ये नेटफ्लिक्स को क्या हुआ? OTT की बादशाह नेटफ्लिक्स अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. तमाम लोगों के दिमाग में ये सवाल आ रहा है कि इस प्लेटफॉर्म को हुआ क्या है? नेटफ्लिक्स की क्राइसिस की शुरुआत हुई है एक ताजा आंकड़े से… गुजरे एक दशक में पहली दफा नेटफ्लिक्स के सब्सक्राइबर्स घटे हैं. इस साल की पहली तिमाही में करीब 2 लाख लोगों ने नेटफ्लिक्स को अलविदा बोला है. आंकड़ा बड़ा है और इस खबर के आते ही नेटफ्लिक्स के शेयर तो जैसे कुएं में कूद गए. बुधवार, 20 अप्रैल को एक दिन में नेटफ्लिक्स के शेयर 35 फीसदी तक नीचे चले गए थे और 226 डॉलर पर बंद हुए. 2004 के बाद से ये सबसे बड़ी गिरावट थी. गुरुवार को ये और लुढ़ककर 218 डॉलर पर पहुंच गए.
बड़ी बात ये भी है कि नेटफ्लिक्स का मार्केट कैप करीब दो-तिहाई घट गया है. पिछले साल के अंत में ये 300 अरब डॉलर के पीक पर पहुंच गई थी. बुधवार की गिरावट के बाद अब नेटफ्लिक्स का मार्केट कैप महज 100 अरब डॉलर रह गया है. अब जरा इन्वेस्टर्स की हालत सोचिए…. उन्हें तो भारी झटका लगा है साब…
इनके तो 200 अरब डॉलर डूब गए हैं. अरबपति इन्वेस्टर विलियम ऐकमैन ने 1.1 अरब डॉलर के नेटफ्लिक्स के शेयर बेच दिए…उन्हें इस बिकवाली पर 40 करोड़ डॉलर से ज्यादा का लॉस हुआ. तो आखिर नेटफ्लिक्स को कहां नजर लग गई?
इसके पीछे कई फैक्टर हैं. यूक्रेन की जंग के चलते नेटफ्लिक्स ने रूस में सर्विस सस्पेंड कर दी. इससे नेटफ्लिक्स को 7 लाख सब्सक्राइबर्स का नुकसान हुआ है. फिर आई महंगाई… अमरीका से लेकर भारत तक हर घर की सबसे बड़ी चुनौती इस वक्त महंगाई है.
नेटफ्लिक्स सब्सक्रिप्शन तो एक लग्जरी है, लोगों के लिए घर चलाना पहले जरूरी है. एक बड़ा झटका बढ़ते कॉम्पिटीशन से लगा है. HBO मैक्स हो या डिज्नी+, एमेजॉन प्राइम हो या हुलु…
नेटफ्लिक्स की बादशाहत पर सबकी नजर है. ये फैक्टर खुद नेटफ्लिक्स ने गिनाए हैं. अब दफ्तर खुल गए हैं तो लोगों के पास खाली वक्त भी कम ही है. यानी सब्सक्रिप्शन पर चल गई कैंची. कंपनी ने ये भी माना है कि पासवर्ड शेयरिंग उसके लिए एक बड़ा सिरदर्द साबित हो रहा है.
कंपनी ने कहा है कि 22 करोड़ पैसे चुकाने वाले घरों के साथ 10 करोड़ से ज्यादा घर ऐसे हैं जिनके साथ पासवर्ड शेयर किए जा रहे हैं…यानी इतने लोग मुफ्त में नेटफ्लिक्स का मजा ले रहे हैं.
कंपनी ने कहा है कि इनमें से 3 करोड़ लोग तो US और कनाडा रीजन से हैं. ताज्जुब इस बात का है कि नेटफ्लिक्स का धंधा खोखला हो रहा था उसे इस बात की भनक तक नहीं लगी.
कुछ वक्त पहले ही कंपनी ने अनुमान दिया था कि इसी अवधि में वो करीब 25 लाख नए सब्सक्राइबर्स हासिल करेगी और जब हकीकत सामने आई तो 2 लाख लोग कंपनी को बाय-बाय बोल चुके थे.
अब डरी हुई नेटफ्लिक्स बोल रही है कि आगे जाकर उसे और भी नुकसान हो सकते हैं. भारत जैसे देश की बात करें तो यहां दो मसले दिखाई दे रहे हैं. तमाम लोगों को लगता है कि नेटफ्लिक्स पर उतना लोकल कंटेंट नहीं है, साथ ही नया कंटेंट आ नहीं रहा.
भारतीय वैसे भी बचत में उस्ताद होते हैं. एमेजॉन हो या ज़ी5 ये प्लेटफॉर्म जेब पर सस्ते पड़ते हैं. इसीलिए हाल में ही नेटफ्लिक्स ने भारत में अपने पैक सस्ते कर दिए थे.
अब बात ये कि आखिर नेटफ्लिक्स इससे निपटेगी कैसे? तो कंपनी के सीईओ रीड हैस्टिंग्स ने इशारा किया है कि कंपनी का इरादा ऐसे सस्ते पैक लाने का है जहां विज्ञापन भी शुमार होंगे.
HBO मैक्स और डिज्नी+ पहले से ऐसा कर रहे हैं. इस लिहाज से कंपनी की नजर भारत समेत एशिया के बाजार पर है. यानी, OTT बाजार की बादशाह नेटफ्लिक्स के लिए अंत में जंग सस्ता है तो बढ़िया है वाले मोर्चे पर आकर ठहर गई है और ये जंग अब भारत और एशियाई बाजार में लड़ी जाएगी. यहां जो जीता वही बनेगा OTT का सिकंदर.. बाकी FAANG के चक्कर में फंसे इन्वेस्टर्स के सपने N यानी नेटफ्लिक्स ने जरूर तोड़ दिए हैं.