Malls: मॉल में शोरूम खोलने की बजाए अब खुदरा व्यापारी बड़े बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं. कोरोना महामारी की दोनों लहरों के बाद नए मॉल बनना बंद होना, अच्छे मॉल की कमी और पुराने मॉलों का बंद होना इसका सबसे बड़ा कारण है. बड़े मार्केट में शोरूम खोलने वाले खुदरा व्यापारियों की संख्या में इजाफा हुआ है. क्योंकि मांग में सुधार होने से उनकी विस्तार योजनाओं की रफ्तार तेज हुई है.
बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के अनुसार जेएलएल इंडिया के प्रबंध निदेशक शुभ्रांशु पाणि ने कहा, पिछले दो सालों में कोरोना महामारी के कारण नए मॉल बनने की रफ्तार कम हुई है, दरअसल धन की कमी और व्यापार पर कोरोना की मार ने नए निर्माण कार्य पर अंकुश लगा दिया है.
वहीं खुदरा विक्रेताओं का बात करें तो वह अब बड़े बाजारों में अपना शोरुम खोलना उचित समझ रहे हैं. खुदरा विक्रेताओं के बड़े बाजारों की ओर रुख करने के कारण मॉल संचालकों को इनकी कमी महसूस हो रही है. अच्छे खुदरा विक्रेताओं नहीं मिलने के कारण भी नए मॉल नहीं बन पा रहे हैं.
पाणि ने कहा कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर में सबसे पहले मॉल्स को ही बंद कराया गया था क्योंकि यहां सबसे ज्यादा भीड़ होती है.
जब कोविड नियमों में कुछ राहत मिली तो मॉल संचालकों को इन्हें वापस खोलने की अनुमति के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा और जब अनुमति मिली तो पता लगा एक सीजन ही निकल गया था.
इन सब परेशानियों को देखने के बाद खुदरा व्यापारी मॉल में अपना व्यापार चलाना पसंद नहीं कर रहे हैं.
पाणि ने कहा कि बड़े खुदरा विक्रेता अपने 50 प्रतिशत शोरूम बड़े बजारों में खोल रहे हैं पहले यह आंकड़ा 25 प्रतिशत था. छोटे ब्रांडों की बात करें तो यह 50 प्रतिशत नए शोरूम मॉल में और शेष बड़े बाजारों में खोल रहे हैं.
इससे पहले छोटे ब्रांड केवल 10 प्रतिशत शोरूम ही मॉल के बाहर खोलते थे. पेपे जीन्स इंडिया के सीईओ मनीष कपूर ने कहा कि वर्तमान में हमारे 65 प्रतिशत शोरूम मॉल में और शेष बड़े बाजारों में हैं.
हमें मॉल में व्यापार करने में कोई परेशानी नहीं बशर्तें की अच्छे मॉल उपलब्ध हों. नाइट फ्रेंक इंडिया के निदेशक अभिषेक शर्मा ने कहा कि मॉल संचालकों ने किराएं में भी बढ़ोतरी कर दी है क्योंकि मांग लगभग कोरोना से पहले के स्तरों पर पहुंच गई है.
बहुत से ब्रांड हर मॉल में जाने के बजाए केवल नामी गिरामी मॉल में ही रहना पसंद करते हैं. बाकी बड़े बाजारों में विस्तार के बारे में सोच रहे हैं.