ब्रेकफास्ट पर ऊंचे टैक्स का सायाः क्या आपकी थाली से गायब हो जाएगा इडली, डोसा?

AAR ने कहा है कि ready-to-cook इडली, डोसा, दलिया मिक्स पर 18 प्रतिशत GST लगेगा. डोसा और इडली मिक्स को कंपनियां पाउडर के फॉर्म में बेचती हैं.

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image: Pixabay, AAR ने ऑब्जर्व किया है कि डोसा और इडली मिक्स पैकेज्ड प्रोडक्ट हैं और कंपनियां बाजार में इसे पाउडर के फॉर्म में बेचती हैं. इसलिए इस पर बैटर की तरह 5% का टैक्स नहीं लगाया जा सकता.

image: Pixabay, AAR ने ऑब्जर्व किया है कि डोसा और इडली मिक्स पैकेज्ड प्रोडक्ट हैं और कंपनियां बाजार में इसे पाउडर के फॉर्म में बेचती हैं. इसलिए इस पर बैटर की तरह 5% का टैक्स नहीं लगाया जा सकता.

इडली, डोसा जैसे दक्षिण भारतीय व्यंजनों को तैयार करने के लिए बाजार में ब्रांड नेम से बेचे जाने वाले रेडी-टू-कुक प्रोडक्ट्स पर 18% गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) लगेगा. अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (AAR) की Tamilnadu Bench ने ये बात कही है. AAR ने ऑब्जर्व किया है कि डोसा और इडली मिक्स पैकेज्ड प्रोडक्ट हैं और कंपनियां बाजार में इसे पाउडर के फॉर्म में बेचती हैं. इसलिए इस पर बैटर की तरह 5% का टैक्स नहीं लगाया जा सकता.

AAR ने अपनी रूलिंग में क्या कहा?

कृष्णा भवन फूड्स एंड स्वीट्स ने ब्रांड नेम के तहत बेचे जाने वाले बाजरा, ज्वार, रागी और मल्टीग्रेन दलिया मिक्स जैसे 49 प्रोडक्ट्स पर लागू जीएसटी को लेकर AAR का दरवाजा खटखटाया था. AAR ने अपनी रूलिंग में कहा, ‘डोसा मिक्स और इडली मिक्स को पैक करके मिक्स के रूप में बेचा जाता है जिसे उबले पानी या दही के साथ मिलाकर घोल बनाया जाता है और जो product बेचा जाता है वह powder होता है, बैटर नहीं. सभी 49 उत्पाद जिनके लिए रूलिंग की मांग की गई है वो सीटीएच 2106 के तहत वर्गीकृत है, जिन पर 9 प्रतिशत सीजीएसटी और 9 प्रतिशत एसजीएसटी एप्लीकेबल है.

नियमित रूप से दाखिल करना होगा रिफंड

एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने कहा, ‘एएआर ने माना कि ब्रांड नाम से बेचे जाने वाले डोसा मिक्स, इडली मिक्स जैसे रेडी-टू-कुक प्रोडेक्ट पर 18 फीसदी जीएसटी लगना चाहिए, भले ही इसके बैटर पर 5 प्रतिशत टैक्स लगता हो.’ मोहन ने कहा, ‘AAR ने जिस तरह से इस पूरे मामले की कानूनी व्याख्या की है उससे पूरी इंडस्ट्री के लिए इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर बन जाएगा और उन्हें नियमित रूप से रिफंड दाखिल करना होगा.’

सरकार करें कानून में संशोधन

हालांकि, कुछ टैक्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस तरह के फैसले से टैक्सेशन के सिस्टम में एक अस्पष्ट स्थिति पैदा हो सकती है. एक प्रोडेक्ट को जब पाउडर के रूप में बेचा जाता है तो उस पर ज्यादा टैक्स लगता है और जब बैटर के रूप में बेचा जाता है तो कम टैक्स. सरकार को ऐसी विसंगतिपूर्ण स्थितियों को हल करने के लिए स्पष्टीकरण देना चाहिए. कानून में संशोधन करना चाहिए.

Published - August 9, 2021, 06:07 IST