ड्राफ्ट ई-कॉमर्स पॉलिसी में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के लिए नियम तय

Draft E-Commerce Policy: पिछले हफ्ते डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) वाली एक अंतर-मंत्रालयी बैठक में ड्राफ्ट पर चर्चा हुई

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Picture: Pixabay - कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड एप्लायंसेज मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीईएएमए) के अध्यक्ष एरिक ब्रैगेंजा ने कहा कि वित्त वर्ष 2011 में विकास दर 12-14 फीसदी से आधे से अधिक 5-6 फीसदी हो गई. 

Picture: Pixabay - कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड एप्लायंसेज मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीईएएमए) के अध्यक्ष एरिक ब्रैगेंजा ने कहा कि वित्त वर्ष 2011 में विकास दर 12-14 फीसदी से आधे से अधिक 5-6 फीसदी हो गई. 

Draft E-Commerce Policy: ड्राफ्ट ई-कॉमर्स पॉलिसी में कहा गया है कि ई-कॉमर्स सेक्टर के लिए आकलन प्रक्रियाओं को लागू किया जाएगा ताकि यह देखा जा सके कि ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बेचे जाने वाले सामान और सेवाएं आवश्यक स्टैंडर्ड और टेक्निकल रेगुलेशंस को कर रहे हैं या नहीं.

इस पॉलिसी पर अभी विचार हो रहा है. इसमें यह भी कहा गया है कि जो गतिविधियां ऑनलाइन प्लेटफॉर्म इकाइयां नहीं कर सकती हैं, उन्हें उनके सहयोगी या संबंधित इकाइयां भी नहीं कर पाएंगे.

इसमें कहा गया है कि सरकार समय-समय पर एसोसिएट्स और रिलेटेड पार्टीज की परिभाषा में आने वाली पार्टियों को नोटिफाई कर सकती है.

ड्राफ्ट में कहा गया है, “एकरूपता आकलन प्रक्रियाओं को इस वजह से लाया जाएगा ताकि यह वेरिफाई किया जा सके कि ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म्स (E-Commerce platforms) पर बिकने वाले सामान और सर्विसेज स्टैंडर्ड्स और टेक्निकल रेगुलेशंस को पूरा कर रही हैं या नहीं.”

ये प्रक्रियाएं गुड्स और सर्विसेज की टेस्टिंग, वेरिफिकेशन और सर्टिफिकेशन समेत दूसरी चीजों से जुड़ी हुई हैं.

इसमें ये भी कहा गया है कि लंबे वक्त में इस तरह की कोशिश की जाएगी कि जीईएम (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेट) को एक ऐसे मार्केटप्लेस में बदला जा सके जहां सामान्य कंज्यूमर्स खरीदारी कर सकें और भारतीय अर्थव्यवस्था की क्षमता को बढ़ाया जा सके.

मौजूदा वक्त में केवल सरकारी विभाग और एजेंसियां ही जीईएम पोर्टल से सामान और सेवाएं ले सकते हैं. ड्राफ्ट पॉलिसी (Draft E-Commerce Policy) के मुताबिक, मार्केटप्लेस या हाइब्रिड मोड में काम करने वाले ई-कॉमर्स ऑपरेटर को अपने प्लेटफॉर्म पर मौजूद सेलर्स के साथ निष्पक्ष संबंध रखने होंगे और वे सेलर्स के साथ पक्षपात का व्यवहार नहीं कर सकेंगे.

इस पॉलिसी में ई-कॉमर्स (E-Commerce), कोड ऑफ कंडक्ट, अनुकूल माहौल तैयार करने, निर्यात बढ़ाने, मॉनिटरिंग, इस सेक्टर में रेगुलेटरी चुनौतियों, डेटा की हैंडलिंग, कंज्यूमर्स के पास जानकारी भरे चुनाव और उचित प्रतिस्पर्धा जैसे मसलों पर बात की गई है.

पिछले हफ्ते डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) के अफसरों की अगुवाई वाली एक अंतर-मंत्रालयी मीटिंग में इस ड्राफ्ट पर चर्चा की गई थी.

Draft E-Commerce Policy: ड्राफ्ट में ई-कॉमर्स को बिक्री, मार्केटिंग, सामानों के वितरण या सेवाओं के प्रावधान की ऐसी कारोबारी गतिविधि के तौर पर परिभाषित किया गया है जो कि इंटरनेट या अन्य इंफॉर्मेशन नेटवर्क्स के जरिए चलाई जाती हैं. यह पॉलिसी विदेशी और घरेलू निवेश दोनों पर बराबर तरीके से लागू होगी.

Published - March 15, 2021, 07:14 IST