Money9 का फाइनेंशियल फ्रीडम समिट अपने दूसरे संस्करण के साथ बार फिर से वापस आ गया है. मुंबई में फाइनेंशियल फ्रीडम समिट की दूसरी कड़ी की शुरूआत हो गई है. इस समिट में भारतीयों के बीमा, बैंकिंग, निवेश, कमाई, खर्च और बचत से जुड़े हर सवाल का जवाब एक मंच पर मिलेगा. तो अगर आपके पास भी कोई सवाल है तो जुड़ जाइये हमारे साथ.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि मनी9 का फाइनेंशियल फ्रीडम समिट निवेशकों का भरोसा बढ़ाएगा. उन्होंने आगे कहा कि मनी9 पर्सनल फाइनेंस सर्वे 2023 से भारत को और भी बेहतर तरीके से समझने में मदद मिली. भारत के बैंकिंग सिस्टम पर देशवासियों का भरोसा बढ़ा है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सोना—चांदी में निवेश की आदत में बदलाव आना चाहिए. गोल्ड और सिल्वर निवेश के बेहतर उपकरण नहीं हैं. उन्होंने आगे कहा कि फाइनेंशियल प्लानिंग शुरू करने का यही सही समय है. पूरी कायनात भारत को विकसित बनाने के लिए कोशिश कर रही है. मनी9 140 करोड़ भारतीयों की उम्मीदों को पूरी करने में मदद करेगा. उन्होंने कहा कि स्कूल कॉलेजों के पाठ्यक्रम में फाइनेंशियल एजुकेशन को शामिल करने की जरूरत है. उपभोक्ता केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने से भारत के ब्रांड मजबूत बनेंगे.
दिग्गज निवेशक विजय केडिया ने कहा कि निवेश से पहले कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड देखता हूं. कितना कर्ज है ये देखता हूं. उसके प्रोमोटर्स की साख देखता हूं.
Kotak Asset Management Company के MD नीलेश शाह ने कहा कि कहावत है कि दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंककर पीता है. लोगों ने पोंजी स्कीम में, क्रिप्टो में, लॉटरी में, गेमिंग में पैसा गंवाया है, जो अनुभव किया है वो खराब रहा है. वो डायरेक्ट स्टॉक मार्केट में निवेश करने गए तो भी खराब अनुभव रहा. इसलिए लोग सही-गलत में अंतर नहीं कर पा रहे. एक लालज है कि हर किसी को जल्दी से जल्दी ज्यादा से ज्यादा पैसा बनाना है. ये भारत ही नहीं पूरी दुनिया में है. सेबी के गाइडलाइन्स से पारदर्शिता आई है, इससे आज नहीं तो कल निवेशक एडुकेटेड हो जाएगा और वो म्यूचुअल फंड में लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करने लगेगा.
Bajaj Finserv AMC के CEO गणेश मोहन ने कहा कि 90% लोग नए निवेशक हैं. मार्केट इस समय फेयर जोन में है. भारत जैसे बाजार में लॉन्ग टर्म निवेश मायने रखेगा. मार्केट में निवेश जारी रखना जरूरी है. निवेश नहीं निकालेंगे तो आगे काफी रिटर्न मिलेगा. उन्होंने कहा कि रेगुलेशन जरूरी चीज है. रेगुलेशन अच्छा होना, इंडस्ट्री के लिए अच्छी बात है. कंपनियों को इंश्योर करना चाहिए कि रेगुलेशन का वो पालन कर रहे हैं. पालन ना होने पर रेगुलेटर को कार्रवाई करनी चाहिए. Mf निवेशकों के लिए जरूरी है कि फंड मैनेजर अपने दायित्वों का पालन करें. हम लोगों के पैसों को मैनेज कर रहे हैं, इसलिए हमें ये देखना चाहिए कि हम पैसे उन कंपनियों में निवेश कर रहे हों जो रेगुलेशन का पालन कर रही हैं.
