बैंकों के नाम पर झूठे ऑफ़र्स, झूठे विज्ञापन और उनके फर्जी कॉल सेंटर के ज़रिए धोखाधड़ी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. सोशल मीडिया और सर्च इंजन्स पर ऐसे पोस्ट और नंबर्स की भरमार है जिनके झांसे में आकर लोग अक्सर अपनी गाढ़ी कमाई गंवा बैठते हैं. दूरसंचार विभाग (DoT), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) और बैंकों ने अब इन मामलों पर तेज़ी से कार्रवाई करनी शुरू कर दी है. सरकार ने इसे रोकने के लिए तीन महीने पहले बैंकों के साथ प्रक्रिया शुरू की है. इसमें बैंक नकली ऑफ़र में शामिल कुछ संदिग्ध नंबर देते हैं, फिर इन पर ASTR (AI and facial recognition for telecom SIM subscriber verification) के ज़रिए यह पता लगाया जाता है कि एक ही आईडी से कितने नंबर जुड़े हैं.
कैसे होती है कार्रवाई?
मौजूदा प्रक्रिया में बैंक सोशल मीडिया पर झूठे पोस्ट और सोशल मीडिया पर बैंक से जुड़े किसी भी फर्जी कॉल सेंटर नंबर से जुड़े पैटर्न का पता लगाने के लिए सॉफ्टवेयर के ज़रिए वेब स्वीपिंग करते हैं यानि उन पोस्ट को हटा दिया जाता है. इसके बाद बैंक DoT के साथ नकली नंबर और MeitY के साथ विज्ञापन के लिंक साझा करते हैं. फिर इन इनपुट के आधार पर DoT सत्यापन के बाद ऐसे नंबरों को ब्लॉक कर देता है. इसी तरह, MeitY सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए सोशल मीडिया ग्रुप्स के उन URL को ब्लॉक कर देता है, जिनमें फर्जी ऑफर पोस्ट किए जाते हैं. इस प्रक्रिया से पिछले तीन महीनों में 70,000 से ज्यादा फर्जी नंबरों को ब्लॉक किया जा चुका है. सरकार इन मुद्दों से निपटने के लिए मेटा और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफार्मों के साथ भी बातचीत कर रही है. उम्मीद की जा रही है कि कंपनियों की ओर से इस दिशा में जल्द ही कुछ समाधान निकाला जाएगा.
कैसे हो रही धोखाधड़ी?
हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ-साथ गूगल सर्च पर फर्जी कॉल सेंटर नंबरों में बढ़ोतरी हुई है जो लोगों को ठगते हैं. वहीं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और व्हाट्सएप पर फर्जी जॉब ऑफर में भी इज़ाफ़ा हुआ है. PWC की हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सभी धोखाधड़ी की घटनाओं में से आधे से ज्यादा किसी न किसी प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए की गईं थी. इसका मतलब है कि इनमें सोशल मीडिया, ई-कॉमर्स, एंटरप्राइज़ या फिनटेक प्लेटफ़ॉर्म जैसे ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म की मदद ली गई थी.
कितने लोग बने शिकार?
कम्युनिटी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोकल सर्कल्स के एक सर्वे के अनुसार, लगभग 39 फीसदी परिवारों के साथ पिछले तीन सालों में किसी न किसी तरह की वित्तीय धोखाधड़ी हुई है. 33,000 परिवारों को लेकर ये सर्वे किया गया था. इसमें 23 फीसदी ने कहा कि उनके साथ क्रेडिट या डेबिट कार्ड से ज़रिए धोखाधड़ी हुई है जबकि 13 फीसदी के साथ ऑनलाइन साइट्स पर कोई सामान खरीदते या बेचते समय धोखाधड़ी हुई है.