घर खरीदते समय ज्यादातर लोग बजट और लोकेशन देखते हैं ना कि कंस्ट्रक्शन की क्वॉलिटी. दरअसल, हाल ही में गुरुग्राम की चिंटल पैराडिसो सोसायटी में बिल्डिंग का कुछ हिस्सा गिरने से दो लोगों की मौत हुई थी. इसके बाद स्ट्रक्चरल ऑडिट में कुछ टावरों को रहने के लिहाज से असुरक्षित पाया गया. आपकी गाढ़ी कमाई न फंसे इसके लिए जरूरी है कि घर खरीदने से पहले कंस्ट्रक्शन क्वॉलिटी की जांच कर ली जाए. अधिकतर लोगों को मुश्किलें आती हैं कि खराब कंस्ट्रक्शन की शिकायत किससे और कैसे करें? आइए जानने की कोशिश करते हैं.
जांच पड़ताल करने पर बच सकते हैं परेशानियों से
घर या फ्लैट बुक करने से पहले अगर आप थोड़ी जांच-पड़ताल कर लें तो परेशानियों से बच सकते हैं. बुकिंग करने से पहले आपको प्रोजेक्ट साइट पर जाना चाहिए. कंक्रीट और बिक्र वर्क के बारे में जानकारी करनी चाहिए. वहां मौजूद स्ट्रक्चरल इंजीनियर से कंस्ट्रक्शन क्वॉलिटी का सर्टिफिकेट मांग सकते हैं. घर खरीदार बिल्डर के पुराने प्रोजेक्ट को भी देख सकते हैं. आपको पुराने प्रोजेक्ट में रहने वालों से कंस्ट्रक्शन क्वॉलिटी के बारे में पूछना चाहिए कि वे इससे खुश हैं या नहीं? यह सबसे आसान काम है, जो खरीदार के रूप में आप कर सकते हैं.
पजेशन के समय खराबियों को स्नैग लिस्ट में शामिल करें
इसके अलावा आप डेवलपर से लोकल अथॉरिटी की ओर से जारी कम्प्लीशन सर्टिफिकेट और ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट दिखाने को कह सकते हैं जो कि ये बताते हैं कि प्रोजेक्ट मौजूदा बिल्डिंग बाय-लॉ (building bye-laws) समेत अन्य नियमों के अनुरूप बन रहा है. प्रॉपर्टी का पजेशन लेते वक्त फिनिशिंग, किचन-बाथरूम फिटिंग्स, टाइल्स समेत दूसरी ऐसी चीजें जिसमें आपको खराबी नजर आ रही है. उन्हें स्नैग लिस्ट (Snag List) में शामिल करें. इन खामियों को डेवलपर से बोलकर आप ठीक करा सकते हैं.
क्वॉलिटी परखने के लिए स्ट्रक्चरल इंजीनियर की मदद लें
कंस्ट्रक्शन क्वॉलिटी परखने के लिए स्ट्रक्चरल इंजीनियर की मदद ली जा सकती है. स्ट्रक्चरल इंजीनियर बिल्डिंग लेआउट और डिजाइन से लेकर बिल्डिंग मैटेरियल की जांच करके बताएगा कि कंस्ट्रक्शन क्वॉलिटी कैसी है. पुराना मकान खरीदने पर स्ट्रक्चरल इंजीनियर से उसकी मजबूती की जांच जरूर करवानी चाहिए. रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट यानी RERA ने कंस्ट्रक्शन क्वॉलिटी के मामले में जरूरी सुधारों को बढ़ावा देने में मदद की है. बिल्डर की ओर से जिन सुविधाओं का वादा किया जा रहा है उनका जिक्र बिल्डर-बायर एग्रीमेंट में होना चाहिए ताकी बिल्डर के अपने वादे से मुकरने पर आप दबाव बना सकें.
रेरा कानून की धारा 14 (3) में कहा गया है कि किसी स्ट्रक्चरल डिफेक्ट, यानी संरचना से जुड़ी खामी, कारीगरी, गुणवत्ता और सर्विस से जुड़ी कोई दिक्कत पजेशन देने के 5 साल के भीतर आती है, तो बिल्डर को इसे ठीक कराना होगा. बिल्डर को 30 दिन के अंदर बिना किसी चार्ज के इन खामियों को दुरुस्त करना होगा. तय समय में खामियां दूर नहीं होने पर घर खरीदार मुआवजा पाने के हकदार होंगे.
अगर किसी प्रोजेक्ट का प्रमोटर या रियल एस्टेट एजेंट रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, तो संबंधित राज्य की रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी यानी RERA में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. घर खरीदार चाहें तो रेरा के अलावा कंज्यूमर कोर्ट में भी बिल्डर के खिलाफ खराब कंस्ट्रक्शन क्वॉलिटी की शिकायत कर सकते हैं. रेरा में कैसे की जा सकती है शिकायत? घर खरीदार ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों तरह से कम्प्लेन कर सकते हैं. उत्तर प्रदेश रेरा यानी UP रेरा की वेबसाइट पर Complaint सेक्शन में जाकर ऑनलाइन शिकायत, जबकि Form-M भरकर रेरा के कार्यालय में शिकायत दी जा सकती है… इसके लिए 1,000 रुपए शुल्क यानी चार्ज देना होगा. ऐसे में अगर आपको भी बिल्डिंग की कंस्ट्रक्शन क्वॉलिटी को लेकर शिकायत है. तो पहले बिल्डर से शिकायत करें. अगर बिल्डर आपकी बात नहीं सुनता है तो रेरा में शिकायत कर सकते हैं. रेरा आपके घर की मरम्मत कराने के साथ बिल्डर को मुआवजा देने का आदेश दे सकता है.