बेंगलुरू, मुंबई, नोएडा जैसे बड़े शहरों के बाद अब आईटी कंपनियां अपने ऑफिस खोलने के लिए टियर-2 और छोटे शहरों की ओर रुख कर रही हैं. जानी मानी आईटी सर्विस कंपनी कॉग्निजेंट भी बड़े शहरों के अलावा अब छोटे शहरों में भी अपने कुछ ऑफिस खोलने जा रही है. कंपनी ने कहा है कि वह वर्ष 2025 तक अपनी सालाना रियल एस्टेट लागत को 100 मिलियन डॉलर तक कम करने की उम्मीद कर रही है. आईटी दिग्गज इंफोसिस ने भी पिछले कुछ सालों में छोटे शहरों में अपने ऑफिस खोले हैं. पिछले 5 सालों में इस कंपनी ने भुवनेश्वर और जयपुर के अलावा तिरुवनंतपुरम, नागपुर, इंदौर, हुबली, मोहाली जैसे दूसरे छोटे शहरों में अपने ऑफिस खोले हैं.
रियल एस्टेट लागत बड़ी चुनौती
छोटे शहरों की तरफ़ रुख करने के पीछे एक कारण ये है कि बड़े शहरों में ज़मीन बहुत महंगी है और निर्माण लागत भी ज्यादा है इसलिए कंपनियां रियल एस्टेट की लागत में कटौती करना चाहती हैं. ANAROCK की रिसर्च के अनुसार, बेंगलुरु और मुंबई में प्रति वर्ग फुट प्रति माह औसत ऑफिस स्पेस का किराया क्रमशः 85 रुपए और 132 रुपए है. एनसीआर के लिए यही दर 82 रुपए, चेन्नई और हैदराबाद के लिए 62 रुपए है और कोलकाता के लिए 54 रुपए है. टियर 2 शहरों में इससे भी कम दरों में प्रतिमाह किराए पर ऑफिस स्पेस मिल जाता है. यही वजह है कि बड़ी आईटी कंपनियां ही नहीं बल्कि छोटी कंपनियां भी छोटे शहरों में अपने सेंटर खोल रही हैं. बिरलासॉफ्ट ने वित्त वर्ष 2022-23 की मार्च तिमाही के दौरान 250 लोगों के बैठने की क्षमता के साथ कोयम्बटूर में एक नया डिलीवरी सेंटर शुरू किया. इसने कोयम्बटूर को एक उभरते हुए कम लागत वाले तकनीकी प्रतिभा केंद्र के रूप में पहचान दिलाई. एक और मिडकैप आईटी फर्म हैपिएस्ट माइंड्स ने इस साल कोयम्बटूर और मदुरै में अपने सेंटर खोले. इससे पहले पिछले साल कंपनी ने भुवनेश्वर में एक सेंटर खोला था.
कर्मचारियों का हित
कोरोना के बाद से हाइब्रिड मॉडल का कल्चर बढ़ा है. कर्मचारी घरों से काम करना चाहते हैं या घरों के पास रहकर. इसी कारण कई कंपनियां जिनमें कोरोना के बाद कर्मचारियों को ऑफिस से काम करने को बाध्य किया गया वहां बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने नौकरी भी छोड़ी है. इसलिए छोटे शहरों में अपने सेंटर खोलने के पीछे एक उद्देश्य है ये भी है कि कर्मचारियों के नौकरी छोड़कर जाने की दर को कम हो और उनका बेहतर वर्क-लाइफ़ बैंलेंस बन सके. विशेषज्ञों का मानना है कि कर्मचारी घरों के पास काम करेंगे तो इससे नौकरी छोड़कर जाने वाले कर्मचारियों की संख्या में कमी लाने में कंपनियों को मदद मिलेगी.