TV channel: टीवी देखने वालों के लिए बढ़ती महंगाई के बीच एक और झटका है. 1 दिसंबर से टीवी चैनल्स देखने के लिए लोगों को अब ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ेगी. दरअसल देश के प्रमुख ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क्स जी, स्टार, सोनी और वायकॉम 18 ने अपने कुछ चैनल्स अपने बुके से बाहर कर दिए हैं. जिसके चलते अब लोगों को चैनल्स देखने के लिए 50 फीसदी अधिक खर्च करना पड़ेगा. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण यानी ट्राई (Telecom Regulatory Authority of India-TRAI) ने 2017 में टीवी चैनल्स की कीमतों को लेकर एनटीओ (new tariff order-NTO) जारी किया था. इसके बाद साल 2020 में एनटीओ 2.0 जारी हुआ था. इसी के चलते सारे नेटवर्क एनटीओ 2.0 के अनुसार चैनलों के दाम बदल रहे हें. विशेषज्ञों ने ईटी से कहा कि मूल्य वृद्धि टीवी प्रसारण क्षेत्र के लिए नए टैरिफ नियमों का एक अनपेक्षित परिणाम है. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) का विचार था कि एनटीओ 2.0 दर्शकों को केवल उन चैनलों के चयन और भुगतान करने के लिए अधिक विकल्प और स्वतंत्रता की अनुमति देगा, जिन्हें वे देखना चाहते हैं.
सुप्रीम कोर्ट में अपने हलफनामे में इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF-Indian Broadcasting Digital Foundation) ने कहा था कि एनटीओ 2.0 को लागू करने से कीमतें बढ़ेंगी.
बाजार पर नजर रखने वालों के अनुसार लोकप्रिय चैनलों को देखने के लिए दर्शकों को लगभग यह 35-50 फीसदी अधिक राशि चुकानी होगी.
एक बड़े नेटवर्क के शीर्ष कार्यकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा, अभी यह मामला विचाराधीन है. इस मामले पर 20 नवंबर को अंतिम रूप से दिया जाएगा.
नई कीमतों पर नजर डालें तो पता चलता है कि मुंबई में, यदि कोई दर्शक स्टार और डिज्नी इंडिया के चैनल देखता है तो जो पहले 49 रुपये प्रति माह पर उपलब्ध थे, तो उसे अब उतने ही चैनलों के लिए 69 रुपये खर्च करने होंगे.
एसपीएन (sony pictures networks-SPN) के लिए उन्हें हर महीने 39 की जगह 71 रुपये खर्च करने होंगे. ज़ी के लिए 49 रुपये (पहले 39 रुपये से) और वायकॉम18 चैनलों के लिए, 39 रुपये प्रति माह शुल्क लिया जा रहा है।
ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क के किसी बुके में ऑफर किए जाने वाले चैनल की मासिक कीमत 15-25 रुपए थी, लेकिन ट्राई ने नए टैरिफ आदेश में इसकी न्यूनतम कीमत 12 रुपए तय की है.
ऐसे में अन्य चैनल्स को अपने ज्यादातर चैनल को इतनी कम कीमत में ऑफर करना घाटे का सौदा है. इस नुकसान से बचने के लिए कुछ लोकप्रिय चैनलों को बुके से बाहर किया गया है. ताकि उनके दामों को बढ़ाया जा सके.