एक टॉप एग्जीक्यूटिव ने मिंट की एक रिपोर्ट में कोट किया था कि कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (CESL) देश में ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए 9 मेजर मेट्रो सिटी में इलेक्ट्रिक बसें (e-buses) लॉन्च करने की योजना बना रही है, चुने गए शहर मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, चेन्नई, कोलकाता, सूरत और पुणे हैं. बसों को ऑपरेटिंग एक्सपेंसेज मॉडल पर पेश किया जाएगा.
CESL के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (CEO) और मैनेजिंग डायरेक्टर महुआ आचार्य ने कहा कि 40 लाख से अधिक आबादी वाले नौ शहरों को देश की पहली ई-बस शुरू करने के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया है.
मोडीफाइड 10,000 करोड़ रुपये के फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FAME) स्कीम के तहत, 7,400 से अधिक ई-बसों की पेशकश की जाएगी. सरकार ने CESL की पेरेंट फर्म एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) को इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर और इलेक्ट्रिक बस कंपोनेंट की डिमांड एग्रीगेशन अलॉट किया है और मार्की स्कीम को दो साल के लिए 31 मार्च 2024 तक बढ़ा दिया है.
आचार्य ने पब्लिकेशन को बताया कि वो स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (SRTUs), सिटी कमिश्नर, स्टेट ट्रांसपोर्ट सेक्रेटरीज और स्टेट मिनिस्टर के साथ बातचीत कर रहे हैं ताकि उनके इंटरेस्ट को समझा जा सके और जाना जा सके कि EESL को डिमांड एग्रीगेटर के रूप में नॉमिनेट किए जाने के बाद वो चुनौती का समाधान कैसे करेंगे.
FAME को पब्लिक और शेयर ट्रांसपोर्ट के इलेक्ट्रिफिकेशन को सपोर्ट करने और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह योजना वाहनों से होने वाले उत्सर्जन और फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता को कम करने की सरकार की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. सरकार द्वारा ई-मोबिलिटी और डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए लिथियम-आयन सेल बनाने के लिए लगभग 18,100 करोड़ रुपये की प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम की घोषणा की गई है.
मिंट की एक पूर्व रिपोर्ट की माने तो स्कीम के पिछले वर्जन में ई-बस की हाई कॉस्ट, इंटरनल कंबशन इंजन वाली बसों की लागत से ढाई गुना अधिक लागत और स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (SRTUs) द्वारा पेमेंट डिफॉल्ट रिस्क कुछ ऐसे मुद्दे थे, जो ई-बस कॉम्पोनेंट को प्रभावित कर रहे थे. इसके अलावा, पहले की स्कीम टेक ऑफ करने में नाकाम रही क्योंकि एलोकेट 10,000 करोड़ रुपये में से केवल 5% या 492 करोड़ रुपये मार्च तक दूसरे चरण तक खर्च किए गए थे.