चौंसठ लाख की लैंड रोवर डिस्कवरी खरीदना हर किसी के बस की बात नहीं है. लेकिन, ऊंचाइयों को छूने का एक जज्बा मन में हो, तो मेहनत कर कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है. हमारे देश में तेजी से आंत्रप्रेन्योर्स की संख्या बढ़ रही है. इन नए जमाने के आंत्रप्रेन्योर्स की खास बात यह है कि ये 10 से 14 घंटे तक काम करते हैं और लग्जरी लाइफ स्टाइल जीते हैं. इन आंत्रप्रेन्योर्स के शौक भी नए जमाने के हिसाब से बिलकुल अलग हैं. किसी को लैंड रोवर पसंद है तो किसी को पूरी दुनिया घूमने का शौक है. आज हम आपको ऐसे ही आंत्रप्रेन्योर्स से मिलवाने जा रहे हैं.
लग्जरी कारों के दीवाने अशोक चौहान
जोधपुर के अशोक चौहान के स्कूल के रास्ते में एक हैंडीक्राफ्ट शॉप पड़ती थी. वे जब भी स्कूल से वापस आते, तो थोड़ी देर उस दुकान पर जरूर रुकते. हैंडीक्राफ्ट प्रॉडक्ट्स खरीदने वाले लग्जरी कारों से उतरते लोगों को देखकर वे सोचते थे कि एक दिन वे भी एक बड़ा बिजनेस खड़ा करेंगे.
हैंडीक्राफ्ट उत्पादों में इतनी उत्सुकता थी कि किसी भी हैंडीक्राफ्ट फैक्ट्री में चले जाते और कारीगरों से बात करते. अशोक कहते हैं व्यक्ति जैसी संगत करता है वैसा ही बन जाता है. आज उनका खुद का लेदर फर्नीचर का बिजनेस है. 35 से अधिक देशों में उनके उत्पाद निर्यात होते हैं. आज वे लग्जरी लाइफ स्टाइल जीते हैं. उनके फॉर्म हाउस पर चार लग्जरी गाड़िया हैं.
अशोक को नेशनल आंत्रप्रेन्योरशिप अवॉर्ड और राजस्थान उद्योग रत्न अवार्ड भी मिल चुका है. वे राजस्थान के 30 बड़े करदाताओं में शामिल हैं. अशोक कहते हैं कि उनका टारगेट अपने जैसे 100 नए आंत्रप्रेन्योर खड़े करना है.
दुनिया घूमने के शौकीन अजय
कोई भी सफलता बिना मेहनत के हासिल नहीं होती और मेहनत करके किसी भी सपने को साकार किया जा सकता है. यह कहना है जोधपुर के हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर अजय शर्मा का. अजय छोटे शहरों के उन उद्यमियों में से हैं, जिन्होंने काफी कम समय में ऊंचाइयों को छुआ है.
अजय शर्मा गाड़ियों के शॉकर, कल्च प्लेट, बेयरिंग, जूट की बोरियां और पुरानी जींस जैस कबाड़ का उपयोग कर अपने उत्पाद बनाते हैं. जोधपुर के अजय शर्मा के ऑटोमोबाइल फर्नीचर, वाइन रेक्स, डाइनिंग टेबल जैसे उनके उत्पाद 25 से अधिक देशों में एक्सपोर्ट होते हैं.
अजय बताते हैं कि बिजनेस में आने से पहले उन्होंने 1,200 रुपये महीने से लेकर 6,000 रुपये महीने तक में इंटीरियर और हैंडीक्राफ्ट डिजाइनर के रूप में काम किया. इतनी कम सैलरी पाते हुए भी उन्हें अपना खुद का बिजनसे शुरू करने के आइडियाज आते रहते थे.
उन्हें कंटेनर पैकिंग स्टफिंग के काम में अच्छा बिजनेस दिखाई दिया, तो हाथ आजमाया. 60 लोगों की लेबर के साथ हर महीने करीब 100 कंटेनर का काम आ जाता. बिजनेस काफी फायदे में चल रहा था. अच्छा खासा मुनाफा हो रहा था, लेकिन उन्हें आगे बढ़ना था. उन्होंने इस प्रॉफिटेबल बिजनेस को बंद किया और करीब 7 साल पहले 20-25 लाख की पूंजी लेकर हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट के बिजनेस में आ गए हैं.
आज छह बीघे जमीन में इनकी खुद की फैक्ट्री है और दस बीघा में एक और नई फैक्ट्री बनाने की योजना बना रहे हैं. कारोबार बढ़ा तो लाइफ स्टाइल भी लग्जरी हो गई. अजय के पास एक से बढ़कर एक 7 लग्जरी कारें हैं.
हाल ही में इन्होंने एमजी ग्लोस्टर खरीदी है. 50 से अधिक देशों की यात्रा कर चुके अजय को फ्री हैंड स्केचिंग का भी शौक है. अजय बताते हैं कि वे भले ही लग्जरी लाइफ स्टाइल जीते हों, लेकिन रोज 10 से 12 घंटे काम भी करते हैं और यही उनकी इस सफलता का राज है.