देश में नेशनल टेलीमेडिसिन सेवा को लोगों द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है. यही कारण है कि नेशनल टेलीमेडिसिन सेवा, ई-संजीवनी ने मंगलवार को 1.2 करोड़ (120 लाख) परामर्श पूरे कर लिए हैं. इसके साथ ही नेशनल टेलीमेडिसिन सेवा से रोजाना 90,000 मरीज लाभ ले रहे हैं. मौजूदा समय में यह राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा 31 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में काम कर रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने नवंबर 2019 में भारत सरकार के आयुष्मान भारत योजना के तहत 1,55,000 स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों पर ई-संजीवनी, एक टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म- की परिकल्पना की थी. मार्च 2020 में कोरोना महामारी के कारण, देशभर में OPD बंद होने पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (मोहाली) के सहयोग से इस पहल को शुरू किया.
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक मंगलवार तक ई-संजीवनी (डॉक्टर टू डॉक्टर) ने लगभग 67,00,000 परामर्श पूरे कर लिए हैं. आंध्र प्रदेश, ई -संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी सेवाओं को शुरू करने वाला पहला राज्य था.
ई-संजीवनी OPD, 13 अप्रैल 2020 को देश में पहले लॉकडाउन के दौरान शुरू की गई थी. इस दौरान देश के कई हॉस्पिटल में OPD सेवा बंद थी. अब तक, ई-संजीवनी OPD के माध्यम से 51,00,000 से अधिक मरीजों को परामर्श दिया जा चुका है.
ई-संजीवनी सेवा से लोग घर बैठे तमाम बीमारियों के लिए डॉक्टर्स से फ्री कंसल्टेशन ले रहे हैं. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की नेशनल टेलीमेडिसिन सेवा ई-संजीवनी दो मोड के जरिए चलती है. एक डॉक्टर टू डॉक्टर टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म और दूसरी ई-संजीवनी OPD.
कई राज्यों में लोगों ने ई-संजीवनी के फायदों को तेजी से पहचाना है. इससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार हुआ है. इसके अलावा, यह सेवा शहरी क्षेत्रों के रोगियों के लिए भी उपयोगी बन गई है.
भारत सरकार की इस नेशनल टेलीमेडिसिन सेवा ने डिजिटल स्वास्थ्य के मामले में शहरी और ग्रामीण भारत के बीच मौजूद अंतर को कम कर इंडियन हेल्थकेयर सिस्टम को सहयोग देना शुरू कर दिया है. यह सेवा अस्पतालों पर बोझ को कम करते हुए जमीनी स्तर पर डॉक्टरों और विशेषज्ञों की कमी को भी दूर कर रही है. राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के अनुरूप, ई-संजीवनी देश में डिजिटल स्वास्थ्य के इकोसिस्टम को भी मजबूत कर रही है.