वित्तीय संकट से जूझ रही वाडिया समूह की घरेलू एयरलाइन गोफर्स्ट ने NCLT के पास खुद दिवालिया होने के लिए आवेदन किया है. हालांकि इस कंपनी को दिवालिया घोषित किया जाएगा या नहीं, इस बारे में अभी कुछ तय नहीं है. इस मुद्दे पर NCLT की मीटिंग में ही फैसला होगा. इस संकटग्रस्त कंपनी पर 28 अप्रैल तक बैंकों का 6,521 करोड़ रुपए का कर्ज है. अगर ये कंपनी दिवालिया घोषित होती है तो बैंकिंग क्षेत्र पर इसका बुरा असर पड़ सकता है. दूसरी ओर एयरलाइन सेक्टर की दूसरी कंपनियों को फायदा होने की उम्मीद है.
किस बैंक का कितना कर्ज?
गो फर्स्ट पर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का 1561.60 करोड़ रुपए और बैंक ऑफ बड़ौदा का 1,429.82 करोड़ रुपए का कर्ज है. वहीं IDBI और एक्सिस बैंक के लोन पर लोन का एक्सपोजर 30 से 60 करोड़ रुपए के बीच है.
प्रोफिटमार्ट सिक्योरिटीज के हेड ऑफ रिसर्च अविनाश गोरक्षकर कहते हैं कि IDBI और एक्सिस बैंक पर इस संकट का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा. क्योंकि इन बैंको पर लोन का एक्सपोजर ज्यादा नहीं है. वहीं बैंक ऑफ बड़ौदा ने पहले भी अपनी बैलेंस शीट क्लीन की थी. इसके पास कोई बैड एसेट नहीं था तो गो फर्स्ट के दिवालिया होने से इस बैंक को थोड़ा झटका लगेगा. आने वाले समय में सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा में बिकवाली का दवाब देखने को मिल सकता है. अविनाश गोरक्षकर बताते हैं कि कोई भी कंपनी दिवालिया होती है तो वो पहले वो NCLT में जाती है और फिर उसकी एसेट्स बेची जाती हैं. बैंकों को इस कंपनी के कर्ज को अपने अकाउंट्स में NPA दिखाना होगा. इसके बाद कहीं डेढ़ से दो साल में बैंकों का पैसा मिलने की उम्मीद है. सभी बैंकों को अगली तिमाही में इस कर्ज को NPA घोषित करना होगा.
एविएशन सेक्टर पर असर
गो फर्स्ट के नुकसान का फायदा अन्य एविएशन कंपनियों को होगा. समर सीजन में लोग ज्यादा टिकट बुक कराएंगे. कंपनी के बुरे हालात में इनका कस्टमर बेस अन्य कंपनियों के पास जाएगा. इस उम्मीद में बुधवार को एविएशन सेक्टर की सभी कंपनियों के शेयर बढ़त में रहे. बता दें कि मार्च 2023 के दौरान देश में जितने लोगों ने हवाई यात्रा की है. उनमें गो फर्स्ट को चुनने वालों का आंकड़ा लगभग 6.9 फीसद रहा है.