ग्रामीण युवाओं को रोजगार देने के इरादे से सरकार ने सॉइल हेल्थ स्कीम (Soil Health Scheme) के तहत नई योजना शुरू की है. इस योजना से आपको ग्राम स्तर पर मिनी सॉइल टेस्टिंग लैब(Soil Testing Lab) शुरू करनी होगी और खेत की मिट्टी का नमूना लेकर उसका परीक्षण करके रिपोर्ट तैयार करनी होगी. यदि आप 1.25 लाख रुपये निवेश कर सकते हैं तो सरकार आपको इस पर 3.75 लाख रुपये की सब्सिडी देती है, जिससे आप आराम से महीने में 15-25 हजार रुपये कमा सकते हैं.
किसानों को भी होगा फायदा
अभी किसानों को खेत की मिट्टी का परीक्षण करवाने के लिए शहर या बड़े सेंटर जाना पड़ता है, लेकिन गांव में ही ऐसी लैब होगी तो किसानों को समय और पैसे बचाने में मदद मिलेगी.
5 लाख रुपये में शुरू करें लैब
केंद्र सरकार की इस योजना के मुताबिक लैब स्थापित करने में 5 लाख रुपये का खर्च होता है, जिसका 75% सरकार देगी. इसमें से 60% केंद्र और 40% सब्सिडी संबंधित राज्य सरकार से मिलेगी. जांच मशीन, रसायन व प्रयोगशाला चलाने के लिए 2.5 लाख रुपये खर्च होंगे. कंप्यूटर, प्रिंटर, स्कैनर, GPS की खरीद पर 1 लाख रुपये लगेंगे और बाकी 1.5 लाख रुपये बिजली, पानी, ब्रॉडबैंड, टेलीफोन कनेक्शन, स्टेशनरी, वार्षिक रखरखाव लागत में खर्च होंगे.
कौन खोल सकता है लैब
– गांव में रहने वाला 18-40 साल का कोई भी व्यक्ति ग्राम स्तर पर मिनी सॉइल टेस्टिंग लैब (Soil testing lab) शुरू कर सकता है.
– स्वयं सहायता समूह, कृषक उत्पादक संगठन एवं कृषक सहकारी समितियां भी इस लैब को खोल सकती हैं.
– सांसद आदर्श ग्राम योजना (SAGY) गांव के व्यवसायी को पहले चांस दिया जाएगा.
– लाभार्थी विज्ञान के साथ कम से कम बारहवीं में उत्तीर्ण होना चाहिए और कंप्यूटर का ज्ञान होना चाहिए.
– आवेदक के पास खुद का मकान होना जरूरी है.
– यदि किराए का मकान है तो कम से कम 4 साल का लीज एग्रीमेंट जरूरी है.
कहां देना होगा आवेदन
– आपको क्वॉलिफिकेशन सर्टिफिकेट के साथ पैन कार्ड और आधार कार्ड जैसे दस्तावेज जमा करवाने होंगे.
– आपको जिले के कृषि उपनिदेशक, संयुक्त निदेशक या उनके कार्यालय में प्रस्ताव देना होगा.
– आवेदक को कम से कम 4 साल तक लैब चलाने का बॉन्ड जमा करवाना पड़ता है.
कितना मिलता है पैसा
किसानों के खेत की मिट्टी का नूमना लेकर उसका परीक्षण करना होगा, जिसके आधार पर सॉइल हेल्थ कार्ड (soil health card) का प्रिंटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन करने पर प्रति सैंपल 300 रुपये दिए जाते हैं.
लाभार्थी को दो किस्त में फंड जारी होगा.
– पहली किस्त का 50% फंड जब आप पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करते है तब दिया जाएगा और बाकी का 50% फंड जब आप किसान को सॉइल हेल्थ कार्ड (soil health card) उपलब्ध कराना शुरू कर देंगे उसके बाद दिया जाएगा.
– लाभार्थी को अपना बैंक अकाउंट सॉइल हेल्थ पोर्टल (soil health portal) के साथ लिंक करना जरूरी है.
सोइल हेल्थ कार्ड में क्या होता है
– सॉइल हेल्थ कार्ड (soil health card) में खेत की मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों संबंधी जानकारी होती है.
– इसमें सॉइल फर्टिलिटी, नाइट्रोजन (Nitrogen), ऑर्गेनिक कार्बन, जिंक और फास्फोरस आदि की मात्रा बताई जाती है.
– आपके खेत में कौन से पोषक तत्वों की कमी है वो इस कार्ड से पता चल सकता है.
– पोषक तत्वों की कमी पूरा करके कौन सी फसल की बुआई से फायदा होगा वो भी आपको इससे पता चल सकेगा.