सरकार ने मौजूदा निवेशकों की जरूरतों को पूरा करने और संभावित निवेशकों की चिंताओं को खत्म करने के लिए राजस्व में होने वाले घाटे को स्वीकार किया है
पीवी सिंधु ने एक बार फिर देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है. हालांकि इस बार वह रियो ओलंपिक से बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई हैं. लेकिन लगातार दो ओलंपिक मेडल जीतना किसी के लिए आसान उपलब्धि नहीं है. सिंधु ने अपने खेल की शुरुआत उस समय की थी जब साइना का खेल अपने चरम पर था. दोनों ही खिलाड़ियों को पुलेला गोपीचंद ने ट्रेनिंग दी है. हालांकि यहां तक पहुंचने के लिए उनके त्याग, कड़ी मेहनत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
थका देने वाले ट्रेनिंग सेशन के बावजूद, वह एक दृढ़ संकल्पी खिलाड़ी के रूप में अपने गोल को पूरा करने के लिए लगातार कोशिश करती रहीं. अपना बेस्ट देने के लिए उन्होंने अपना सारा फोकस नए टारगेट को ध्यान में रखकर तैयार किया. जिसके बारे में शायद ही बहुत कम लोग सोच सकते हैं.
हालांकि टोक्यो ओलंपिक के लिए जाते समय सिंधु उस फॉर्म में नहीं थी,आमतौर पर जिस फॉर्म के लिए वह जानी जाती हैं. इसके बावजूद भी वह देश के लिए मेडल जीतने में सफल रही हैं.
हमें इस बात पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि कोरोना महामारी ने इस दुनिया के सबसे बेस्ट खिलाड़ियों को भी तोड़कर रख दिया है, लेकिन इन सबके बावजूद सिंधु उस स्थिति को टालने और देश को एक बार फिर गौरवान्वित करने में सक्षम रही हैं.
सिंधु और गोपीचंद के बीच अनबन की भी खबरें बाहर आई थी. इन सबके बावजूद भी वह इस ओलंपिक में कोच पार्क ताए-संग की ट्रेनिंग के बाद अपना असाधारण प्रदर्शन देने में सफल रही हैं. मौजूदा कठिन समय में भारत जैसे बड़े देश के लिए यह क्षण बहुत ही कम आते हैं. हमें उनकी इस प्रतिष्ठा को पहचानना चाहिए जिसकी वह हकदार है. ओलंपिक में महिला बैडमिंटन सिंगल्स में लगातार दो पदक जीतने वाली सिंधु दुनिया की चौथी खिलाड़ी है. वह भारत रत्न की हकदार है.