अपने गृह जिले कानपुर के दौरे पर सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि उन्हें भले ही 5 लाख रुपये महीने तनख्वाह मिलती है, लेकिन इसमें से हर महीने वे 2.75 लाख रुपये बतौर टैक्स चुकाते हैं और इस तरह से वे ज्यादा पैसे नहीं बचा पाते हैं. लेकिन, राष्ट्रपति को अपनी सैलरी का 51% हिस्सा बतौर टैक्स क्यों देना पड़ता है, इसका जवाब उन्होंने नहीं दिया.
ऐसे में ये सवाल पैदा हो रहा है कि क्या वाकई देश की सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर को इतना पैसा बतौर टैक्स चुकाना पड़ रहा है?
मनी9 ने इसकी पड़ताल करने की कोशिश की है.
इनकम टैक्स लॉयर नारायण जैन ने मनी9 को बताया, “मुझे नहीं पता कि किसी भी शख्स से 51% टैक्स कैसे लिया जा सकता है.”
इनकम टैक्स कंसल्टेंट अरविंद अग्रवाल कहते हैं, “इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 17 के तहत टैक्स को लेकर प्रावधान किए गए हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि किसी भी दशा में ये 51% बैठता होगा. मुझे इसकी जानकारी नहीं है.”
आखिर कितनी मिलती है राष्ट्रपति को सैलरी?
राष्ट्रपति देश का पहला नागरिक होता है और सेनाओं को सर्वोच्च कमांडर होता है. राष्ट्रपति की तनख्वाह और परिलब्धियों का जिक्र प्रेसिडेंट्स (एमोलुमेंट्स एंड) पेंशन एक्ट, 1951 में किया गया है. इसमें हाल में ही संशोधन हुआ है और 2017 से राष्ट्रपति की तनख्वाह 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई है.
मई 2020 में कोविड की पहली लहर के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूरे साल अपनी सैलरी का 30 फीसदी हिस्सा छोड़ने का फैसला किया था. इसका मतलब है कि मई से दिसंबर 2020 के दौरान उनकी सैलरी 3.5 लाख रुपये रही है.
हालांकि, ये स्पष्ट नहीं है कि ये स्वैच्छिक कटौती अभी भी जारी है या नहीं.
क्या है टैक्स का गणित?
इनकम टैक्स एक्ट 1961 के मुताबिक, किसी भी सीनियर सिटीजन को जिसकी सालाना आमदनी 15 लाख रुपये से ज्यादा हो, उसे 30 फीसदी इनकम टैक्स और 4 फीसदी सेस देना होता है. गौरतलब है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की उम्र तकरीबन 75 साल है.
इस तरह से कुल टैक्स करीब 34 फीसदी बैठता है.
राष्ट्रपति को इनकम टैक्स के तौर पर 20.4 लाख रुपये चुकाना पड़ता होगा, जो कि मासिक रूप से 1.72 लाख रुपये बैठता है.
लेकिन, राष्ट्रपति ने कहा है कि उन्हें हर महीने 2.75 लाख रुपये चुकाने होते हैं.
अगर हम 30 फीसदी सैलरी में कटौती को भी देखें तो राष्ट्रपति कोविंद की सैलरी 3.5 लाख रुपये X 12 महीने = यानी 42 लाख रुपये बैठती है.
42 लाख रुपये पर 34 फीसदी टैक्स करीब 14.28 लाख रुपये बैठता है. इससे उनकी सालाना इनकम 27.7 लाख रुपये आती है. जो कि हर महीने 2.31 लाख रुपये हुई.
अगर हम 30 फीससदी सैलरी कटौती को जारी मांनें और इसे 5 लाख रुपये की सैलरी के साथ देखें तो ग्रॉस सैलरी और उनके हाथ आने वाली रकम का अंतर करीब 2.69 लाख रुपये आता है. ये आंकड़ा राष्ट्रपति के बताए गए 2.75 लाख रुपये के करीब है. हालांकि, इस मामले में काटी गई रकम पूरी तरह से टैक्स की वजह से नहीं है.
राष्ट्रपति को मिलने वाले अन्य लाभ
5 लाख रुपये महीने सैलरी के अलावा राष्ट्रपति को मुफ्त इलाज, हाउसिंग और आजीवन दूसरे लाभ भी मिलते हैं.
इनकम टैक्स और प्रेसिडेंट एमोलुमेंट्स एंड पेंशन एक्ट में भारत के राष्ट्रपति को टैक्स से कोई छूट नहीं दी गई है. ऐसे में यह जाहिर होता है कि राष्ट्रपति को अपनी इनकम पर टैक्स चुकाना पड़ता है.
हालांकि, भारत सरकार राष्ट्रपति के आवास, ऑफिस स्टाफ, खाने-पीने और अतिथि सत्कार पर करीब 4 करोड़ रुपये सालाना अतिरिक्त खर्च करती है.
रिटायरमेंट के बाद के बेनेफिट
मौजूदा रूल्स के मुताबिक (7वें वेतन आयोग), राष्ट्रपति को 1.5 लाख रुपये की मासिक पेंशन मिलती है. किसी भी पूर्व राष्ट्रपति को आजीवन रहने के लिए मुफ्त टाइप-VIII बंगला भी मिलता है.
मौजूदा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को छोड़कोर किसी भी शख्स को भारत सरकार की ओर से दिया जाने वाला ये सबसे बढ़िया आवास होता है.
पूर्व राष्ट्रपति को दो लैंडलाइन और एक मोबाइल फोन भी मिलता है. इनका बिल सरकार उठाती है. इसके अलावा, 5 पर्सनल स्टाफ भी उन्हें मिलता है जिसमें एक प्राइवेट सेक्रेटरी भी शामिल होता है.
उन्हें रिटायर होने के बाद आजीवन फर्स्ट क्लास ट्रेन और एयर ट्रैवल की सहूलियत भी मिलती है जिसमें वे एक अन्य शख्स को भी साथ ले जा सकते हैं.
उन्हें मुफ्त में एक सरकारी कार और हर महीने स्टाफ के खर्च के लिए 60,000 रुपये अलग से मिलते हैं. राष्ट्रपति को हर महीने 250 लीटर पेट्रोल मुफ्त मिलता है. अगर पूर्व राष्ट्रपति किसी निजी गाड़ी का इस्तेमाल यात्रा के लिए करते हैं तो सरकार ड्राइवर की सैलरी भी देती है.