image: pixabay, इकोनॉमिक सर्वे 2021 के अनुसार, अगले दशक में भारत का फार्मा बाजार तीन गुना बढ़ने की उम्मीद है. इसकी 2021 के 42 बिलियन डॉलर (एक्सपोर्ट सहित) से 2024 तक 65 बिलियन डॉलर तक पहुंचने और 2030 तक 120-130 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है.
Pharmacy start-ups: नए जमाने के फ़ार्मेसी स्टार्ट-अप (Pharmacy start-ups) असंगठित क्षेत्र को बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं. ये न केवल डिजिटल होकर असंगठित क्षेत्र को बाधित करने की कोशिश कर रहे बल्कि इनकी कोशिश किराना नेटवर्क के जरिए माइक्रो लेवल पर भी जाने की हैं. इनकी अमेरिका में असंगठित फार्मेसी रिटेल मार्केट पर भी नजरें हैं. बिजनेस स्टैंडर्ड ने इसे लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की है.
भीतरी इलाकों में स्थित असंगठित बाजार पर नजर
भारत में करीब 800,000 रिटेल फ़ार्मेसी हैं, जो कि दुनिया में सबसे बड़े नेटवर्क में से एक है. ऐसे में भीतरी इलाकों में स्थित बड़े पैमाने पर असंगठित भारतीय फार्मास्यूटिकल्स बाजार में पैठ जमाने के लिए नए प्रवेश कर्ता नए-नए तरीके अपना रहे हैं.
इकोनॉमिक सर्वे 2021 के अनुसार, अगले दशक में भारत का फार्मा बाजार तीन गुना बढ़ने की उम्मीद है. इसकी 2021 के 42 बिलियन डॉलर (एक्सपोर्ट सहित) से 2024 तक 65 बिलियन डॉलर तक पहुंचने और 2030 तक 120-130 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है.
किराना स्टोर नेटवर्क के जरिए विस्तार की योजना
राजस्थान स्थित स्टार्ट-अप दवा दोस्त जैसे प्लेयर देश में विशाल किराना स्टोर नेटवर्क की मदद से खुद को एक्सपेंड करने की कोशिश कर रहे हैं.
ओमनी-चैनल फ़ार्मेसी प्लेटफ़ॉर्म, दवा दोस्त के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमित चौधरी ने कहा, ‘हम हर भारतीय की पांच मिनट की पहुंच में रहना चाहते हैं, और यह तभी संभव है जब हम विशाल किराना स्टोर नेटवर्क का लाभ उठाएं.
जयपुर के आसपास अब तक लगभग 2,500 किराना स्टोर ऑनबोर्ड किए जा चुके हैं.’ चौधरी ने कहा, ‘हम अपने तकनीकी प्लेटफॉर्म का उपयोग करके किराना स्टोर से ऑर्डर लेते हैं और फिर इन ऑर्डर को हमारे स्टोर पूरा करते हैं.’
क्या कहा दवा दोस्त के CEO ने?
एक दवा दोस्त फार्मेसी स्टोर में लगभग 100 फीडर किराना स्टोर होंगे जो ऑर्डर जेनरेट करेंगे. चौधरी ने कहा, ‘अब हमारे पास अपने किराना स्टोर से 35 प्रतिशत उत्पादकता है. इसका मतलब है कि 35 फीसदी स्टोर ने हमें ऑर्डर दिए हैं.
हम इसे 66 फीसदी तक ले जाना चाहते हैं.’ दवा दोस्त एक या दो साल में 15,000 किराना स्टोर के नेटवर्क को लक्षित कर रहा है. दवा दोस्त अपने प्लेटफॉर्म पर 70,000 से अधिक जेनेरिक दवाएं बेचता है. इसने पिछले 12 महीनों में 12X से अधिक की ग्रोथ दर्ज की है.
MedleyMed की नजर ग्लोबल मार्केट पर
एक और स्टार्ट-अप मेडलेमेड (MedleyMed) की नजर ग्लोबल मार्केट पर है. एथेना ग्लोबल टेक्नोलॉजीज और MedleyMed के मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) एम सतीश ने कहा, भारत के विपरीत, अमेरिकी बाजार का 85 प्रतिशत संगठित है.
असंगठित 15 फीसदी फार्मेसी बाजार में करीब 5,000 खुदरा स्टोर हैं. मेडलेमेड छोटे और मध्यम आकार के थोक विक्रेताओं के साथ-साथ खुदरा विक्रेताओं को भी जोड़ने की कोशिश कर रहा है.
सतीश ने कहा, ‘ये स्टोर 55-60 बिलियन डॉलर के मार्केट साइज को एड्रेस करते हैं, और यह एक बड़ा बाजार है.’ उन्होंने ये भी कहा कि हम भारतीय जेनेरिक फार्मा कंपनियों से संपर्क करेंगे, जो अमेरिकी बाजार में आपूर्ति करती हैं ताकि वे फार्मेसी बाजार के इस सेगमेंट में अपनी पैठ जमा सके.
क्या कहा MedleyMed के मैनेजिंग डायरेक्टर ने?
मेडलेमेड भारत में टेलीमेडिसिन की सुविधा प्रदान करता है और खुदरा फार्मेसियों को दवाओं की आपूर्ति करता है. सतीश ने कहा, ‘हम खुदरा फार्मेसियों को उचित मूल्य पर दवाएं प्राप्त करने में मदद कर रहे हैं और अपने प्लेटफॉर्म के माध्यम से स्टैंडअलोन रिटेलर्स को ई-फार्मेसी विकल्प भी दे रहे हैं.
स्टैंडअलोन रिटेल फ़ार्मेसीज़ भी मेडलेमेड ब्रांडिंग का विकल्प चुन सकती हैं, और इस प्रकार, मेडलेमेड का लक्ष्य ऐसे फ्रैंचाइज़ी स्टोर्स का एक नेटवर्क बनाना है. सतीश ने कहा 2023 तक कंपनी का लक्ष्य देश में 41,800 फार्मेसियों को जोड़ना है. भारत के सबसे बड़े संगठित फार्मेसी नेटवर्क अपोलो फार्मेसी के देश भर में 3,500 से अधिक स्टोर हैं.
क्या कहा फार्मेसी चेन मेडकार्ट के फाउंडर ने?
फार्मेसी चेन मेडकार्ट के फाउंडर और डायरेक्टर अंकुर अग्रवाल गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान में स्टोर चलाते हैं और जेनेरिक दवाएं बेचते हैं.
अग्रवाल ने कहा, ‘पहले से ही, तीन या चार बड़ी ई-फार्मेसी हैं. चूंकि इन फार्मेसी चेन्स को अपनी ऑफ़लाइन उपस्थिति का विस्तार करने की आवश्यकता होगी, इसलिए कई क्षेत्रीय फ़ार्मेसी नेटवर्क बिक्री के लिए तैयार होंगे.
भारत में संगठित फार्मेसी व्यवसाय भी काफी हद तक क्षेत्रीय है. उदाहरण के लिए, वेलनेस फॉरएवर और नोबल की पश्चिमी भारत में उपस्थिति है जबकि अपोलो मुख्य रूप से दक्षिणी बाजार में मौजूद है.
अग्रवाल ने कहा कि इन माइक्रो-मार्केट में ग्रोथ की पर्याप्त गुंजाइश है. उदाहरण के लिए, मेडकार्ट, पैन इंडिया प्रजेंस के बजाय अपने घरेलू बाजार गुजरात और राजस्थान में विस्तार करने की योजना बना रहा है.