केंद्र सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद के साथ मिलकर ज़ाइडस कैडिला द्वारा बनाई जा रही कोविड -19 (Corona) वैक्सीन ज़ाइकोव-डी को जल्द ही सरकार की मंजूरी मिल सकती है. कोविड की इस नई वैक्सीन को केंद्र सरकार के राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन के तहत तैयार कराया जा रहा है. नीति आयोग (स्वास्थ्य) के सदस्य वीके पॉल ने कहा कि भारत बायोटेक के कोवैक्सीन ही नहीं, बल्कि जाइडस कैडिला के टीके का बच्चों पर पहले से ही परीक्षण किया जा रहा है.
कंपनी वयस्कों के अलावा 12-18 वर्ष की आयु के बच्चों पर भी अपनी कोविड -19 वैक्सीन का परीक्षण कर रही है. अहमदाबाद स्थित कंपनी द्वारा दो सप्ताह के भीतर वैक्सीन के लाइसेंस के लिए आवेदन किए जाने की संभावना है. यह तीन खुराक वाली वैक्सीन होगी.
डॉ. पॉल ने हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय की ब्रीफिंग के दौरान कहा ” उन्हें अधिक समय नहीं लगेगा क्योंकि वे सभी इम्यूनोजेनिक परीक्षण हैं. अगले दो हफ्तों में शायद हमारे पास इस बात को लेकर पर्याप्त डेटा उपलब्ध होगा कि क्या यह टीका बच्चों को दिया जा सकता है, ”
रिपोर्टों में कहा गया है कि जाइडस कैडिला परीक्षणों के तहत 12-18 वर्ष आयु के 800 किशोरों को कवर करने के बाद 5-12 वर्ष की आयु के बच्चों पर भी वैक्सीन का परीक्षण शुरू करने की योजना बना रही है.कैडिला हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक शरविल पटेल ने कहा, “हमारे पास इस आयु वर्ग के बच्चों पर अच्छी मात्रा में डेटा होगा। सुरक्षा के मामले में अगर सबकुछ ठीक-ठाक रहा, तो इस वैक्सीन को 12 से 18 साल के बच्चों को लगाए जाने की मंजूरी मिल जाएगी।”
पटना के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने मंगलवार को 2 से 18 वर्ष आयु वर्ग पर भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड द्वारा विकसित कोवैक्सीन का क्लीनिकल परीक्षण शुरू किया है. परीक्षण के लिए संस्थान में 54 बच्चों ने पंजीकरण कराया, जिनमें से 16 बच्चे 12-18 वर्ष आयु वर्ग के थे.