WhiteOak Capital AMC के CEO आशीष सोमैया ने कहा कि शुरुआत करनी जरूरी है. धीरे-धीरे मार्केट को समझ लेंगे.
Samco के CEO विराज गांधी ने कहा कि लॉन्ग पीरियड में कमाई के लिए म्यूचुअल फंड जरूरी है.
Marcellus Investment Managers के फाउंडर और Chief Investment Officer सौरभ मुखर्जी ने कहा कि पिछले 10-20-30 साल को देखें तो भारत दुनिया के सबसे अच्छे प्रदर्शन वाले शेयर बाजारों में शामिल रहा है. पिछले 20 साल में दुनिया का सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला मार्केट रहा है. पिछले 10 साल में अमेरिका के बाद दूसरा सबसे अच्छा मार्केट रहा है. उन्होंने कहा कि 7% पर भारत की इकोनॉमी ग्रो कर रही है. बड़े इकोनॉमी में भारत सबसे आगे हैं. पिछले 10 साल में शेयर बाजार का 60% वेल्थ दो देशों में बना है- अमेरिका और भारत. भारत में जो हो रहा है, वो अमेरिका में 1880 से 1930 के बीच हुआ था. 50 साल में अमेरिका एक विलेज इकोनॉमी से दुनिया की सबसे बड़ी इकोनमी बन गई. सारी बड़ी कंपनियां इसी दौरान अमेरिका में बनीं. छोटी कंपनियां खत्म हो गईं. भारत में ये सिलसिला 20 से 30 साल में हो जाएगा. इसे नेटवर्किंग ऑफ अ कंट्री या फॉर्मेलाइजेशन ऑफ अ इकोनमी कहते हैं. भारत में 5 बड़े बदलाव हो रहे हैं. एक- महिलाएं अब अर्थव्यवस्था में काफी बड़ा योगदान दे रही हैं. दो- शिक्षा. पहली बार भारत के इतिहास में कंपनियां के बोर्ड रूम में इलीट एडुकेशन वाले लोगों की तादाद घटी है. तीसरा- दक्षिण भारत का तेज विकास. चौथा- चीन प्लस 1. इससे भारत को निवेश का बड़ा गंतव्य देखा जा रहा है. पांचवां- भारत को आउटसोर्सिंग का फायदा हो रहा है.
360 One Asset के Sales and Distribution विभाग के President अनुनय कुमार ने कहा है कि लोग अब ट्रेडिशनल एसेट से हटकर देख रहे हैं. लेकिन अब भी लोग कैपिटल मार्केट का ज्यादा रुख नहीं कर रहे. लोगों की सोच गोल्ड और प्रॉपर्टी से बाहर निकलने में वक्त लग रहा है.
HDFC Securities के MD और CEO धीरज रेली ने कहा कि सेंसेक्स ही नहीं बल्कि निफ्टी भी 1 लाख का आंकड़ा पार करेगा. भारत में हम फिजिकल एसेट- सोना, घर आदि पर ध्यान देते रहे हैं. अब फाइनेंशियल एसेट पर ध्यान दिया जा रहा है. इसमें फिक्स्ड इनकम वाले टूल्स लोग पसंद करते हैं जैसे कि FD. अब एक नई चीज आ रही है, इसे Finanicalization of savings कहते हैं. इसमें Equitization of savings देखी जा रही है. यानी सेविंग का एक हिस्सा अब इक्विटी में लगाया जाने लगा है. भारत में 1.4 अरब लोगों में से unique investors in mf industry 4 करोड़ लोग हैं. पिछले 4-5 साल में डीमैट अकाउंट की संख्या में काफी तेजी आई है. 2 करोड़ से बढ़कर अब करीब 12 करोड़ डीमैट अकाउंट हो गए हैं. डीमैट अकाउंट खोलना काफी आसान हो गया है. हालांकि कई डीमैट अकाउंट इनएक्टिव हैं. अभी भी लंबा सफर तय करना है. पहले लोग शेयर मार्केट में निवेश करने से डरते थे. अब धीरे-धीरे इस सोच में बदलाव आ रहा है. शेयर बाजार को लेकर जागरुकता बढ़ी है. बाजार में आगे उतार-चढ़ाव हो सकता है. रेगुलेटर को एक अहम भूमिका निभानी होगी.
