GPS-Based Tolling: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय अब जल्द ही जीपीएस बेस्ड टोल टैक्स कलेक्शन सिस्टम (GPS-Based Tolling) शुरू करने की दिशा में काम कर रहा है. इसे जल्द डेवलप करने के लिए नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने तकनीकी सलाहकार के लिए टेंडर बुलाए हैं. ये NHAI को ये सिस्टम तैयार करने में मदद करेगा. FASTag ने आधिकारिक रूप से एक ट्वीट के माध्यम से बोली लगाने वालों को आमंत्रित किया, जिसमें लिखा है, “भारतीय राजमार्ग प्रबंधन कंपनी लिमिटेड (IHCML) टोलिंग के लिए” ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) बनाने को सलाहकार के लिए प्रस्तावों को आमंत्रित करता है.
सफल बोलीदाताओं को मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक और फास्टैग प्रणाली का अध्ययन करना होगा और टोलिंग पर आधारित ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) पर प्रस्तावित के साथ आना होगा. इसके अलावा, उन्हें GNSS को अपनाने पर एक प्रस्तावित रोडमैप बनाना होगा जिसे NHAI और निजी टोल ऑपरेटर लागू कर सकें.
जीपीएस आधारित टोल प्रणाली क्या है?
जीपीएस टोल प्रणाली (GPS-Based Tolling) एक उपग्रह-आधारित ईटीसी प्रणाली है जो जीपीएस और जीपीआरएस (जनरल पैकेट रेडियो सर्विस) और वाहन ट्रैकिंग सिस्टम (वीटीएस) का उपयोग करेगी जो वाहनों को ट्रैक करने के साथ टोल चार्ज वसूलेगी. जीपीएस आधारित टोलिंग प्रणाली का वाहनों द्वारा तय की गई दूरी के आधार पर टोल शुल्क में कटौती के साथ टोल जमा करने की दिशा में एक और कदम है. यह (GPS-Based Tolling) सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि वाहन चालक केवल तय की गई दूरी के लिए भुगतान करें. मौजूदा समय की तरह फ्लैट दरों पर नहीं. इसी के साथ जीपीएस सड़कों पर वाहनों की सुचारू आवाजाही को सुनिश्चित करेगा.
FASTag को 15 फरवरी ने किया गया है अनिवार्य
FASTtag के माध्यम से टोल संग्रह 15 फरवरी, 2021 से अनिवार्य कर दिया गया था. इसके बाद से देश में 93% वाहन फास्टैग के माध्यम से टोल का भुगतान कर रहे हैं और अभी भी 7% सिस्टम में बदलाव को समझने की कोशिश कर रहे हैं. सरकार ने नकद या अन्य माध्यमों से भुगतान के लिए डबल चार्ज लगाया है और FASTag के माध्यम से 100% टोल संग्रह में वृद्धि की है.