भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शहरी सहकारी बैंकों (UCB) के प्रबंध निदेशकों और पूर्णकालिक निदेशकों (डब्ल्यूटीडी) के अधिकतम निरंतर कार्यकाल को 15 साल तक सीमित कर दिया है, जिससे इनका प्रोफेशनल मैनेजमेंट सुनिश्चित किया जा सके. वहीं आरबीआई ने फैसला लिया है कि अब सांसद या विधायक सहकारी बैंकों के निदेशक नहीं बन सकेंगे.
एमडी और डब्ल्यूटीडी की नियुक्ति के लिए दिशानिर्देश जारी करते हुए, आरबीआई ने कहा कि सांसद, विधायक और नगर निगमों के प्रतिनिधि प्राथमिक शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) में ऐसे पदों पर रहने के लिए पात्र नहीं होंगे. आरबीआई के मुताबिक, एमडी / डब्ल्यूटीडी को स्नातकोत्तर होना चाहिए या उसके पास फाइनेंस मैनेजमेंट में योग्यता होनी चाहिए. वह या तो चार्टर्ड/लागत लेखाकार, एमबीए (फाइनेंस) हो सकता है या उसके पास बैंकिंग या सहकारी व्यवसाय प्रबंधन में डिप्लोमा हो.
आरबीआई के मुताबिक, व्यक्ति की आयु 35 वर्ष से कम या 70 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए. ‘व्यक्ति के पास बैंकिंग क्षेत्र (संबंधित यूसीबी में प्राप्त अनुभव सहित) या लोन देने (लोन कंपनियों) या गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों में मध्यम / वरिष्ठ प्रबंधन स्तर पर कम से कम आठ वर्षों का संयुक्त अनुभव होना चाहिए.
सांसदों, विधायकों और नगर निगमों और स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों के अलावा, व्यापार, व्यापार या किसी कंपनी में पर्याप्त रुचि रखने वाले व्यक्ति भी ऐसे पदों पर नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होंगे.
नियुक्ति के कार्यकाल के संबंध में, इसने कहा कि व्यक्ति को अधिकतम पांच वर्षों के लिए नियुक्त किया जा सकता है. वहीं वह पुनर्नियुक्ति के लिए भी पात्र होगा.
हालांकि, इसने कहा कि एमडी या डब्ल्यूटीडी 15 साल से अधिक समय तक इस पद पर नहीं रहेंगे. इसके बाद अगर जरूरत है तो व्यक्ति को तीन साल के कूलिंग पीरियड के बाद फिर से नियुक्त किया जा सकता है.
इसमें आगे कहा गया है कि ‘यूसीबी जिनके मौजूदा एमडी/सीईओ ने पांच साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है, वे आरबीआई से संपर्क कर सकते हैं या तो पदधारी की फिर से नियुक्ति की मांग कर सकते हैं.
अगर कोई यूसीबी कार्यकाल की समाप्ति से पहले एमडी/डब्ल्यूटीडी की सेवाओं को समाप्त करने का निर्णय लेता है, तो उसे रिजर्व बैंक की पूर्वानुमति लेनी होगी. आरबीआई के मुताबिक ये निर्देश सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों पर लागू होते हैं.
वहीं आरबीआई ने एक अलग सर्कुलर में यूसीबी द्वारा 5,000 करोड़ रुपये और उससे अधिक की संपत्ति वाले सभी शहरी सहकारी बैंक एक सीआरओ की नियुक्ति करेंगे.