कार्यक्रम के दौरान Zuno की MD और CEO शनाई घोष ने कहा है कि बीमा के अंदर कई तरह के बीमा आते हैं. देश में 4 -5 तरह के प्रमुख बीमा हैं, लाइफ इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस, प्रॉपर्टी इंश्योरेंस, फसल बीमा और व्हीकल इंश्योरेंस. इसके अलावा भी कई बीमा हैं. बीमा के बारे में ये जानना जरूरी है कि क्योंकि क्लेम करने वालेे बहुत सारे लोग होंगे, तो इसे ध्यान में रखते हुए बीमा महंगा होता है. बीमा का रेट नीचे आएगा, एक्सपीरियंस के साथ ऐसा होगा. हम मार्केट बढ़ाने की कोशिश करते हैं. हेल्थ इंश्योरेंस महंगा होने की वजह है कि हेल्थ केयर सेक्टर में महंगाई बढ़ी है. इंश्योरेंस कंपनियां इस वजह से हेल्थ इंश्योरेंस की कीमत बढ़ा रही है. हालांकि कॉस्ट कम करने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है. इंश्योर टेक कंपनियां इसमें योगदान दे रही हैं. इंश्योरेंस सेक्टर के रेगुलेशन के बजाए हमें हेल्थ केयर सेक्टर के रेगुलेशन की ज्यादा जरूरत है. हेल्थ केयर के इंफ्लेशन की वजह से ही हेल्थ इंश्योरेंस महंगा हो रहा है.
Policy Bazaar Fintech के निदेशक राजीव कुमार गुप्ता ने कहा कि पिछले 1 दशक में बीमा कंपनियों ने जो सफर तय किया है उससे लगता है कि अवसर बढ़े हैं. हम टियर-1 शहरों में आगे बढ़े हैं, लेकिन टियर-2 और 3 शहरों में अभी और काम करना बाकी है. हम चाहते हैं कि हम इंश्योरेंस पार्टनर कंपनियों के साथ छोटे शहरों में पहुंच बढ़ाएं. हमें इन शहरों में रहने वाले लोगों को कन्विंस करना है कि इंश्योरेंस लेना क्यों जरूरी है. हमें छोटे शहरों के हिसाब से प्रोडक्ट लाना होगा. मुझे उम्मीद है कि 2047 नहीं बल्कि उससे काफी पहले सबके लिए बीमा का लक्ष्य पूरा कर पाएंगे. ज्यादा लोग बीमा खरीदेंगे तो बीमा सस्ता होगा. हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर को इन्सेंटिव देने की जरूरत है.
कार्यक्रम के दौरान Aditya Birla Sun Life Mutual Fund के MD और CEO ए बालासुब्रह्मण्यम ने कहा कि MF इंडस्ट्री में पिछले कुछ समय में सबसे बड़ा इनोवेशन दो तरफ से हुआ है. एक तो फाइनेंशियल लिटरसी दिखी है, इसमें सेबी ने बड़ा योगदान दिया है. लिटरेसी बढ़ाने के लिए सेबी में अलग से बजट है. दूसरा इनोवेशन ये हुआ है कि SIP पॉपुलर हुई है. लोग म्यूचुअल फंड शब्द से भले वाकिफ ना हों, लेकिन SIP शब्द को जानते हैं. जागरुकता मायने रखती है. लोग पैसे करेंट या सेविंग अकाउंट में रखकर भूल जाते हैं. जागरुकता बढ़ानी होगी कि ये पैसे MF में निवेश करें. MF इंडस्ट्री में अगले 10 साल में सुपर फास्ट ग्रोथ आएगी. हर घर SIP को रियलिटी बनाने का लक्ष्य. हर घर में कम से कम एक SIP जरुर होना चाहिए.
