भारत डिजिटलाइजेशन की दिशा में एक बड़ी छलांग लगा रहा है और सरकार इस बदलाव में अहम भूमिका निभा रही है. आईटी/आईटीईएस इंडस्ट्री की अगुवाई में हो रहे इनोवेशंस के साथ सरकार इस बदलाव को लगातार सपोर्ट कर रही है. इन्हीं में से एक बड़ा इनोवेशन डिजीलॉकर के तौर पर सामने आया है. डिजीलॉकर (DigiLocker) के आने के बाद से पेपर-बेस्ड डॉक्युमेंट्स को डिजिटल रूप में रखना और इन्हें ट्रैक करना मुमकिन हो गया है.
पारंपरिक तौर पर आईडी, बैंकिंग दस्तावेज, इंश्योरेंस पेपर्स, एसेट पेपर्स, मेडिकल हिस्ट्री जैसे हमारे सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज कागजी रूप में मौजूद हैं. इन दस्तावेजों को एक जगह पर सुरक्षित रखना और जरूरत के वक्त इन दस्तावेजों का पास होना हमेशा से एक बड़ी चुनौती रहा है. डिजीलॉकर (DigiLocker) के आने के बाद से अब ये सभी दस्तावेज हर वक्त आपके पास मौजूद रहते हैं और बस एक क्लिक में आप इन तक पहुंच सकते हैं.
IT रूल्स के रूल 9A के तहत डिजीलॉकर (DigiLocker) यूजर्स को उनके दस्तावेजों को डिजिटल रूप में स्टोर करने और एक्सेस करने की सुविधा देता है. सरकार ने डिजीलॉकर (DigiLocker) में मौजूद दस्तावेजों को मूल दस्तावेजों के तौर पर मान्यता दी है.
मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड IT मिनिस्ट्री के तहत डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन की डिजीलॉकर (DigiLocker) मुहिम से कई एजेंसियों को भी फायदा हुआ है.
पेपरलेस गवर्नेंसः पेपर बेस्ड दस्तावेजों के इस्तेमाल को कम करने से प्रशासनिक बोझ कम हुआ है और इससे पेपरलेस गवर्नेंस को बढ़ावा मिला है.
वेरिफिकेशन का वक्त घटाः डिजीलॉकर (DigiLocker) के जरिए अब एजेंसियां रियल-टाइम में ई-दस्तावेजों को देख लेती हैं और इनका वेरिफिकेशन हो जाता है. ऐसे में वेरिफिकेशन में लगने वाला वक्त घट गया है.
सिक्योर ऑथेंटिकेशनः इससे इश्यूअर और वेरिफायर के बीच आथेंटिकेशन के आधार पर सुरक्षित रूप से दस्तावेजों का आदान प्रदान हो जाता है.
5 स्टेप्स में ऐसे हासिल करें डिजीलॉकर
डिजीलॉकर के प्रमुख सेक्शंस को समझना
डॉक्युमेंट एक्सचेंज को सुविधाजनक और ट्रेस करने योग्य बनाने के लिए डिजीलॉकर (DigiLocker) पर मौजूद आपके ई-डॉक्युमेंट्स को 3 समूहों में बांटा जाता है और इन्हें एक क्लिक के जरिए एक्सेस किया जा सकता है.
इश्यूड डॉक्युमेंट्सः सरकार और डिजीलॉकर (DigiLocker) रजिस्टर्ड एजेंसी के जारी किए गए दस्तावेज. इन दस्तावेजों को यूजर की सहमति के साथ अपलोड किया जाता है.
अपलोडेड दस्तावेजः खुद अपलोड किए गए दस्तावेज जिन्हें रेगुलर रूप से अपडेट किया जा सकता है और संंबंधित अधिकारियों के साथ साझा किया जा सकता है.
शेयर्ड डॉक्युमेंट्सः ईमेल के जरिए अथॉरिटीज के साथ साझा किए गए दस्तावेज.
डिजीलॉकर कितना सिक्योर है?
हाल के वक्त में डेटा की अहमियत को लेकर जागरूकता बढ़ी है. ऐसे में किसी शख्स और संस्थान के डेटा को सुरक्षित रखना एक बड़ी जिम्मेदारी का काम है. डिजीलॉकर (DigiLocker) में इस लिहाज से कई सिक्योरिटी उपाय किए गए हैं.
डेटा एनक्रिप्शनः इसमें 256 बिट की सिक्योर सॉकेट लेयर का इस्तेमाल किया जाता है ताकि डेटा एक्सचेंज एनक्रिप्टेड रूप में हो.
आधार बेस्ड ऑथेंटिकेशनः एजेंसियों द्वारा जारी किए गए ई-डॉक्युमेंट्स को एक्सेस करने के लिए यूजर्स को आधार बायोमीट्रिक ऑथेंटिकेशन और OTP ऑथेंटिकेशन के जरिए गुजरना पड़ता है.
सहमति आधारित डॉक्युमेंट एक्सचेंज की अनिवार्यताः डिजीलॉकर (DigiLocker) में स्टोर किए गए दस्तावेजों को एजेंसियां या वेरिफायर्स केवल तभी एक्सेस कर सकते हैं जबकि उन्हें यूजर की सहमति हासिल हो. यूजर को ईमेल या मैसेज के जरिए अकाउंट एक्टिविटीज पर रियल-टाइम अपडेट मिलती हैं. ऐसे में वह किसी भी गड़बड़ी होेने पर संबंधित अधिकारियों के सामने यह मसला उठा सकता है.
महत्वपूर्ण एजेंसियों का इससे जुड़ा होना
यह टू-वे डॉक्युमेंट एक्सचेंज प्लेटफॉर्म न केवल इंडीविजुअल यूजर्स के बीच लोकप्रिय हो रहा है, बल्कि ये हर विभाग के अधिकारियों में भी पॉपुलर है. मंत्रालयों से लेकर राज्य शिक्षा बोर्ड, तेल कंपनियों से लेकर बीमा कंपनियों तक अधिकारी डिजीलॉकर (DigiLocker) के साथ खुद को इंटीग्रेट कर रहे हैं ताकि सेवाओं और बेहतर बनाया जा सके.
यहां ऐसे दो प्रमुख एजेंसी इंटीग्रेशन का जिक्र किया जा रहा है जिनसे आपकी रोजाना की जिंदगी के कामकाज आसान हो सकते हैं.
1. डिजिटल RC और DL: सड़क परिवहन मंत्रालय के साथ साझेदारी में डिजीलॉकर यूजर्स के डिजिटल ड्राइविंग लाइसेंस और व्हीकल रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट्स होस्ट करता है. नेशनल रजिस्टर में इंटीग्रेशन के साथ डिजीलॉकर (DigiLocker) यूजर्स को उनकी डिवाइस पर ही डिजिटल आरसी और डीएल एक्सेस करने की आजादी देता है. डिजिटल आरसी और डीएल को अथॉरिटी वेरिफाई कर सकती हैं.
2. डिजिटल आधारः UIDAI के साथ भागीदारी के साथ डिजीलॉकर (DigiLocker) यूजर्स को ई-आधार को रियल टाइम एक्सेस करने की ताकत देता है. ई-आधार को यूजर्स को तभी मुहैया कराया जाता है जबकि वे अपने डिजीलॉकर को आधार नंबर के साथ लिंक कर लें. डिजिटल आधार को अब यूजर्स शेयर कर सकते हैं और इसे किसी अन्य एजेंसी के साथ लिंक या इंटीग्रेट भी कर सकते हैं.