चिंताजनक स्तर पर है भारत में महंगाई दरः मूडीज एनालिटिक्स

मूडीज एनालिटिक्स ने कहा है कि ईंधन के ऊंचे दाम खुदरा महंगाई दर पर दबाव बनाए रखेंगे. इससे RBI के लिए ब्याज दरों में आगे कटौती मुश्किल होगी.

Global inflation nearing peak, expected to reach pre-pandemic levels next year: IMF

IMF ने कहा कि मुद्रास्फीति में तेजी, विशेष रूप से उभरते बाजारों में अक्सर शार्प एक्सचेंज रेट डेप्रिसिएशन से जुड़ी होती है.

IMF ने कहा कि मुद्रास्फीति में तेजी, विशेष रूप से उभरते बाजारों में अक्सर शार्प एक्सचेंज रेट डेप्रिसिएशन से जुड़ी होती है.

भारत की महंगाई संतोषजनक स्तर से काफी ऊंची है और एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में यह अपवाद है. मूडीज कॉरपोरेशन की इकाई मूडीज एनालिटिक्स ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में ये बात कही है. रिस्क, परफॉर्मेंस आदि से संबंधित आर्थिक शोध उपलब्ध कराने और परामर्श देने वाली मूडीज एनालिटिक्स ने कहा कि ईंधन के ऊंचे दाम खुदरा महंगाई दर पर दबाव बनाए रखेंगे. इससे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए नीतिगत दर में आगे कटौती मुश्किल होगी.

खुदरा महंगाई दर फरवरी में बढ़कर 5 फीसदी पर पहुंच गई जो जनवरी में 4.1 फीसदी थी. रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर पर गौर करता है. मूडीज एनालिटिक्स ने कहा है कि मुख्य मुद्रास्फीति (खाद्य, ईंधन और प्रकाश की महंगाई दर को छोड़कर) फरवरी में बढ़कर 5.6 फीसदी रही है जो जनवरी में 5.3 फीसदी थी. मूडीज ने कहा है कि भारत में महंगाई दर काफी ऊंची है.

मूडीज एनालिटिक्स ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा है कि एशिया के ज्यादातर देशों में महंगाई कम है और तेल के दाम में वृद्धि तथा अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे खोले जाने से 2021 में इसमें तेजी आने की आशंका है. पिछले कुछ वक्त से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आ रही है. इसके चलते भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गई हैं. हालांकि, पिछले कुछ दिनों से देश में पेट्रोल और कीमतों की कीमतों पर लगाम लगी हुई है और इस दौरान इनमें मामूली गिरावट भी आई है. लेकिन, अभी भी देश में तेल के दाम ऊंचे स्तर पर मौजूद हैं.

इस साल वैश्विक बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड का दाम 26 फीसदी उछलकर 64 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है. कोविड-19 संकट जब अपने चरम के करीब था, यह मार्च 2020 में 30 डॉलर प्रति बैरल था.
मूडीज एनालिटिक्स के अनुसार, ‘‘मुद्रास्फीति के मामले में भारत और फिलीपींस अपवाद हैं. इन अर्थव्यवस्थाओं में महंगाई की दर संतोषजनक स्तर से कहीं ऊपर है. इससे सरकारों के लिए चुनौतियां बढ़ रही हैं.’’

मूडीज एनालिटिक्स ने कहा है कि भारत की मुद्रास्फीति चिंताजनक है. खाद्य वस्तुओं के दाम में उतार-चढ़ाव और तेल के दाम में तेजी से खुदरा महंगाई दर 2020 में कई बार उच्च सीमा 6 फीसदी से ऊपर पहुंच गई. इससे रिजर्व बैंक के लिए नीतिगत दर में और कटौती मुश्किल हो रही है. मौद्रिक नीति व्यवस्था के तहत आरबीआई को मुद्रास्फीति 2 फीसदी घट-बढ़ के साथ 4 फीसदी पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है. मूडीज एनालिटिक्स ने यह भी कहा, ‘‘आरबीआई मुद्रास्फीति को इस दायरे में रखने के लक्ष्य को 31 मार्च की मौजूदा समयसीमा के बाद भी बनाए रख सकता है.’’

Published - March 30, 2021, 06:47 IST