डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूट (Development finance Institute) को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है. बजट 2021 में इसे लेकर ऐलान किया गया था. जानकारों का मानना है कि सरकार के इस कदम से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा. क्योंकि, इससे कैपिटल फ्लो बढ़ेगा और कैपिटल मार्केट एक्टिव होंगे. लंबे समय में भी इससे वित्तीय सुधार होगा. निर्माण और आवास परियोजनाओं के लिए DFI से लोन की उपलब्धता बढ़ाने में भी मदद मिलेगी. लेकिन, सवाल यह है कि डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूट आखिर है क्या? और यह कैसे काम करेगा?
क्या है DFI?
डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूट (Development financial Institute) या विकास वित्तीय संस्थान आम तौर पर विकासशील देशों में डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स की फंडिंग के लिए बनाए जाते हैं. इन बैंकों को पूंजी राष्ट्रीय या अंतराष्ट्रीय विकास निधि से मिलती है. इससे अलग-अलग विकास योजना में कंपटीटिव रेट पर धन मुहैया कराया जाता है.
फाइनेंस से जुड़ी जरूरतें होंगी पूरी
साल 2017 में RBI ने यह बताया था कि इस तरह के फाइनेंशियल बैंक से भारत की तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था को लंबी अवधि में फाइनेंस से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी. इतना ही नहीं लंबे समय में फंडिंग गैप को भी कम किया जा सकेगा. मतलब डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूट के आने से देश की सामाजिक, सांस्कृतिक, क्षेत्रीय, ग्रामीण और पर्यावरणीय चिंताओं को हल करने में आसानी होगी.
केंद्र सरकार ने देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूट (Development financial Institute) बनाने का ऐलान किया है. बजट में इसको लेकर किए गए ऐलान के बाद आज इसे कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है. सरकार के इस कदम को काफी सकारात्मक माना जा रहा है. क्योंकि, बैंकों के पास आवासीय परियोजनाएं और इस तरह की दूसरी परियोजनाओं को फंड देने के लिए लॉन्गटर्म कैपिटल नहीं होती है.
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खास सेक्टर्स पर रहता है फोकस
डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूट (Development financial Institute) कुछ खास सेक्टर्स की परियोजनाओं को फाइनेंस करने पर फोकस रहते हैं. बैंक लंबे समय के लिए बनाई गई परियोजनाओं को लोन मुहैया नहीं करा सकता है, क्योंकि इससे उनकी लोन क्षमता कम हो जाती है.