इस उद्योग को मजबूत बनाने के लिए सरकार उठा रही कदम, आसानी से मिल रहा लोन

Handloom Industry: हथकरघा उद्योग (Handloom Industry) को मजबूत बनाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.

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केंद्रों से हथकरघा उद्योग को बढ़ावा मिलने के साथ बुनकरों, निर्यातकों, निर्माताओं और डिजाइनरों को भी प्रोत्साहन मिलेगा.

केंद्रों से हथकरघा उद्योग को बढ़ावा मिलने के साथ बुनकरों, निर्यातकों, निर्माताओं और डिजाइनरों को भी प्रोत्साहन मिलेगा.

कोरोना काल से पहले ही हथकरघा उद्योग (Handloom Industry) को मजबूत बनाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. ऐसे उद्योगों (Handloom Industry) को पुनर्जीवित करने, उनके विकास और उन्हें बाजार उपलब्ध कराने के लिए कई पहल की जा रही है. लोकसभा में एक सवाल के जवाब में श्रम और रोजगार राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने बताया कि वस्त्र मंत्रालय बुनकरों के लिए मुद्रा योजना चला रहा है. मुद्रा योजना देश भर में हथकरघा बुनकरों को रियायती ब्याज दर पर ऋण प्राप्त करने में सहायता करता है. योजना के तहत, हथकरघा बुनकरों को 6% की रियायती ब्याज दर पर ऋण प्रदान किया जाता है. अधिकतम 10,000/- रुपये प्रति बुनकर तक की मार्जिन मनी सहायता और 3 साल की अवधि के लिए क्रेडिट गारंटी भी प्रदान की जाती है.

6 वर्षों में लगभग 2.65 करोड़ बुनकर लाभार्थी मुद्रा योजना से जुड़े
उन्होंने बताया कि पिछले 6 वर्षों और चालू वर्ष में, लगभग 2.65 करोड़ बुनकर लाभार्थियों को 890.64 करोड़ रुपये के ऋण का वितरण किया गया है. साथ जानकारी दी कि पंजाब नेशनल बैंक के सहयोग से मुद्रा पोर्टल को विकसित किया गया है ताकि मार्जिन मनी और इंटरेस्ट सबर्वेशन के लिए फंड के वितरण में देरी को कम किया जा सके.

हथकरघा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं
श्रम और रोजगार राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि देश भर में हथकरघा (Handloom) क्षेत्र को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए, वस्त्र मंत्रालय कई योजनाओं को क्रियान्वित कर रहा है, जिसके तहत कच्ची सामग्री, करघे और सहायक उपकरणों की खरीद, डिजाइन इनोवेशन, उत्पाद विविधीकरण, बुनियादी ढांचा विकास, कौशल उन्नयन, लाइटिंग इकाइयों, घरेलू के साथ-साथ विदेशी बाजारों में हथकरघा उत्पादों का बाजार और रियायती दरों पर ऋण के लिए अनुदान के रूप में पात्र हथकरघा एजेंसियों/बुनकरों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.

1 राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम (NHDP)
2 व्यापक हथकरघा क्लस्टर विकास योजना (CHCDS)
3 हथकरघा बुनकर व्यापक कल्याण योजना (HWCWS)
4 यार्न आपूर्ति योजना (YSS)

इन योजनाओं के कार्यान्वयन के अलावा, हथकरघा बुनकरों के लाभ के लिए वस्त्र मंत्रालय द्वारा निम्नलिखित नई पहले भी की गई हैं:

– देश के अलग-अलग कोने से हथकरघा बुनकर और निर्यातक वर्चुअल ढंग से अंतरराष्ट्रीय बाजार से जुड़े हुए हैं.
– भारत की हथकरघा और हस्तकला विरासत को बढ़ावा देने के लिए सभी हितधारकों के साथ साझेदारी में सोशल मीडिया अभियान भी आयोजित किए जाते हैं.
– बुनकरों को शिक्षित करने, उनके कल्याण और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए विभिन्न हथकरघा योजनाओं का लाभ उठाने के लिए उनमें जागरूकता पैदा करने के लिए विभिन्न राज्यों में 534 से अधिक चौपालों का आयोजन किया गया है.
– हथकरघा उत्पादों के ई-बाजार को बढ़ावा देने के लिए हथकरघा उत्पादों के ऑनलाइन बाजार के लिए 23 ई-कॉमर्स कंपनियां लगाई गई हैं.
– हथकरघा क्षेत्र की सहायता के लिए और हथकरघा बुनकरों / उत्पादकों के लिए व्यापक बाजार उपलब्ध कराने के लिए, सरकारी विभागों को अपने उत्पादों की आपूर्ति के लिए सरकारी ई-बाजार (जेम) में 1.5 लाख हथकरघा बुनकर / कंपनियां शामिल हो गई हैं.
– उत्पादकता और बाजार क्षमताओं को बढ़ाने और सामूहिक प्रयासों एवं संसाधनों की पूलिंग के माध्यम से हथकरघा श्रमिकों के लिए उच्च रिटर्न सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न राज्यों में 117 हथकरघा उत्पादन कंपनियां बनाई गई हैं.
– हथकरघा क्षेत्र में डिजाइन-उन्मुखी उत्कृष्टता बनाने और बुनकरों, निर्यातकों, निर्माताओं और डिजाइनरों को नए डिजाइन बनाने में मदद करने और पूर्व निर्मित डिजाइनों का लाभ उठाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईएफटी) के सहयोग से दिल्ली, मुंबई, वाराणसी, अहमदाबाद, जयपुर, भुवनेश्वर और गुवाहाटी में बुनकर सेवा केंद्रों (डब्ल्यूएससी) में डिजाइन संसाधन केंद्र स्थापित किए गए हैं.त्रऋ

Published - March 23, 2021, 11:19 IST