बेंचमार्क सेट करने की अपनी अलग ताकत होती है. इतिहास उठाकर देखें, तो प्रतिस्पर्धा बढ़ने के साथ बेंचमार्क की भूमिका और बड़ी ही होती चली गई है. इन दिनों जो बेंचमार्क सबसे अधिक चर्चा में है, वह कोविड वैक्सीनेशन के रोजाना के आंकड़ों का है. देश में 17 सितंबर को वैक्सीन की रिकॉर्ड 2.26 करोड़ डोज लगाई गईं.
यह आंकड़ा रोजाना तैयार हो रहे कोविड के टीकों की संख्या से भी कहीं बड़ा है. ऐसे में इतनी ही डोज आगे भी एक दिन में लगा पाना प्रशासन के लिए अलग चुनौती बनने वाला है. इस संख्या को पार कर पाना तो बहुत दूर की बात होगी.
हालांकि, टीकाकरण की यह उपलब्धि उस दिन हासिल हुई है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन होता है. पूरी तैयारियों के साथ हासिल किए गए आंकड़े को अब एक नए लक्ष्य की तरह लेकर चला जा सकता है. यह प्रयास बना रहना चाहिए कि प्रधानमंत्री को तोहफे के रूप में भेंट किए गए इस बेंचमार्क के कम से कम 50 प्रतिशत तक रोजाना का टीकाकरण बरकरार रहे. किसी भी हाल में इसे एक करोड़ के मार्के के नीचे गिरने नहीं देना होगा.
देश में रोजाना करीब 1.2 करोड़ वैक्सीन तैयार की जा रही हैं. ऐसे में रोजाना एक करोड़ डोज लगाए जाने को रूटीन बनाया जा सकता है. कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बचने के लिए अधिक से अधिक लोगों का टीकाकरण करना तो जरूरी है ही. साथ में अर्थव्यवस्था को महामारी की चपेट से बाहर भी निकालने में यह अहम भूमिका निभाएगा.
कोरोना की दो लहरों ने पहले से सुस्त हो रही इकॉनमी को और कमजोर कर दिया. अब इसे वापस पटरी पर लाने के लिए वैक्सीन एक जरूरी साधन बन गई है.
देश में उत्पादित टीकों के अलावा कुछ वैक्सीन का आयात भी हो रहा है. कुछ और को जल्द मंजूरी मिल सकती है. जब भी प्रॉडक्शन और इंपोर्ट में बढ़ोतरी होगी, लक्ष्य यही होना चाहिए कि 17 सितंबर वाले रिकॉर्ड को तोड़ा जा सके. जब तक यह नहीं हो पा रहा, तब तक सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनना जारी रखना होगा. पाबंदियों पर भी बहुत अधिक ढील नहीं दी जानी चाहिए. हमें पहले ही भारी नुकसान हो चुका है. इसे बदतर नहीं होने दिया जा सकता.