भारतीय रुपया सोमवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले और कमजोर हो गया. रुपया 25 पैसे गिरकर 83.07 के स्तर पर आ गया. सोमवार को अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 83.04 पर खुला. फिर 83.07 प्रति डॉलर के भाव पर पहुंच गया. यह पिछले बंद स्तर की तुलना में 25 पैसे की गिरावट है. रुपया शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले 82.82 पर बंद हुआ था.
क्यों कमजोर हुआ रुपया
घरेलू शेयर बाजार में नकारात्मक रुख और कच्चे तेल की कीमतों में मजबूती के कारण रुपया कमजोर हुआ. विशेषज्ञों ने बताया कि अमेरिकी मुद्रा में मजबूती और विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली से भी रुपए की धारणा पर असर पड़ा. छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.17 फीसदी बढ़कर 103.01 पर पहुंच गया. वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा भी 86.04 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर कारोबार कर रहा है.
क्या होगा असर
कमजोर होता रुपया पहले से महंगे क्रूड ऑयल और कच्चे माल के आयात को और महंगा बना देगा. इससे देश में आयातित महंगाई और ज्यादा बढ़ जाएगी. मतलब आयात होने वाली हर चीज महंगी हो जाएगी.
महंगाई को मिलेगी नई हवा
कमजोर रुपए का सबसे ज्यादा असर महंगाई पर पड़ेगा. भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है. महंगे कच्चे तेल से उद्योगों की उत्पादन लागत बढ़ेगी और परिवहन खर्च में भी इजाफा होगा. इसका सीधा असर उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा. मतलब महंगाई से राहत की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है.
पेट्रोल-डीजल नहीं होगा सस्ता
कमजोर रुपए की वजह से अब पेट्रोल-डीजल के सस्ता होने की उम्मीद भी खत्म हो गई है. काफी लंबे समय से पेट्रोल-डीजल के दाम में कटौती की बात कही जा रही है. लेकिन रुपए के कमजोर होने से अब पेट्रोल-डीजल में कटौती करना तेल कंपनियों के लिए संभव नहीं होगा.
घरेलू खर्च में होगा बढ़ावा
ट्रांसपोर्ट कॉस्ट बढ़ने का अप्रत्यक्ष रूप से दैनिक उपयोग की चीजों पर असर पड़ता है. तेल से जुड़ी उत्पादन और परिवाहन लागत बढ़ने से हर चीज महंगी हो जाएगी. इससे आम आदमी का दैनिक खर्च भी बढ़ेगा. उनकी जीवन जीने की लागत पहले से ज्यादा हो जाएगी. इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद भी महंगे हो जाएंगे. मोबाइल फोन, लैपटॉप, टीवी और सोलर पैनल सहित घरों में उपयोग होने वाले अन्य सभी इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद महंगे हो जाएंगे. क्योंकि इन उत्पादों के अधिकांश उपकरण आयात होते हैं.
उद्योग, निर्यातक और आयातकों पर भी असर
डॉलर के मुकाबले रुपया जब भी कमजोर पड़ता है, तब निर्यातकों को तो फायदा होता है, लेकिन आयातकों को नुकसान उठाना पड़ता है. क्योंकि उन्हें पहले के मुकाबले अब ज्यादा कीमत चुकानी होगी. ऑयल एंड गैस, फूड और बेवरेज जैसे उद्योग आयातित कच्चे माल पर आधारित हैं, इसलिए कमजोर रुपए से इन पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा.
चालू खाता घाटा बढ़ेगा
भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से ज्यादा तेल आयात करता है. इसलिए कमजोर रुपए की वजह से उसका चालू खाता घाटा भी बढ़ेगा. आयात और निर्यात के बीच अंतर को चालू खाता घाटा कहा जाता है. विदेशी डॉलर भारत में कम आने से इस घाटे को पूरा करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करना होगा. इससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी कमी आएगी. देश का विदेशी मुद्रा भंडार अभी करीब 603 अरब डॉलर है.
विदेश में पढ़ना, घूमना होगा महंगा
कमजोर रुपया विदेश में पढ़ने वालों और घूमने जाने वालों की जेब पर भी बोझ बढ़ाएगा. कमजोर रुपए से ट्यूशन फीस, वीजा फीस, होटल खर्च और विदेश में रहने का खर्च भी बढ़ जाएगा. छात्रों और पर्यटकों को हर काम के लिए पहले से ज्यादा रुपए खर्च करने होंगे.
RBI पर बढ़ेगा दबाव
आयातित महंगाई बढ़ने से देश में खाने-पीने से लेकर हर चीज महंगी हो जाएगी. महंगर्इा बढ़ने से केंद्रीय बैंक पर इसे रोकने का दबाव भी बढ़ेगा. पिछली तीन बार से आरबीआई ने रेपो दर को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा है. लेकिन अगर खुदरा महंगाई दर 6 फीसदी से अधिक होती है, तब आरबीआई के सामने रेपो दर बढ़ाने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा.
कर्ज होगा महंगा
अगर आरबीआई अगली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक या इससे पहले रेपो दर में बढ़ोतरी करता है. तो इससे देश में कर्ज और महंगा हो जाएगा. बैंक भी अपना कर्ज महंगा करेंगे, जिससे होम, कार और पर्सनल लोन की ब्याज दर और ज्यादा बढ़ जाएगी. कर्ज महंगा होने से डिमांड पर भी असर पड़ने की आशंका है, जो देश की आर्थिक वृद्धि दर को प्रभावित करेगी.