G-20 नेताओं ने शनिवार को नई दिल्ली घोषणापत्र (New Delhi Leaders Summit Declaration) में आर्थिक विकास दर को बढ़ावा देने, असमानताओं को कम करने और व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए अच्छी तरह से जांची गईं मौद्रिक, राजकोषीय, वित्तीय और संरचनात्मक नीतियों की जरूरत दोहराई.
घोषणापत्र के अनुसार, वैश्विक नेताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि केंद्रीय बैंक अपने संबंधित आदेशों के अनुरूप मूल्य स्थिरता हासिल करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं. घोषणापत्र में कहा गया कि दुनिया की आर्थिक ग्रोथ औसत से नीचे है और असमान बनी हुई है. इसे देखते हुए आर्थिक माहौल को लेकर अनिश्चितता अधिक बनी हुई है. वैश्विक वित्तीय स्थितियों में उल्लेखनीय सख्ती के साथ जोखिमों का संतुलन नीचे की ओर झुका हुआ है. यह सख्ती ऋण कमजोरियों, लगातार मुद्रास्फीति और भू-आर्थिक तनाव को और खराब कर सकती है.
घोषणापत्र में कहा गया, “इसलिए, हम वृद्धि को बढ़ावा देने, असमानताओं को कम करने और व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए अच्छी तरह से परखी हुईं मौद्रिक, राजकोषीय, वित्तीय और संरचनात्मक नीतियों की जरूरत को दोहराते हैं.”
नेताओं ने वित्तीय स्थिरता बोर्ड (FSB), मानक निर्धारण निकायों (SSB) और कुछ न्यायक्षेत्रों द्वारा उठाए गए शुरुआती कदमों का भी स्वागत किया. ये कदम यह जानने के लिए उठाए गए थे कि इस हालिया बैंकिंग उथल-पुथल से क्या सबक सीखा जा सकता है और उन्हें अपने चल रहे काम को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है.
G-20 नेताओं ने कहा कि वे नकारात्मक जोखिमों से सुरक्षा के लिए जरूरत पड़ने पर व्यापक विवेकपूर्ण नीतियों का उपयोग करेंगे. घोषणापत्र में कहा गया, “केंद्रीय बैंक अपने संबंधित आदेशों के अनुरूप मूल्य स्थिरता प्राप्त करने के लिए दृढ़त प्रतिबद्ध हैं। वे यह सुनिश्चित करेंगे कि मुद्रास्फीति की उम्मीदें अच्छी तरह से स्थिर रहें.” घोषणापत्र में कहा गया कि नीतिगत विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए केंद्रीय बैंकों की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है.