विपक्ष के विरोध के बीच, लोकसभा ने 2 अगस्त को साधारण बीमा कारोबार (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021 को पास किया. यह बिल 1972 के साधारण बीमा विधेयक में संशोधन करता है, जिसने साधारण बीमा का राष्ट्रीयकरण किया था. इस संशोधन के बाद सरकार जनरल इंश्योरेंस कंपनी की चार सहायक कंपनियों- नेशनल इंश्योरेंस कंपनी, न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी में अपनी 51% की न्यूनतम शेयरधारिता आवश्यकता को कम कर सकती है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में बजट पेश करते हुए वित्त वर्ष 2021-22 में एक साधारण बीमा कंपनी और दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव रखा था. हालांकि, वित्त मंत्री ने कहा कि यह निजीकरण के लिए नहीं बल्कि नागरिकों की भागीदारी को सक्षम बनाने के लिए है. उन्होंने कहा कि इस कदम से बीमा कंपनियों के तेजी से विकास में मदद मिल सकती है. साथ ही यह निजी समकक्षों के अनुरूप बाजार में अधिक नवीन बीमा उत्पादों को भी जन्म दे सकता है.
हिस्सेदारी में कमी से सरकार को अपने विनिवेश लक्ष्यों को पूरा करने में भी मदद मिलेगी. सरकार ने बजट के दौरान वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में हिस्सेदारी बिक्री से 1.75 लाख करोड़ रुपये की रकम जुटाने का लक्ष्य रखा था.
विधेयक के पारित होने के साथ यह उम्मीद की जाती है कि भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के अलावा एक और सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी इस वित्त वर्ष में सार्वजनिक हो जाएगी. एलआईसी का आईपीओ देश का सबसे बड़ा आईपीओ होने की उम्मीद की जा सकती है. देखना होगा कि जनता को ये दोनों आईपीओ कैसे मिलते हैं. हाल के दिनों में आईपीओ के उत्साह को देखते हुए बीमा कंपनियों के सार्वजनिक निर्गम को अच्छी प्रतिक्रिया मिलने की उम्मीद की जा सकती है. यह संशोधन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को नवीन उत्पादों की पेशकश करके ग्राहकों की मांग को पूरा करने में मदद करेगा.