fertilizer factory: गोरखपुर में विश्व का सबसे बड़ा प्रिलिंग टावर वाला खाद का कारखाना (fertilizer factory) बनकर लगभग पूरी तरह तैयार है. आपको बता दें, प्रिलिंग टावर वो होता है जिसमें पिघले हुए ठोस पदार्थ को छोटे छोटे गोल कणों में बदला जाता है. गेल द्वारा बिछाई गई पाइप लाइन से आने वाली नेचुरल गैस और नाइट्रोजन के रिएक्शन से अमोनिया का लिक्विड तैयार किया जाएगा. अमोनिया के इस लिक्विड को प्रिलिंग टॉवर की 117 मीटर ऊंचाई से गिराया जाएगा. इसके लिए ऑटोमेटिक सिस्टम तैयार किया गया है.
रिकॉर्ड समय में बन कर हुआ तैयार
गोरखपुर का यह खाद कारखाना रिकॉर्ड समय में बन कर तैयार हुआ है. उम्मीद है इसी अक्टूबर के महीने में प्रधानमंत्री मोदी इसका उद्घाटन करेंगे.
इस खाद कारखाने में स्किल डेवलपमेंट सेंटर भी खोले जाएंगे, जहां से प्रशिक्षण प्राप्त कर नौजवान रोजगार प्राप्त कर सकेंगे.
गौरतलब है कि यह कंपनी अस्सी के दशक में बंद हुई थी और इसे शुरू करने की मांग स्थानीयों निवासियों द्वारा लगातार की जाती रही है.
कुतुब मीनार से दोगुना ऊंचा है प्रिलिंग टॉवर
मार्च 2015 में मोदी सरकार ने 8000 करोड़ रुपये की लागत से इसको शुरू करने का कैबिनेट से प्रस्ताव पारित किया. July 2016 में प्रधानमंत्री मोदी ने इसका शिलान्यास किया.
युद्ध स्तर पर काम हुआ और ये कारखाना अब शुरू होने में 3-4 सप्ताह शेष हैं. गोरखपुर खाद कारखाने के प्रिलिंग टॉवर की ऊंचाई कुतुबमिनार से दोगुने से भी अधिक है.
कुतुबमिनार की ऊंचाई 72.5 मीटर (237.86 फीट) है जबकि प्रिलिंग टॉवर की ऊंचाई 149.5 मीटर (490.48 फीट) है.
अगले महीने से शुरू हो सकता है उत्पादन
हिंदुस्तान उर्वरक रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल, हर्ल) के फर्टिलाइजर खाद कारखाना का उत्पादन अगले महीने से शुरू हो जाएगा.
149.2 मीटर ऊंचा प्रीलिंग टॉवर बनकर तैयार है. विश्व में इतना ऊंचा टॉवर कहीं नहीं है. कोशिश है कि अक्टूबर 2021 से खाद कारखाना अपनी पूरी क्षमता से चले. यह कहना है हर्ल के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट वीके दीक्षित का. वह हर्ल के कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे.
यूरिया की साइज होगी अच्छी
बताया जा रहा है कि टॉवर बनने से यूरिया की साइज अच्छी होगी। अमोनिया के कूलिंग टॉवर के सभी नौ सेल तैयार हो चुके हैं। 2 साल पहले उम्मीद की गई थी ये कारखाना बड़े स्तर पर खाद का उत्पादन करेगा और लोगों को रोजगार मिलेगा।
जापान लाई गई हैं मशीन
मीडिया एं खबरों के अनुसार खाद कारखाना में ज्यादातर भारत निर्मित मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है. जो मशीनें देश में नहीं बन रही हैं, उन्हें जापान से मंगाया जा रहा है.
जापान से जल मार्ग से मशीन को भेजा जा गया। छपरा से इसे सड़क के रास्ते गोरखपुर तक ले आया गया था.
16 मेगावाट बिजली का होगा उत्पादन
खाद कारखाना में 16 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा. जरूरत के हिसाब से उत्पादन बढ़ाया जा सकेगा.
साथ ही फर्टिलाइजर बिजली घर से 10 एमवीए की क्षमता का कनेक्शन भी लिया गया है. इमरजेंसी की स्थिति में बिजली से मशीनें चलाई जाएंगी.