नए मोबाइल नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर (Mobile Tower) को स्थापित करने में देरी होने से लोगों को जल्द ही मोबाइल सेवाओं में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल नए मोबाइल नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर (Mobile Tower) को स्थापित करने के लिए अभी बहुत सारी एप्लीकेशन क्लीयरिंग के लिए रखी हुई हैं. जबतक इन एप्लीकेशन पर अनुमति नहीं मिलेगी नए मोबाइल टॉवर (Mobile Tower) नहीं लग सकेंगे. जबकि मोबाइल यूजर की संख्या लगातार तेजी से बढ़ रही है.
एयरपोर्ट के पास लगाए जाने हैं टॉवर
मोबाइल कंपनियों की ओर से ज्यादातर मोबाइल टॉवर (Mobile Tower) निजी एयरपोर्ट के आसपास लगाए जाने हैं. जिससे एयरपोर्ट के पास लोगों को अच्छा नेटवर्क मिल सके और लोगों को कॉल कनेक्ट होने में या कॉल करने में दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़े. वहीं लोगों को अच्छे इंटरनेट की सुविधा भी मिल सके.
हजारों एप्लीकेशन रखी हुई हैं
एक रिपोर्ट के अनुसार अभी भी नए मोबाइल टॉवरों (Mobile Tower) को लगाने के लिए करीब 30 हजार एप्लीकेशन स्टैंडिंग एडवाइजरी कमेटी ऑन रेडियो फ्रीक्वेंसी एलोकेशन (SACFA) के पास कतार में रखी हुई हैं. जबतक इनपर सहमति नहीं मिल जाएगी तबतक नए टॉवर नहीं लग सकेंगे. वहीं नए टॉवरों के नहीं लगने से मोबाइल यूजर को समस्याएं हो सकती हैं.
मोबाइल कंपनियों को मोबाइल टॉवर (Mobile Tower) को लगाने से पहले उस जगह और टॉवर की ऊंचाई के लिए परमीशन की जरूरत होती है. परमीशन मिलने के बाद ही कंपनी संबंधित जगह पर अपना मोबाइल टॉवर लगा सकती है.
लगातार बढ़ रहे हैं यूजर
मोबाइल यूजर लगातार बढ़ रहे हैं. ऐसे में अब कंपनियों को भी नए टॉवरों (Mobile Tower) को लगाने की जरूरत है. वहीं कई जगह ऐसी हैं जहां अभी भी लोगों को मोबाइल के पर्याप्त सिग्नल नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में कई बार उन्हें कॉल नहीं मिलने और इंटरनेट कनेक्टिविटी में समस्या आती है. इसी को लेकर अब कंपनियां नए मोबाइल टॉवरों को लगाने के लिए प्रयास कर रही हैं.