शहरों में जलभराव होना हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है. लेकिन मुंबई (Mumbai) की तरह कहीं भी यह समस्या नियमित और इतनी खतरनाक नहीं होती है. जलभराव से मुंबई (Mumbai) में जान-माल की हानि और सेवाओं में खराबी के साथ ही सामान्य जनजीवन को बेहिसाब क्षति पहुंचती है
देश के सभी प्रमुख शहरों में, नीति निर्माताओं को मानसून के दौरान आने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए एक दीर्घकालिक योजना के लिए समझौता करना पड़ता है. वह भी ऐसी स्थिति में जब एक तरफ इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट लॉबी और दूसरी तरफ पर्यावरण समूह के बीच पहले से ही खींचतान चल रही हो. ग्रीन लॉबी वालों का मनाना हैं कि मेट्रो रेल और कोस्टल रोड कथित रूप से बारिश (Rain) के पानी को रोक रहे हैं. तेजी से बढ़ रहे ये प्रोजेक्ट शहर की पांरम्परिक समस्या को और बड़ा रहे हैं.
शहर के विकास पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। ना ही आज के लोग उन समस्याओं को झेल सकते हैं जिनका सामना मुंबई को हर मानसून में करना पड़ता है. एक्सपर्टस को ज्यादा बारिश में शहर की परेशानी को कम करने के लिए परिवर्तनकारी रणनीतियों के लिए एक दीर्घकालिक खाका तैयार करने के जरूरत है.
रणनीतियों को तैयार करने के लिए बेस्ट एजेंसियों की जरूरत है. उससे भी जरूरी यह है कि राजनेताओं और राजनीति को ऐसी किसी भी रणनीति से दूर रहना चाहिए जो एजेंसियां बता सकती हैं. यह कोई ऐसी समस्या नहीं है जिसका समाधान ना खोजा जा सके. यह एक बहुत ही मंहगी और लंबे समय तक चलने वाली योजना है. इसके लिए समाज को कई समझौते भी करने पड़ सकते हैं. लेकिन जलभराव जैसी समस्या को का कोई न कोई समाधान अवश्य ही होना चाहिए जो इस शहर के नाम को खराब कर रहा है. पूरी दुनिया में बारिश (Rain) जीवन का प्रतीक है.लेकिन यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण होगा कि हम इस समस्या का हल ना निकाल पाएं.