सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मुकाबले भारत की उत्सर्जन तीव्रता वर्ष 2005 और 2019 के बीच 33 प्रतिशत कम हुई और देश ने 11 साल पहले ही निर्धारित लक्ष्य को हासिल कर लिया. एक सरकारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. रिपोर्ट के मुताबिक, इस अवधि में भारत की जीडीपी सात प्रतिशत की संचयी दर से बढ़ी, जबकि उसका उत्सर्जन प्रति वर्ष केवल चार प्रतिशत ही बढ़ा. इससे पता चलता है कि देश अपनी आर्थिक वृद्धि के मुकाबले ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन घटाने में सफल रहा है.
अधिकारियों ने कहा कि ‘द थर्ड नेशनल कम्युनिकेशन टू द यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज’ नामक रिपोर्ट दुबई में चल रही जलवायु वार्ता के दौरान संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन निकाय को सौंपी जाएगी. पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि भारत ने वर्ष 2005 से 2019 के बीच अपनी जीडीपी के मुकाबले उत्सर्जन तीव्रता में 33 प्रतिशत की कमी की. इस दौरान 1.97 अरब टन कार्बन डाई-ऑक्साइड के बराबर कार्बन अवशोषित हुआ.
इस दौरान देश का कुल उत्सर्जन वर्ष 2016 की तुलना में 4.56 प्रतिशत बढ़ गया है. यादव ने कहा कि हम वर्ष 2005 के स्तर की तुलना में वर्ष 2030 तक अपने जीडीपी उत्सर्जन की तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करने की राह पर हैं. इसके अलावा 2030 तक वृक्षों और वन क्षेत्र के माध्यम से अतिरिक्त 2.5 से 3.0 अरब टन कार्बन को अवशोषित किया जाएगा.