जून में भारतियों ने विदेश भेजे अरबों डॉलर, TCS का था डर

लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली एक सुविधा है.

Forex Reserve

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विदेश में किए जाने वाले खर्च पर टैक्स की वसूली (TCS) को लेकर सरकार ने बजट में नए नियम की घोषणा की थी और कहा था कि जुलाई से नए नियम लागू होंगे. इन नियमों के लागू होने से पहले ही जून के दौरान भारतीयों ने विदेशों में अरबों डॉलर भेज दिए. हालांकि सरकार ने भी नियमों को लागू करने की मियाद को अक्टूबर तक बढ़ा दिया था, लेकिन तबतक भारतीय विदेश में पैसा भेज चुके थे. जून के दौरान भारतीयों ने रिजर्व बैंक की लिब्रलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत 3.89 अरब डॉलर विदेश भेजे हैं जो मई के मुकाबले 35 फीसद अधिक राशि है और 2022 के जून के मुकाबले 96 फीसद अधिक.

क्या है LRS?

ये फेमा यानी विदेशी मुद्रा प्रबंंधन अधिनियम (FEMA) 1999 का हिस्सा है. इसके साथ भारत से विदेशों में भेजे जाने वाले पैसों को लेकर दिशानिर्देश तय किए गए हैं. लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली एक सुविधा है जो भारतीयों को अलग-अलग कामों के लिए हर वित्त वर्ष में एक निश्चित राशि विदेश भेजने में सक्षम बनाती है.

रिजर्व बैंक की एलआरएस स्कीम के तहत विदेशों में इक्विटी या डेट इनवेस्टमेंट, अचल संपत्ति की खरीद, विदेशी जमा और विदेश में रिश्तेदारों के लिए चीजों की खरीद में रिकॉर्ड तेजी आई. इस नियम के तहत एलआरएस के तहत नाबालिग समेत सभी निवासी आरबीआई की पूर्व मंजूरी के बिना हर साल करीब 2.07 लाख करोड़ रुपये तक विदेश भेज सकते हैं.

इस स्कीम के तहत पिछले 5 साल में कुल 7,63,400 करोड़ रुपए तक की राशि भेजी गई है. वित्त वर्ष 2022-23 में एलआरएस के तहत एवरेज आउटफ्लो यानी औसत निकासी हर महीने 2.261 अरब डॉलर थी, जो एक साल के दौरान 27.14 अरब डॉलर हो गई. वहीं इस साल अप्रैल-जून तिमाही के लिए बाहर भेजी गई राशि बढ़कर 9.1 अरब डॉलर हो गई, जो वित्त वर्ष 2023 में भेजी गए कुल राशि का एक तिहाई है. इस वृद्धि की मुख्य वजह वही है. लोग जुलाई से लागू होने वाले टीसीएस चार्ज से बचने के लिए रिकॉर्ड लेवल पर विदेश पैसा भेज रहे थे.

Published - August 22, 2023, 08:02 IST