भारतीय शेयर बाजारों ने दिखाया दम, जर्नी अभी जारी है..

पिछले 30 वर्षों की तुलना में पिछले 18 महीनों में भारतीय बाजारों में अधिक खुदरा निवेशक जुड़े हैं.

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घरेलू और विदेशी दोनों निवेशक भारतीय बाजारों और भारत की अर्थव्यवस्था में पुनरुद्धार को लेकर उत्साहित हैं.

घरेलू और विदेशी दोनों निवेशक भारतीय बाजारों और भारत की अर्थव्यवस्था में पुनरुद्धार को लेकर उत्साहित हैं.

विश्व के सबसे बड़े शेयर बाजार के मामले में भारत फ्रांस को पछाड़कर छठे स्थान पर आ गया है. फ्रांस के 3.4 ट्रिलियन डॉलर की तुलना में भारत का बाजार पूंजीकरण अब 3.5 ट्रिलियन डॉलर हो गया है. विश्व के सबसे बड़े शेयर बाजार के रूप में अमेरिका 51.3 ट्रिलियन डॉलर के बाजार पूंजीकरण के साथ सबसे ऊपर है. इसके बाद बाद चीन (12.42 ट्रिलियन डॉलर), जापान (7.43 ट्रिलियन डॉलर), हांगकांग (6.52 ट्रिलियन डॉलर) और यूके (3.68 ट्रिलियन डॉलर) का स्थान है. पिछले 18 महीनों में बिना किसी बड़ी गिरावट के चले आ रहे मौजूदा बुल रन के कारण भारत के स्थान में यह उछाल आया है.

रैली का नेतृत्व मजबूत अर्निंग डिलीवरी, अच्छी-खासी लिक्विडिटी और ऐतिहासिक खुदरा निवेशक भागीदारी ने किया है. बाजार पूंजीकरण में यह वृद्धि हमें क्या बताती है और यह रैंकिंग कितनी महत्वपूर्ण है? इसका मतलब यह है कि भारत काफी बड़ी अर्थव्यवस्था है और हमारे शेयर बाजार भी बड़े हो रहे हैं.

घरेलू और विदेशी दोनों निवेशक भारतीय बाजारों और भारत की अर्थव्यवस्था में पुनरुद्धार को लेकर उत्साहित हैं. बाजार पूंजीकरण सूचीबद्ध फर्मों का बाजार मूल्य होता है और आम तौर पर आर्थिक विकास के साथ आगे बढ़ता है. कई विशेषज्ञों का मानना ​​​​है कि नियंत्रित कोविड मामले और टीकाकरण अभियान में मजबूत वृद्धि ने आर्थिक गतिविधियों में एक स्वस्थ वृद्धि का नेतृत्व किया है.

पिछले 30 वर्षों की तुलना में पिछले 18 महीनों में भारतीय बाजारों में अधिक खुदरा निवेशक जुड़े हैं. रैली में अब तक दैनिक नकद बाजार के कारोबार में इन निवेशकों का दबदबा रहा है. हालांकि, इस बात को ध्यान में रखते हुए कि बाजार इन स्तरों पर अधिक मूल्यवान और बुनियादी बातों से आगे दिखता है, निवेशक समुदाय के बीच अब आसन्न गिरावट को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं. कुछ समाचार रिपोर्टों से पता चलता है कि भारत के एम-कैप-टू-जीडीपी ने 2007-08 में 150% के अपने पिछले रिकॉर्ड उच्च स्तर को पीछे छोड़ दिया है और 172% तक चढ़ गया है.

हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि ये मूल्यांकन बदल सकते हैं. अब यह जानना अधिक मायने रखता है कि क्या कंपनियां लाभदायक हैं, संचालन उत्पादक हैं, पर्याप्त ऋण प्रवाह है, रिफॉर्म्स विकास में सहायता कर रहे हैं और कंपनियां उच्च कैपेक्स की ओर अग्रसर हैं. इन मूल्यांकनों को सही ठहराने के लिए, कंपनियों की कमाई को बढ़ाना होगा, ताकि वे अनुसंधान एवं विकास में अधिक निवेश कर सकें और अधिक क्षमता पैदा कर सकें, जिससे अधिक रोजगार पैदा हो सके.

Published - September 17, 2021, 09:29 IST