कार्यक्रम के दौरान U GRO Capital के Chief Risk Officer अनुज पांडे ने कहा कि आप पुराने आंकड़े देखें तो पाएंगे कि भारत की ग्रोथ रेट को बनाने के लिए एक क्रेडिट ग्रोथ की जरूरत होती है. भारत 7-8 परसेंट की जीडीपी रेट चाहता है तो कम से कम 15-16 परसेंट की क्रेडिट ग्रोथ होनी चाहिए. जब तक वर्किंग कैपिटल नहीं मिलेगा, MSME की ग्रोथ नहीं होगी. बिना कर्ज के आगे बढ़ना संभव नहीं. उन्होंने कहा कि कंजम्पशन कैपिटल पर ध्यान देने की जरूरत है. सरकार ने बोला है कि अगले साल वो कर्ज थोड़ा कम लेगी. सरकार सबसे ज्यादा फंड ले लेगी तो बाकी लोगों को कर्ज कम मिलता है. कर्ज महंगा नहीं होगा लेकिन सस्ता होने में अभी देर है. अनुज पांडे ने कहा कि टेक्नोलॉजी और डेटा को हम आपस में जोड़ते हैं. दोनों अलग हैं. टेक्नोलॉजी एक कमोडिटी है जो आपकी कस्टमर तक पहुंचने में मदद करती है. डेटा का लेना देना डेटा साइंस से है जिसके हिसाब से आप ये तय करते हैं कि किसे लोन देना चाहिए और किसे नहीं. टेक्नोलॉजी की मदद से आसान हो गया है लोन देना. भारत अभी पूरी तरह डिजिटल लोन के लिए तैयार नहीं है. मेट्रो शहरों में हो सकता है लेकिन छोटे शहरों के हिसाब से ऐसा नहीं है.
तीसरे सेशन के दौरान Roongta Securities Pvt Ltd के सीईओ हर्षवर्धन रुंगटा ने कहा कि केवल एक तरह के एसेट से पोर्टफोलियो नहीं बनता. हर एसेट क्लास की अपनी अलग अलग अहमियत होती है. निवेशक अपने मुख्य लक्ष्य को ध्यान में रखकर पोर्टफोलियो बनाएं. अपनी जरूरत के हिसाब से इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट चुनना चाहिए.
तीसरे सेशन के दौरान Moneyfront के को-फाउंडर और CEO मोहित गर्ग ने कहा कि हर जेनरेशन अपने एक खास फाइनेंशियल प्रेफरेंस के लिए जाना जाता है. हर जनरेशन ने अपना दौर देखा है, एडुकेशन मायने रखता है. स्कूल-कॉलेज में फाइनेंशियल एडुकेशन नहीं दिया जाता है. मिडिल इनकम ग्रुप को भी ऐसा एडुकेशन नहीं मिला. इसे दूर करने की जरूरत है.
फाइनेंशियल फ्रीडम समिट के तीसरे सेशन में Credence Wealth Advisors के MD कीर्तन शाह ने कहा कि भारत में 90 फीसद लोग बैंकरप्सी से बस एक स्टेप दूर हैं, वो स्टेप हैं अस्पताल में भर्ती होना. इन्वेस्टमेंट करते समय रिस्क को ध्यान में रखें. रिस्क को कवर नहीं करेंगे तो निवेश बेकार है. रिस्क मैनेजमेंट पर ध्यान नहीं देंगे तो इन्वेस्टमेंट का मतलब नहीं.
फाइनेंशियल फ्रीडम समिट के तीसरे सेशन में CFP पूनम रुंगटा ने कहा कि इमरजेंसी फंड प्लानिंग बहुत जरूरी है. इमरजेंसी जॉब लॉस, हेल्थ से जुड़ी दिक्कत आदि हो सकती है. उसके लिए हमें तैयारी रखनी जरूरी है. इसके लिए फाइनेंशियल प्लानिंग जरूरी है. इमजेंसी फंड कितना होना चाहिए, कैसे रखना चाहिए. पहले हम 3-6 महीने की फंड होने की बात कहते हैं, फंड का मतलब हर महीने का पूरा खर्च. लेकिन कोविड के बाद अब लगता है कि 6 से 8 महीने का फंड होना चाहिए.
