कम जमीन, कम रकबा, कम उपजाऊ खेत और कम कीमत पर कैसे खेती से छोटे किसान अधिकतम आय प्राप्त कर सकते हैं, इसके लिए केंद्र सरकार लगातार अपने प्रयास कर रही है. इसी के तहत सरकार ने निश्चय किया है कि देश भर में कुछ ऐसे मॉडल तैयार किए जाएं, जिन्हें देखकर अन्य किसान भी अपने यहां इस प्रकार के प्रयोग करने के लिए प्रेरित हों. इस संबंध में पहल करते हुए, केंद्र के कृषि मंत्रालय ने योजना बनाते हुए राज्यों को इस पर काम करने के लिए तैयार किया. नवाचार में धन की कमी आड़े नहीं आए इसलिए धन की व्यवस्था केंद्र का कृषि विभाग करेगा साथ ही कुछ अंश राज्य का भी रहेगा.
इसी तारतम्य में मध्य प्रदेश को अपने 20 विकास खंडो को मॉडल के रूप में तैयार करने को कहा गया है. 14 हजार उद्यानिकी कृषक परिवार सीधे और संयुक्त रूप से 2 लाख से अधिक कृषक परिवार इससे लाभान्वित होंगे. राज्य सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि यह प्रयोग कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के रोड मैप का माध्यम बनेगा. दूसरी ओर केंद्र सरकार कह रही है कि ऐसे अनेक प्रयास किए जा रहे हैं, जिनके माध्यम से देश के कृषि क्षेत्र को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाया जा सकेगा.
इस मामले में मध्य प्रदेश के चयनित मॉडल विकास खंडो को देखें तो मुरैना जिले का पोरसा, ग्वालियर का मुरार, शिवपुरी का करैरा, दतिया का सेवढ़ा, शाजापुर का शुजालपुर, उज्जैन का महिदपुर, झाबुआ का झाबुआ, बड़वानी का पाटी, सीहोर का नसरुल्लागंज, भोपाल का बैरसिया, जबलपुर का कुंडम, बालाघाट का परसवाड़ा, मण्डला का नारायणगंज, होशंगाबाद का होशंगाबाद, पन्ना का अजयगढ़, छतरपुर का राजनगर, दमोह का पथरिया, रीवा का रीवा, सतना का रामपुर बघेलान और उमरिया का पाली विकास खण्ड शामिल है. इन्हें इस वर्ष इन विकास खंडो में मुख्य रूप से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में 2,094 लाख, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में 2 हजार 465 लाख, एमआईडीएच योजना में 3 हजार 280 लाख, राज्य योजना में 414 लाख रुपए विभिन्न विकास कार्यों के लिए दिया जाएगा.
केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बताते हैं कि देश में 14 फीसदी किसान पांच बीघा से ऊपर के है और 86 फीसदी पांच बीघा से कम जमीन के कास्तकार हैं. अब पांच बीघा से कम जमीन पर खेती को लाभ का धंधा कैसे बनाया जाए, इसके लिए सरकार ने छोटे किसानों को बड़े अनुदान देने का प्रावधान किया है. इसमें किसानों को महंगी फसलों की खेती के लिए ऋण पर अनुदान का प्रावधान किया गया है. पांच बीघा से कम जमीन वालों को इसमें बहुत लाभ हो सकेगा.
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने यह भी बताया कि किसान खेती की सुरक्षा के लिए बाउंड्री वॉल से लेकर तार फैंसिंग कराएंगे, तो उसके लिए उन्हें 35 फीसदी तक अनुदान की सुविधा मिलेगी. कोरोना काल में एक करोड़ 57 लाख किसानों को केसीसी से जोड़कर उन्हें दो लाख करोड़ के लोन की सुविधा दी गई है. वे कहते हैं कि बीते छह वर्षों में केसीसी पर लोन को छह करोड़ से बढ़ाकर 16 करोड़ तक किया गया है. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना यह भी था कि किसान प्रशिक्षण के बाद फल, सब्जी की फसलें उगा कर अच्छी आय प्राप्त करेंगे, तो किसान की खेती घाटे का सौदा नहीं रहेगी. हॉर्टिकल्चर के प्रशिक्षण के बाद किसान फूड प्रोसेसिंग के साथ-साथ अलग-अलग प्रकार की बागवानी करेगा, जिससे रोजगार के साधन बढ़ेंगे.
केन्द्रीय कृषि एवं किसान-कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का कहना यह भी है कि म.प्र. कृषि प्रधान राज्य है, जहां के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं कृषि मंत्री कमल पटेल दोनों खेती-किसानी से जुड़े हुए हैं. दोनों ही किसानों को उनकी उपज के वाजिब दाम दिलाने तथा कृषि क्षेत्र को समृद्ध करने के लिये बहुत अच्छी तरह काम कर रहे हैं. विगत 15 वर्षों से मध्यप्रदेश में कृषि का क्षेत्र बेहतर परिणाम दे रहा है. केंद्रीय मंत्री ने भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार को भारत सरकार की ओर से पहले भी पूरा सहयोग किया गया है और आगे भी पूरी मदद की जाती रहेगी. किसानों की भलाई के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार कृत-संकल्पित है और किसानों की मदद करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी.
(PBNS)