली पॉलिसी कंसीडर करें. सालाना प्रीमियम 1000 रुपये है. यदि पॉलिसी होल्डर की मृत्यु हो जाती है, तो परिवार को 10 लाख रुपये के कवर का भुगतान किया जाएगा. लेकिन अगर बीमित व्यक्ति पूर्व-निर्धारित अवधि तक जीवित रहता है, तो उसे पूरा प्रीमियम अमाउंट यानी 10,000 रुपये (1000 x 10 रुपये) का रिटर्न रिसीव होगा.

TROP प्लान के बारे में ध्यान देने वाली बातें

तकनीकी रूप से कहें तो TROP प्लान जीरो-कॉस्ट इन्वेस्टमेंट के रूप में दिखाई देते हैं. जबकि प्रीमियम किसी भी रेगुलर टर्म प्लान से ज्यादा हो सकता है. कोई क्लेम न होने की स्थिति में भुगतान किए गए सभी प्रीमियम पॉलिसी अवधि के अंत में पॉलिसी होल्डर को वापस कर दिए जाते हैं. इसके अलावा, एक प्योर टर्म प्लान सभी प्रीमियमों पर 18% GST लगाता है, जबकि TROP पर GST सालाना 4.5% और उसके बाद 2.25% है.

बेसिक टर्म और TROP दोनों प्लान पॉलिसी के कवरेज को बढ़ाने के लिए राइडर बेनिफिट का ऑप्शन भी देते हैं. इंश्योरर हमेशा कई तरह के ऑप्शनल राइडर्स/ऐड-ऑन प्रोवाइड करते हैं. जैसे- पर्सनल एक्सीडेंट, फिजिकल डिसेबिलिटी आदि, जिन्हें पॉलिसी के लिए साइन अप करते समय खरीदा जा सकता है. इसे पॉलिसी को रिन्यू करते समय भी जोड़ा जा सकता है. राइडर्स पॉलिसी को ज्यादा कॉम्प्रिहेंसिव बनाते हैं.

TROP प्लान टैक्स बेनिफिट भी देते हैं. अब तक, भुगतान किया गया प्रीमियम और निकाली गई राशि दोनों इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80C और 10 (10D) के तहत टैक्स-फ्री हैं. टैक्स छूट 1.5 लाख रुपये की अधिकतम सीमा तक लागू है.

TROP प्लान पर सरेंडर और पेड-अप वैल्यू

TROP प्लान की सरेंडर वैल्यू ग्राहक द्वारा चुने गए पेमेंट ऑप्शन पर निर्भर करती है. यह एक फैक्ट है कि सिंगल प्रीमियम प्लान के लिए सरेंडर वैल्यू ज्यादा होती है. (पूरे प्रीमियम का भुगतान एक बार में किया जाता है). इसलिए, अपने इंश्योरेंस के साथ सरेंडर वैल्यू के बारे में पहले ही डिस्कस कर लेना समझदारी है. वो पेमेंट ऑप्शन चुनें जिसमें आपको ज्यादा फायदा मिले.

पेड-अप वैल्यू TROP प्लान का एक और खास कॉम्पोनेंट है, जिस पर पॉलिसी होल्डर को खास ध्यान देना चाहिए. कंपनियों को जरूरत होती है कि ग्राहक मिनिमम नंबर ऑफ ईयर तक पे करें(इंश्योरर टू इंश्योरर ये अलग हो सकती है) इससे पहले कि ये फीचर इनेबल हो, जहां आपकी पॉलिसी प्रीमियम का भुगतान न करने के बावजूद कम कवर पर जारी रहेगी. पॉलिसी पर साइन करने से पहले अपने सभी डाउट क्लियर कर लें. फाइन प्रिंट को ध्यान से पढ़ें.

TROP प्लान के लिए टाइम पीरियड

यह ध्यान रखना जरूरी है कि TROP प्लान सीमित अवधि जैसे 10, 15, 20, 25 या 30 सालों तक चलते हैं. इनमें से ज्यादातर प्लान में पॉलिसी होल्डर के लिए मैक्सिमम मैच्योरिटी ऐज, 70 साल है. कुछ इंश्योरर 70 साल से ज्यादा की भी पॉलिसी प्रोवाइड करते हैं. आपको एक ऐसे प्लान की तलाश करनी होगी जो आपके फ्युचर फाइनेंशियल गोल को पूरा कर सके. याद रखें कि पॉलिसी की अवधि बाद में बढ़ाई नहीं जा सकती.

इंश्योरर या पॉलिसी का चयन करते समय अक्सर यह सलाह दी जाती है कि मैच्योरिटी बेनिफिट को प्राथमिकता न दें. हायर रिटर्न ऑफर करने वाले प्लान कॉस्ट इफेक्टिव नहीं हो सकते हैं. इसके बजाय, कोई ऐसे ऑफ़र की तलाश कर सकता है जहां बड़ी बीमा राशि पर छूट उपलब्ध हो.

Published - September 10, 2021, 01:32 IST