ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी, केबल टीवी, एंटरप्राइज सॉल्यूशंस और पेमेंट वॉलेट्स टेलीकॉम कंपनियों के लिए वक्त की जरूरत हैं. एक रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि टेलीकॉम सेक्टर कंसॉलिडेशन के दूसरे चरण की ओर बढ़ रहा है.
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने कहा है कि रिलायंस जियो की आक्रामक एंट्री से मुश्किल में आए टेलीकॉम सेक्टर में रिकवरी के संकेत जारी रहेंगे. इंडिया रेटिंग्स ने इस सेक्टर के लिए 2021-22 के लिए स्टेबल आउटलुक दिया है.
इंडस्ट्री कंसॉलिडेशन के दूसरे चरण की ओर बढ़ रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि टेलीकॉम कंपनियों के कारोबारी मॉडल में आमूलचूल बदलाव आएगा और इससे मौजूदा टेलीकॉम कंपनियां वॉयस-ओनली सर्विसेज प्रोवाइडर से खुद को पूरी तरह से डिजिटल सॉल्यूशंस मुहैया कराने वाली कंपनियों में तब्दील हो जाएंगी.
वायरसलेस मोबिलिटी के साथ टेलीकॉम कंपनियों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी, केबल टीवी सर्विसेज (डायरेक्ट टू होम), एंटरप्राइज सॉल्यूशंस, ई-पेमेंट वॉलेट्स/प्लेटफॉर्म्स, म्यूजिक एप्लिकेशंस और ओवर-द-टॉप ट्रांसमिशन प्लेटफॉर्म जैसी सेवाएं भी देनी होंगी.
रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि इस तरह से सर्विसेज की बंडलिंग और पारंपरिक वायरलेस मोबाइल सर्विसेज वक्त की जरूरत बन गई हैं और तभी ग्राहकों के कंपनी के साथ बने रहने को सुनिश्चित किया जा सकता है.
यह सेक्टर कभी एक बेहद व्यस्त क्षेत्र था और इसमें करीब आधा दर्जन ऑपरेटर काम कर रहे थे. हालांकि, गुजरे पांच वर्षों में वोडाफोन और आइडिया जैसे ऑपरेटर्स ने मर्जर किया. कुछ कंपनियां मैदान से हट गईं और कुछ दिवालिया हो गईं.
मौजूदा ऑपरेटरों में जियो की मजबूत से लेकर पर्याप्त मौजूदगी सभी सर्विसेज में है. दूसरी ओर, भारती एयरटेल की ब्रॉडकास्टिंग में मौजूदगी नहीं है और वोडाफोन आइडिया की ब्रॉडकास्टिंग, पेमेंट वॉलेट्स और डीटीएच में मौजूदगी नहीं है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि डेटा के इस्तेमाल में बढ़ोतरी और बढ़ते एवरेज रेवेन्यू पर यूजर डेटा में इसकी बढ़ती हिस्सेदारी से संकेत मिलता है कि बिना टैरिफ बढ़ोतरी के भी यह सेक्टर ज्यादा रेवेन्यू प्रति यूजर व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है.