कोविड के दौर में बढ़ी अमीर-गरीब की खाई, RBI के पूर्व गवर्नर ने असमान रिकवरी पर आगाह किया

RBI के पूर्व गवर्नर ने सरकार से मांग की है कि मनरेगा पर सरकार को ज्यादा रकम खर्च करनी चाहिए ताकि मुश्किल में फंसी गरीब आबादी को मदद मिल सके.

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PTI, Former RBI governor D Subbarao

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रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने उच्च आय वर्ग और कम कमाई वाले तबके के बीच बढ़ती असमानता पर चिंता जताई है. उन्होंने देश में बेहद असमान आर्थिक रिकवरी को लेकर भी चिंता जाहिर की है और कहा है कि इस ट्रेंड से आगे चलकर ग्रोथ की संभावनाओं पर बुरा असर पड़ेगा.

RBI के पूर्व गवर्नर ने सरकार से मांग की है कि मौजूदा हालात में मनरेगा पर सरकार को ज्यादा से ज्यादा रकम खर्च करनी चाहिए ताकि मुश्किल में फंसी गरीब आबादी को मदद मिल सके.

दूसरी लहर से तेज रिकवरी की उम्मीद धूमिल

असमान रिकवरी को नैतिक रूप से गलत और राजनीतिक रूप से पतन बताते हुए सुब्बाराव ने कहा है कि घरेलू मार्केट में लिक्विडिटी और फॉरेन फंड इनफ्लो की वजह से कोविड महामारी के बावजूद शेयरों और दूसरी एसेट्स के दाम चढ़ रहे हैं.

रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर ने कहा है कि कोविड की दूसरी लहर ने तेज आर्थिक रिकवरी की पिछली उम्मीदों को खत्म कर दिया है.

सुब्बाराव ने पीटीआई को बताया, “अर्थव्यवस्था में पिछले साल गिरावट आई है. ऐसा गुजरे चार दशक में पहली बार हुआ है. ग्रोथ 7.3 फीसदी नेगेटिव जोन में चली गई है. हालांकि, ये हमारे डर से कम है, लेकिन इसने असंगठित क्षेत्र के लाखों परिवारों को डिस्ट्रेस में डाल दिया है. पिछले साल तेज रफ्तार रिकवरी की उम्मीद थी, लेकिन दूसरी लहर के चलते इन उम्मीदों पर पानी फिर गया है.”

अमीर-गरीब की खाई बढ़ी

अपनी चिंता जाहिर करते हुए सुब्बाराव ने कहा है कि ज्यादातर लोगों की नौकरियां गई हैं और लोगों की कमाई घटी है. दूसरी ओर, महामारी की इसी अवधि में कुछ अमीर लोगों की पूंजी में इजाफा हुआ है.

उन्होंने कहा, “उच्च आय वर्ग की पूंजी में हुआ इजाफा और कम आमदनी वाले तबके की कमाई में और गिरावट एक बेहद असमान रिकवरी और बढ़ती गैर-बराबरी की कहानी कह रहा है.” उन्होंने कहा कि इसका आगे चलकर ग्रोथ की संभावनाओं पर काफी गहरा असर दिखाई देगा.

शेयरों में तेजी से किसे फायदा?

सुब्बाराव ने कहा कि शेयर बाजार में आ रही तेजी इसी रिकवरी में मौजूद बेहद तेज असमानता को दिखा रही है.

उन्होंने कहा कि घरेलू लिक्विडिटी और विदेशी इनफ्लो की वजह से शेयरों और दूसरी एसेट्स की कीमतों में तेजी आ रही है. उन्होंने पूछा, “इससे किसे फायदा हो रहा है? ऐसे लोग जिनके पास निवेश करने के लिए अतिरिक्त पैसा है.”

23 करोड़ लोग गरीबी में पहुंच गए

सुब्बाराव ने कहा, “अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के एक साल में 23 करोड़ लोग गरीबी में चले गए हैं. इस दौरान ग्रामीण भारत में गरीबी की दर में 15 फीसदी जबकि शहरी भारत में ये दर 20 फीसदी बढ़ी है.”

सुब्बाराव कहते हैं, “इसमें CMIE के आंकड़े भी जोड़ लीजिए. इनसे पता चलता है कि देश में बेरोजगारी की दर मई में बढ़कर 12 फीसदी पर पहुंच गई है. कोविड की दूसरी लहर से ही 1 करोड़ लोगों की नौकरियां गई हैं और देश के 97 फीसदी परिवारों की कमाई में गिरावट आई है.”

शहरी-ग्रामीण अंतर के बारे में उन्होंने कहा कि कोविड की दूसरी लहर ने गांवों को गहरी चोट पहुंचाई है. उन्होंने कहा, “गरीब परिवारों को इलाज पर अपनी बचत खर्च करनी पड़ी है. गांवों में कमजोर मेडिकल इंफ्रा देखते हुए गांव-देहात के लोगों के सामने तीसरी संभावित लहर को लेकर ज्यादा अनिश्चितता और बेचैनी पैदा हो गई है.”

गरीबों को राहत मुहैया कराए सरकार

उन्होंने कहा है कि मॉनसून की अच्छी बारिश से इस डर से उबरने में कुछ हद तक मदद मिल सकती है.

सरकार के गरीबों को आर्थिक मदद देने के सरकार के किए जा रहे प्रयासों के बारे में सुब्बाराव ने कहा कि सरकार फिलहाल गंभीर वित्तीय दबाव में है.

उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर भी सरकार को मुश्किल में फंसे परिवारों की मदद के लिए कुछ राहत मुहैया करानी होगी.

मनरेगा पर जोर

उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री मनरेगा (MNREGA) को इसे एक खुली प्रतिबद्धता बनानी होगी और इसके तहत आने वाली पूरी मांग के लिए पैसे मुहैया कराने चाहिए. उन्होंने कहा कि पिछले साल मनरेगा (MNREGA) की वजह से आम लोगों को बड़ी राहत मिली थी.

ग्रोथ की मुश्किलें

मार्च 2021 में भारत की अर्थव्यवस्था ने आशंका के मुकाबले 7.3% की कम नेगेटिव गिरावट दर्ज की है. दूसरी ओर, वर्ल्ड बैंक ने अनुमान लगाया है कि 2021 में भारत की ग्रोथ 8.3 फीसदी रहेगी.

RBI ने भी मौजूदा वित्त वर्ष के लिए ग्रोथ के अनुमान को 1 फीसदी घटाकर इसे पहले के 10.5 फीसदी से 9.5 फीसदी कर दिया है.

सुब्बाराव ने कहा है कि हालांकि, ये 9.5 फीसदी ग्रोथ भी बढ़िया दिखाई देती है, लेकिन ऐसा पिछले साल के बेहद निचले बेस के चलते है.

सुब्बाराव ने कहा, “अगर हम ये ग्रोथ भी हासिल कर लेते हैं तब भी वित्त वर्ष 2021-22 के लिए उत्पादन दो साल पहले के मुकाबले कम होगा. इसके मुकाबले चीन कभी महामारी के पिछले स्तर के नीचे कभी नहीं गया और यूएस के भी महामारी से पहले के स्तर पर इस साल रिकवर करने की उम्मीद है.”

Published - June 13, 2021, 03:14 IST