चेकअप के लिए हॉस्पिटल गए मनीष झांसे में आए गए. बिलिंग काउंटर पर पैसे देकर निकल ही रहे थे कि एक परेशान व्यक्ति ने उनसे मदद मांगी. व्यक्ति ने उनसे कहा कि सर, मेरी मां इसी हॉस्पिटल में एडमिट हैं और उनके लिए कुछ जरूरी दवाएं लेनी हैं लेकिन फार्मेसी में कुछ इश्यू की वजह से UPI एक्सेप्ट नहीं हो रहा क्या आप मुझे 5 हजार रुपए कैश दे सकते हैं? मैं तुरंत आपको UPI ट्रांसफर कर दूंगा.
मनीष थोड़ा हिचकिचाते हुए बोले जी ठीक है, ले लीजिए. व्यक्ति ने उन्हें धन्यवाद दिया और कहा मैं तुरंत पैसे ट्रांसफर कर रहा हूं. मनीष ने जरूरतमंद समझकर शख्स की मदद कर दी और हाथोंहाथ फोन में ट्रांजैक्शन का मैसेज भी आ गया. जल्दबाजी में मनीष तब तो मैसेज को एक बार में देखकर निकल गए, लेकिन जब घर पहुंचकर बैंकिंग ऐप पर अकाउंट समरी चेक की तो पता चला कि कोई पैसे आए ही नहीं.
अगस्त में रिकॉर्ड 10 अरब यूपीआई ट्रांजैक्शन
UPI से जुड़ी ऐसी ठगी लगभग हर दिन हो रही है. अगस्त में रिकॉर्ड 10 अरब UPI ट्रांजैक्शन देश में हुए लेकिन UPI की इस बढ़ती पॉपुलैरिटी के साथ, UPI से जुड़े फ्रॉड भी बढ़ रहे हैं. पिछले साल आई बजाज फिनसर्व की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर महीने औसतन 80,000 UPI फ्रॉड होने का अनुमान है. साथ ही इस साल मई में आई रिसर्च एंड कंसल्टिंग कंपनी Praxis की एक रिपोर्ट में बताया गया कि देश में जितने डिजिटल फ्रॉड रिपोर्ट किए जा रहे हैं उनमें UPI का हिस्सा करीब 55 फीसद है.
UP, गुजरात और पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा यूपीआई फ्रॉड
इंडस्ट्री के एक आंकलन के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा UPI फ्रॉड तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, गुजरात और पश्चिम बंगाल में हो रहे हैं. कुल फ्रॉड में इनकी हिस्सेदारी 30 फीसद से ज्यादा है. फिशिंग अटैक्स, मैलवेयर, UPI आईडी स्पूफिंग, डिवाइस की रिमोट मॉनिटरिंग सहित कई दूसरे तरीकों से UPI फ्रॉड हो रहे हैं. यही नहीं, एक्सपर्ट्स का ये भी मानना है कि आने वाले समय में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल कर भी UPI फ्रॉड हो सकते हैं.
ऐसे में सवाल उठता है कि UPI कितना सेफ है? इस बारे में साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट कामाक्षी शर्मा कहती हैं कि UPI खुद में सेफ है. ये एक मजबूत सिस्टम है. दिक्कत UPI की नहीं है बल्कि हमारे डिवाइसेज की है. हमारे डिवाइस, जैसे कि मोबाइल फोन, लैपटॉप आदि हमारे UPI से कनेक्टेड होते हैं. सिस्टम में मैलवेयर आने से, किसी के रिमोट एक्सेस लेने से आपके जरूरी पर्सनल डिटेल्स उनके पास चले जाते हैं. इसकी वजह से फ्रॉड होने का खतरा बढ़ जाता है.
तो फ्रॉड का शिकार न हों, इसके लिए क्या करें. इसपर कामाक्षी का कहना है कि ‘अवेयरनेस इज द की’ यानी लोगों को खुद सतर्क रहने की जरूरत है. किसी भी अनजान व्यक्ति से अपना UPI पिन, ओटीपी शेयर न करें. अपने UPI अकाउंट में टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन इनेबल करें ताकि बेहतर सिक्योरिटी हो. समय-समय पर अपनी UPI ट्रांजैक्शन हिस्ट्री चेक करें ताकि कोई अनऑथोराइज्ड या संदिग्ध ट्रांजैक्शन हुई है, तो आपको पता चल जाए. कुल मिलाकर, UPI का इस्तेमाल करते समय थोड़ी सावधानी बरतने में ही भलाई है. वरना नुकसान आपका होगा और फायदा साइबर ठगों का.