अब राज्य में नहीं बन सकेगी ड्रीम 11 पर टीम, ये है मामला

Dream 11 Team: कर्नाटक में ड्रीम इलेवन ने अपना संचालन बंद कर लिया है. को-फाउंडर्स के खिलाफ शिकायत दर्ज होने पर इस गेमिंग एप को ये फैसला लेना पड़ा.

Dream 11 Team:

Pic Courtesy: Pixabay, ड्रीम इलेवन के खिलाफ ये शिकायत दर्ज करवाई बेंगलुरु में रहने वाले एक कैब ड्राइवर मंजूनाथ ने. मंजूनाथ ने कहा कि बहुत से खिलाड़ियों को ज्यादा पैसे मिलने की उम्मीद में इस एप पर खेलते और फिर हारते हुए देखने के बाद वह ये शिकायत दर्ज करवाने पर मजबूर हुए.

Pic Courtesy: Pixabay, ड्रीम इलेवन के खिलाफ ये शिकायत दर्ज करवाई बेंगलुरु में रहने वाले एक कैब ड्राइवर मंजूनाथ ने. मंजूनाथ ने कहा कि बहुत से खिलाड़ियों को ज्यादा पैसे मिलने की उम्मीद में इस एप पर खेलते और फिर हारते हुए देखने के बाद वह ये शिकायत दर्ज करवाने पर मजबूर हुए.

Dream 11 Team: ‘ये मैं कर लेता हूं, आप ड्रीम 11 पर टीम बना लो’ – ड्रीम 11 की ये पंचलाइन अब कर्नाटक में खास कारगर नजर नहीं आएगी. उसकी वजह है कि कर्नाटक में ड्रीम इलेवन ने अपना संचालन बंद कर लिया है. अपने दो को-फाउंडर्स हर्ष जैन और भवित सेठ के खिलाफ शिकायत दर्ज होने पर इस गेमिंग एप को ये फैसला लेना पड़ा. खबर है कि पुलिस कंपनी के दोनों को-फाउंडर्स को समन भी भेजने वाली है. बता दें कि इस लोकप्रिय गेमिंग ऐप का संचालन टाइगर ग्लोबल नाम की कंपनी करती है.

कंपनी ने जारी किया सार्वजनिक बयान

इस मामले पर कंपनी ने एक सार्वजनिक बयान भी जारी किया है. इस बयान में कहा गया है कि एप यूज करने वालों की चिंताओं को दूर करने के लिए फिलहाल कंपनी ने ये फैसला लिया है.

जिसके तहत कर्नाटक में ड्रीम इलेवन पर अब उपयोगकर्ता खेल नहीं खेल सकेंगे. कंपनी ने ये भी कहा कि ये फैसला कानून के दायरे में रहते हुए बिना किसी पूर्वाग्रह के लिया जा रहा है.

क्या है मामला?

ड्रीम इलेवन के खिलाफ ये शिकायत दर्ज करवाई बेंगलुरु में रहने वाले एक कैब ड्राइवर मंजूनाथ ने. मंजूनाथ ने कहा कि बहुत से खिलाड़ियों को ज्यादा पैसे मिलने की उम्मीद में इस एप पर खेलते और फिर हारते हुए देखने के बाद वह ये शिकायत दर्ज करवाने पर मजबूर हुए.

मंजूनाथ ने ये भी कहा वह ये देखकर और भी हैरान थे कि पैसा किसके पास जा रहा है कि इसको लेकर गेमिंग ऐप पर कोई पारदर्शिता नहीं बरती जा रही थी.

मंजूनाथ ने ये आरोप भी लगाए कि इस ऐप में खिलाड़ियों का किसी भी प्रकार की एक्टिविटी पर कोई कंट्रोल नहीं होता. उनके मुताबिक ये खिलाड़ियों के पैसे को जोखिम डालने वाला ऑनलाइन गेम है.

मौका बनाम कौशल पर बहस

कर्नाटक विधानसभा ने 22 सितंबर को 1963 के पुलिस अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी थी. जिसमें गेम्बलिंग यानि जुआ खिलाने वाली ऑनलाइन गेम्स पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी. इन्हें गेम ऑफ चांस भी कहा जाता है.

राज्य में बढ़ रहे साइबर क्राइम के मामलों के बाद ये संशोधन मंजूर किया गया था. लेकिन इस फैसले ने राज्य में गेमिंग स्टार्टअप्स को लेकर एक नई बहस को जन्म दे दिया.

कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के मुताबिक गेम ऑफ स्किल और गेम ऑफ चांस के बीच अंतर करने में बुरी तरह विफल होने बाद अब देश में गेमिंग स्टार्टअप्स को लेकर नई डिबेट शुरू हो गई है.

Published - October 11, 2021, 02:27 IST