Tokyo Olympics: जानिए कौन हैं टोक्यो ओलंपिक में झंडे गाड़ने वाली वेटलिफ्टर मीराबाई चानू

भारत ने टोक्यो ओलंपिंक में शनिवार को अपना पहला मेडल जीत लिया है.

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चीन की जिस खिलाड़ी ने गोल्ड जीता, वह डोप मामले में फंस सकती हैं. इस खिलाड़ी का दोबारा डोप टेस्ट कराया जाएगा

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Tokyo Olympics: टोक्यो ओलंपिक में भारत के खिलाड़ी अपना लोहा मनवा रहे हैं. भारत ने टोक्यो ओलंपिंक में शनिवार को अपना पहला सिल्वर मेडल जीता है. भारत के लिए Tokyo Olympics 2021 का यह पहला सिल्वर मेडल वेटलिफ्टिंग में मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) लेकर आई हैं. चानू ने 49 किलोग्राम की महिला कैटेगरी में यह सिल्वर मेडल (Silver Medal) जीता है.

मीराबाई चानू प्रोफाइलः जानिए ओलंपिक में धमाल मचाने वाली इस वेटलिफ्टर के बारे में

टोक्यो में चल रहे ओलंपिक खेलों के आज दूसरे दिन मीराबाई चानू ने ओलिंपिक खेलों की वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता में मेडल का भारत का 21 साल का इंतजार खत्म कर दिया. चानू ने क्लीन व जर्क में 115 किलोग्राम और स्नैच में 87 किग्रा के साथ कुल 202 किलोग्राम वजन उठाकर यह सिल्वर मेडल अपने नाम किया है.

मीराबाई चानू  की इस उपलब्धि पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें बधाई दी है. आइए जानते हैं कि देश को ओलंपिक में मेडल दिलवाने वाली यह मीराबाई चानू कौन हैं.

26 साल की मीराबाई चानू मणिपुर से आती हैं. वे कर्णम मल्लेश्वरी के बाद ऐसी दूसरी भारतीय वेटलिफ्टर बन गई हैं, जिन्होंने ओलंपिक पदक जीता है. मीराबाई पूर्व विश्व चैंपियन रही हैं. वे साल 2017 में वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप (48 किलो) की चैंपियन बनी थीं. इसके बाद साल 2018 में उन्होंने कॉमनवेल्थ में गोल्ड मेडल जीता था. इसके अलावा उन्होंने एशियाई चैम्पियनशिप में कांस्य पदक भी जीता था.

रियो ओलंपिक रहा था निराशाजनक

हालांकि, चानू के लिए 2016 का रियो ओलिंपिक निराशाजनक रहा था. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने खेल में लगातार सुधार किया. रियो ओलंपिक के बाद चानू ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. उन्होंने प्रत्येक बड़ी स्पर्धा में मेडल जीते. मीराबाई ने इस साल अप्रैल में 86 किलो स्नैच और 119 किलो वजन उठाकर खिताब जीता था. उन्होंने कुल 205 किलो वजन उठाकर ब्रॉन्ज मेडल जीता था.

पहले तीरंदाज बनना चाहती थी मीराबाई

बता दें कि शुरुआत में मीराबाई वेटलिफ्टर नहीं, बल्कि तीरंदाज बनना चाहती थी. एक इंटरव्यू में मीराबाई ने कहा था, “मेरे सभी भाई फुटबॉल खेलते थे और शाम को धूल से सने हुए लौटते थे. मैं ऐसा खेल चाहती थी जो कि साफ-सुथरा हो. शुरुआत में मैं तीरंदाज बनना चाहती थी, क्योंकि ये भी स्टाइलिश और साफ खेल था.”

कुंजारानी देवी की क्लिपिंग देखकर मिली प्रेरणा

मीराबाई चानू ने बचपन में ही निर्णय कर लिया था कि वे आगे चलकर एक खिलाड़ी के तौर पर ख्याति प्राप्त करेंगी. चानू एक गरीब परिवार से आती हैं. साल 2008 की शुरुआत में वे इंफाल के स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) के केंद्र पहुंचीं. वहां उन्हें कोई आर्चर नहीं मिला. लेकिन, वहां उन्होंने मणिपुर की वेटलिफ्टर कुंजारानी देवी की क्लिपिंग दिखीं. यहीं से उन्हें वेटलिफ्टर बनने की प्रेरणा मिली.

Published - July 24, 2021, 12:29 IST