फाइनेंशियल फ्रीडम समिट के तीसरे सेशन ‘इतनी असुरक्षा क्यों है भाई?’ में Wiseinvest Pvt Ltd के CEO हेमंत रुस्तगी ने बताया कि भारतीय फाइनेंशियली वलरनेबल हैं क्योंकि उनके पास पर्याप्त नहीं है. जिस समाज में हम रहते हैं, उसके हिसाब से हमारे पास पर्याप्त पैसे नहीं है. एक्टरनल और इंटरनल फैक्टर हैं. एक्सटरनल फैक्टर यानी- जॉब लॉस का डर, इनकम लेवल कम हो सकता है, हाई कॉस्ट ऑफ लीविंग आदि. इंटरनल फैक्टर को लेकर उन्होंने कहा कि हम सही सेविंग नहीं करते. इंश्योरेंस नहीं लेते. इन्वेस्ट नहीं करते. रिस्क मैनेजमेंट पर ध्यान नहीं देते. भारतीय पहले खर्च करते हैं फिर बचत करते हैं. इसका उल्टा होना चाहिए. इस सोच में बदलाव करने की जरूरत है. सही प्रोडक्ट में निवेश करें.
फाइनेंशियल फ्रीडम समिट के दूसरे सेशन ‘वित्तीय आज़ादी का मंत्र’ में American Academy of Financial Management India के डायरेक्टर दीपक जैन ने कहा कि रिटायरमेंट का गोल लोगों को समझा पाना मुश्किल है. हमें आम इंसान को समझाने की कोशिश करते हैं कि रिटायरमेंट का गोल सबसे जरूरी गोल होना चाहिए. जब तक आप खुद फाइनेंशियली सिक्योर नहीं होंगे, आप किसी और की, अपने परिवार वालों की मदद नहीं कर पाएंगे. अपनी रिटायरमेंट और फाइनेंशियल फ्रीडम को पहली प्राथमिकता दें.
डीपी सिंह ने कहा 2024 में आएगा जन निवेश.
अंशुमान तिवारी के सवाल- भारत में कम आय वाले वर्ग में MF की जानकारी सबसे कम है. 500 रुपए से कम के SIP से क्या कोई बदलाव आ सकता है? सर्वे से भी पता चला कि कम आय वाले लोग ही क्रिप्टो में सबसे ज्यादा पैसे लगा रहे हैं?इसके जवाब में SBI Mutual Funds के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर डी पी सिंह ने कहा कि 500 रुपए से कम की SIP को मैनेज करने का खर्च भी वही है जो 5,000 रुपए की SIP पर आता है.SIP को मैनेज करने का खर्च 35 रुपए है. इसे कम करने का लक्ष्य है. कम आय वाले वर्ग के लोगों को सर्विस देने के लिए लोग नहीं हैं. इसपर काम किया जा रहा है. इससे 250-500 रुपए की SIP के पेनेट्रेशन को बढ़ाने में मदद मिलेगी.
मनी9 के संपादक अंशुमान तिवारी के सवाल- भारत में लोग क्रिप्टो या लॉटरी में म्यूचुअल फंड से ज्यादा निवेश क्यों करते हैं? के जवाब में डी पी सिंह ने कहा कि इसकी वजह कम फाइनेंशियल लिटरसी है. लोग रिस्क लेते हैं, फाइनेंशियल एडुकेशन की कमी है. बहुत सारे ऐप हैं, आपका ऐप भी है जो इसे बदल रहा है. वे लोगों को एडुकेट कर रहे हैं. अब गांव में बैठे लोग भी इन्हें समझने लगे हैं. मुंबई में लोगों के पास जो जानकारी है, वो छोटे शहरों में रहने वाले लोगों के भी पास है. आने वाले 5 साल पिछले 5 साल से अलग होंगे.
