पैतृक संपत्ति पर किस तरह से चुकाने पड़ते हैं Tax, संपत्ति बेचने पर क्या कहता है कानून?

चलिए समझते हैं कि पैतृक संपत्ति पर किस तरह से चुकाने पड़ते हैं टैक्स और ऐसी संपत्ति को बेचने पर क्या कानून लागू होते हैं.

पैतृक संपत्ति पर किस तरह से चुकाने पड़ते हैं Tax, संपत्ति बेचने पर क्या कहता है कानून?

अभिजीत के दादा ने 1971 में एक जमीन खरीदी थी और उस पर एक घर बनाया और इसी घर में पूरा परिवार रहता आया था. लेकिन, घर पुराना हो जाने के चलते 2015 में अभिजीत के पापा ने इस घर को तोड़कर नया घर बनाया. इसके अगले साल अभिजीत के दादा ने उन्हें ये घर गिफ्ट कर दिया. यहां तक सब ठीक था. लेकिन, अब बात आई टैक्स की और अभिजीत नहीं समझ पा रहे कि इस पर इंडेक्सेशन कैसे कैलकुलेट होगा. वे घर बेचने की सोच रहे हैं. अभिजीत विरासत में मिले घर पर लागू होने वाले टैक्स कानूनों को लेकर चक्कर में पड़े हैं. चलिए समझते हैं कि पैतृक संपत्ति पर किस तरह से चुकाने पड़ते हैं टैक्स और ऐसी संपत्ति को बेचने पर क्या कानून लागू होते हैं. तो इस पूरे मामले को अभिजीत के उदाहरण से ही समझते हैं.

भारत में कोई इनहैरिटेंस टैक्स नहीं लगता. इसका मतलब ये है कि अगर कोई शख्स वसीयत या पर्सनल लॉ के जरिए कोई संपत्ति हासिल करता है तो उसे इस पर कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है. सेक्शन 56(2)(x) में विरासत में संपत्ति मिलते वक्त इस पर टैक्स से छूट की बात कही गई है. हां, अगर पैतृक संपत्ति से होने वाली कमाई पर आपको टैक्स चुकाना पड़ेगा. यानी, अभिजीत की तरह से ही अगर आप भी अपनी संपत्ति बेचने का मन बना रहे हैं तो आपको महंगाई और इंडेक्सेशन बेनेफिट हटाकर इस पर हुए मुनाफे पर कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना होगा. इंडेक्सेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी संपत्ति की खरीद की लागत को महंगाई के मुकाबले आंका जाता है.

लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स को इंडेक्सेशन बेनेफिट के हिसाब से ही तय किया जाता है. इंडेक्सेशन बेनेफिट को संपत्ति खरीद और बिक्री वाले वित्त वर्ष के कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स यानी CII के हिसाब से निकाला जाता है. मिसाल के तौर पर 2020-21 के लिए CII 301 था, जबकि 2021-22 के लिए ये 317 है. अब अभिजीत के मामले पर वापस लौटते हैं. तो चूंकि घर को दो साल से ज्यादा वक्त तक रखा गया, ऐसे में उन्हें इंडेक्सेशन का बेनेफिट मिलेगा और घर की इंडेक्स्ड कॉस्ट को इस फॉर्मूले के जरिए निकाला जाता हैः इंडेक्स्ड कॉस्ट ऑफ एक्वीजिशन = कॉस्ट ऑफ एक्वीजिशन x बिक्री वाले साल की CII/विरासत में मिलने से पहले जब संपत्ति खरीदी गई थी उस साल का CII

कैपिटल गेन्स को लॉन्ग-टर्म (LTCG) और शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) में बांटा जाता है. अगर किसी संपत्ति को खरीदने के 24 महीने के भीतर आप उसे बेचते हैं तो इसे शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन माना जाता है. 24 महीने के बाद बेचने पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन लगता है. प्रॉपर्टी की बिक्री लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स 20 फीसदी और इस पर 3 फीसदी सेस के साथ वसूला जाता है. अगर आप गिफ्ट मिली प्रॉपर्टी बेचते हैं, या विरासत में मिली संपत्ति को हटाते हैं तो भी आपको कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होगा. खरीदारी की कीमत पिछले मालिक की कॉस्ट के आधार पर निकाली जाती है. इस पर इंडेक्सेशन का बेनेफिट मिलता है.

टैक्स एक्सपर्ट और सीए राज चावला कहते हैं, “सेक्शन 54 आपको एक प्रॉपर्टी बेचकर दूसरी खरीदने पर टैक्स छूट देता है. अधिकतम दो घरों पर ये छूट मिलती है. लेकिन अगर घर बेचने पर कैपिटल गेन्स 2 करोड़ रुपए से ज्यादा है तो ये छूट नहीं मिलेगी. ये छूट केवल एक दफा ही मिलती है.” मनी9 की सलाह है कि, CII को हर साल CBDT यानी टैक्स विभाग हर साल जारी करता है, लेकिन सही ये ही होगा कि आप इंडेक्सेशन बेनेफिट का सही फायदा उठाने के लिए प्रोफेशनल्स की मदद लें.

Published - November 14, 2022, 04:49 IST