देश में होने वाले ऑनलाइन फ्रॉड (online fraud) के मामले चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में पहली की तुलना में घटे हैं. दुनियाभर के डिजिटल ट्रांजैक्शन मॉनिटर करने वाली कंपनी ट्रांसयूनियन के क्वॉर्टर्ली एनालिसिस से बात सामने आई है. विश्व भर में जिस दौरान फ्रॉड की कोशिशों में 16.5 प्रतिशत इजाफा हुआ है, तब भारत में ऐसे मामलों में 49 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है. यह अच्छी खबर है.
हमारे देश में नीतिगत रूप से डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा दिया जा रहा है. ऐसे में इस तरह के आंकड़े सामने आना खुशी की बात है. इस उपलब्धि का श्रेय हमलों के खिलाफ नीतियां बनने, फाइनेंशियल सेवाएं देने वाली कंपनियों की तरफ से जरूरी कदम उठाए जाने, बैंकिंग नियामक RBI और सरकारों की ओर से लगातार किए जा रहे प्रयासों को दिया जा रहा है.
तेजी से डिजिटलीकरण को अपना रहे लोगों के लिए यह राहत की बात है. मगर यह नहीं माना जा सकता कि हम धोखाधड़ी करने वालों से सुरक्षित हो चुके हैं. चोर हमेशा पुलिस से एक कदम आगे होते हैं. मामलों में हुई गिरावट कभी भी फिर से बढ़ सकती है. एक बार उन्हें फिलहाल तैनात सुरक्षा प्रणाली के इर्द-गिर्द से रास्ता मिला, वे फिर से हरकत में आ जाएंगे. फ्रॉड करने वाले भले अभी ब्रेक पर हैं, पुलिस आराम नहीं कर सकती.
साथ ही, रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्तीय सेवाओं के सुरक्षा कवच मजबूत होने से धोखाधड़ी करने वालों ने ट्रैवल, लेजर, लॉजिस्टिक्स, गेमिंग और ऑनलाइन फॉरम जैसे क्षेत्रों पर फोकस करना शुरू किया है. हो सकता है फाइनेंशियल सर्विस के ग्राहकों पर अब तक खतरा बनकर मंडराने वाले इन सेक्टरों को अपना अगला शिकार बनाएं.
ट्रैवल और लेजर में उपभोक्ताओं की हिस्सेदारी अच्छी होती है. उन्हें आसानी से फ्रॉड में फंसाया जा सकता है. ऐसे में इन सेक्टरों को कमर कस लेनी चाहिए.
दुनिया जैसे-जैसे डिजिटल होती जा रही है, साइबर दुनिया को अधिक रिसोर्सेज की जरूरत पड़ने वाली है. इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन के सर्वे के मुताबिक, भारत 2020 में साइबरसिक्योरिटी इंडेक्स में 37 पायदान चढ़कर 10वें पर पहुंच गया था. हालांकि, इस सूचि में टॉप पर बैठे अमेरिका और भारत के बीच आंकड़ों का फासला काफी बड़ा है. देश को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.