फाइनेंशियल फ्रीडम समिट के पहले सेशन ‘अगले 50 लाख करोड़ कब?’ में SBI Mutual Funds के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर डी पी सिंह ने कहा कि भारत में म्यूचुअल फंड का AUM 50 लाख करोड़ का है. इतने रुपए का सफर काफी अच्छा रहा. इसमें हमारी मेहनत के अलावा मार्केट की मेहनत और देश के ग्रोथ ने योगदान दिया. म्यूचुअल फंड स्टॉक मार्केट का बढ़िया इंस्ट्रूमेंट है. मुझे पूरी उम्मीद है कि 50 लाख करोड़ से 100 का करोड़ का सफर जल्दी ही पूरा हो जाएगा. जो ग्रोथ है उसे देखते हुए 2030 तक म्यूचुअल फंड का AUM 100 का करोड़ तक पूरा हो जाना चाहिए.फाइनेंशियल फ्रीडम का मतलब है कि जो मेरा गोल है, मेरे दिमाग में साफ होना चाहिए. सबसे बड़ी दुविधा होती है कि मेरा गोल क्या है. मुझे पैसा लगाना है तो फ्रीडम ये है कि मुझे सब कुछ आसानी से मिल जाए और मै तुरंत निवेश कर सकूं. मनी9 ऐप इस फाइनेंशियल फ्रीडम की तरफ एक बहुत बड़ा कदम है.
महाराष्ट्र सरकार के पर्यटन, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री, मंगल प्रभात लोढ़ा ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि टीवी9 नेटवर्क भारत का सबसे पॉपुलर और प्रभावशाली न्यूज नेटवर्क है. मुंबई भारत की आर्थिक राजधानी है, ये सही जगह है समिट के आयोजन के लिए. प्रधानमंत्री कहते हैं कि लोगों को अपने फैसले खुद लेने चाहिए. किसी को स्टॉक, इंश्योरेंस लेना हो, तो उसे किसी एडवाइजर के पास जाता है, लेकिन मनी9 के इस सुपर ऐप की मदद से लोग खुद ये फैसले लेने में सक्षम होंगे. मनी किसी भी चीज में सबसे ऊपर होती है, जब तक पैसा नहीं तब तक कुछ नहीं. इसलिए आपका प्लेटफॉर्म काफी मायने रखता है. मुझे उम्मीद है कि आपका प्लेटफॉर्म बहुत ही सफल होगा.
फाइनेंशियल फ्रीडम समिट का आगाज हो चुका है. टीवी9 समूह के सीईओ बरुण दास ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कहा कि भारत एक बदलता देश है. 140 करोड़ लोग सकारात्मक बदलाव का इंतजार कर रहे हैं. ये मानना कि मनी मैनेजमेंट केवल अमीरों का लेना-देना है, इस सोच में बदलाव करना जरूरी है, मनी9, देश का पहला और एकमात्र बहुभाषी पर्सनल फाइनेंस न्यूज प्लेटफॉर्म है और ये इसी सोच को बदलने की कोशिश कर रहा है. दूसरा समिट में पॉलिसी लीडर्स, फाइनेंशियल जगत के नेता यहां जुटे हैं. हम समिट में बड़ी चुनौतियों पर चर्चा करेंगे. 22 फीसद भारतीय अपनी जीवनभर की कमाई, अप्रत्याशित मेडिकल इमरजेंसी की वजह से गंवा देते हैं, बड़ी आबादी जॉब लॉस के खतरे का सामना करती है. मनी9 के मेगा सर्वे में ऐसी कई बड़ी जानकारी सामने आई. ये भी पता चलता है कि तमाम दिक्कतों के बावजूद लोग पूरी मजबूती से आगे बढ़ रहे हैं.