पुरानी पीढ़ी के बजाय देश की युवा पीढ़ी कर्ज लेने में ज्यादा सहज है. पैसा बाजार के अध्ययन से पता चलता है कि युवा भारतीयों में कर्ज की स्वीकार्यता बढ़ रही है. अध्ययन के मुताबिक 1990 में जन्में 22 फीसद युवा अपना पहला पर्सनल लोन और 24 फीसद 25 वर्ष की आयु से पहले क्रेडिट कार्ड लेते हैं. जबकि 1980 में जन्में लोगों ने 28 साल की औसत आयु में और 1970 में जन्में लोगों ने 38 साल की औसत आयु में कर्ज से जुड़ा कोई उत्पाद लिया था. पैसाबाजार के इस अध्ययन में 3.7 करोड़ उपभोक्ताओं को शामिल किया गया है.
अध्ययन के नतीजे युवाओं के बीच कर्ज की बढ़ती स्वीकार्यता की ओर इशारा करते हैं, जबकि पुरानी जनरेशन सिर्फ ज़रूरतों के लिए उधार लेते थे. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, व्यक्तियों का बकाया बैंक ऋण 47 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है, जो कुल बैंक ऋण का 32 फीसद है.
बैंकरों ने अक्सर कहा है कि असुरक्षित ऋण में वृद्धि सिर्फ इसलिए नहीं है क्योंकि बैंक उन पर जोर दे रहे हैं, बल्कि इसलिए भी है क्योंकि उपभोक्ताओं के बीच उधार लेने की मांग और सुविधा बढ़ रही है.
जिस उम्र में उपभोक्ता ऋण ले रहे हैं वह तेजी से घट रही है. पैसाबाजार की मुख्य उत्पाद अधिकारी राधिका बिनानी ने एक इन्टरव्यू में कहा, न केवल उपभोक्ता क्रेडिट को लेकर अधिक सहज हैं, बल्कि खुदरा क्रेडिट बाजार में उनके पास अधिक विकल्प हैं.
बिनानी ने कहा, ऐसा इसलिए है क्योंकि युवा ईएमआई पर बड़ी खरीदारी करने के इच्छुक हैं. वे यात्रा, स्मार्टफोन और गैजेट्स के लिए व्यक्तिगत ऋण ले रहे हैं. अभी बाजार में ऋण की मांग के साथ-साथ आपूर्ति भी है. अभी खरीदें-बाद में भुगतान करें (बीएनपीएल) के प्रसार से व्यक्तिगत ऋण क्षेत्र में कर्ज की मात्रा बढ़ी है.
अध्ययन में कहा गया है कि उधारकर्ता एक क्रेडिट उत्पाद से दूसरे क्रेडिट उत्पाद की ओर बढ़ते हैं, जिसकी शुरुआत 28 वर्ष की औसत आयु में दोपहिया वाहन ऋण और क्रेडिट कार्ड से होती है. बाद में वह व्यक्तिगत लोन और कन्ज्यूमर ड्यूरेबल्स लोन लेते हैं. अंत में युवा 33 वर्ष की आयु में घर खरीदने के लिए कर्ज का सहारा लेते हैं. वेतनभोगी ग्राहक इन उत्पादों का उपयोग स्व-रोज़गार की तुलना में थोड़ी कम उम्र करते हैं. उदाहरण के लिए, एक स्व-रोज़गार ग्राहक के होम लोन लेने की औसत आयु 34 वर्ष है, जबकि एक वेतनभोगी ग्राहक यह कर्ज दो साल पहले ले चुका होता है.
रिपोर्ट में भले ही वेतनभोगी और स्व-रोज़गार क्षेत्रों के बीच पहले क्रेडिट की औसत आयु की बात आने पर कुछ असमानता पाई गई, लेकिन इसमें कहा गया कि मेट्रो और छोटे शहरों के उपभोक्ताओं के बीच कोई अंतर दिखाई नहीं दे रहा है.
अध्ययन में पाया गया कि मेट्रो और गैर-मेट्रो दोनों उपभोक्ताओं को एक ही उम्र में कर्ज उपलब्ध है. उदाहरण के लिए, मेट्रो और गैर-मेट्रो दोनों उपभोक्ताओं के लिए पहला दोपहिया वाहन ऋण खाता खोलने की औसत आयु 28 वर्ष है, और पहला व्यक्तिगत ऋण और उपभोक्ता टिकाऊ ऋण लेने की औसत आयु 29 वर्ष है, जो दोनों के लिए समान है.
भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में असुरक्षित श्रेणी, व्यक्तिगत ऋण में तेज वृद्धि के बारे में चिंता व्यक्त की है. असुरक्षित ऋण की डिफॉल्ट के दौरान वसूली अधिक कठिन हो जाती है. कुछ बड़े बैंकों ने यह भी कहा है कि वे छोटे-टिकट वाले व्यक्तिगत ऋण क्षेत्र पर नजर रख रहे हैं.