Cyber fraud: कोरोना काल में लोग ऑनलाइन ट्रांजेक्शन ज्यादा कर रहे हैं. इसके चलते Cyber Fraud के मामले भी काफी बढ़ गए हैं. इन फ्रॉड से लोग परेशान हैं. वहीं बैंकों के पास भी लगातार शिकायतें पहुंच रही हैं. इससे बैंकों की बेचैनी भी बढ़ गई है. बैंक अपने ग्राहकों को लगातार मैसेज और अन्य प्लैटफॉर्म की मदद से अवगत कर रहे हैं. आपको भी इन बातों को गंभीरता से लेने की जरूरत है. अगर बैंकों द्वारा बताई जा रही इन कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो आप Cyber Fraud से बच सकते हैं.
अगर आपको कहीं से फोन आता है और वे खुद को बैंक के फाइनेंस डिपार्टमेंट या किसी अन्य डिपार्टमेंट से बताते हैं तो सावधान होने की जरूरत है. ये लोग आपको लोन दिलाने का झांसा देते हैं. बातचीत के दौरान कई तरह की जानकारी मांगी जाती है, लेकिन ये सात जानकारी किसी से शेयर नहीं करनी है. अगर ऐसा करेंगे तो आपका बैंक अकाउंट खाली हो सकता है. सबसे महत्वपूर्ण जानकारी PAN कार्ड डिटेल्स है. अपना पैन नंबर किसी से शेयर नहीं करना है.
इसके अलावा इंटरनेट बैंकिंग क्रेडेंशियल्स, रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर, यूपीआई पासवर्ड, एटीएम कार्ड नंबर, एटीएम पासवर्ड और यूपीआई VPA जैसी जानकारी किसी भी सूरत में शेयर नहीं करनी है. बैंकों के बार-बार निर्देश के बावजूद अगर ये गलती करते हैं तो फिर नुकसान के लिए तैयार रहने की जरूरत है. जब बैंक से संबंधित किसी तरह की बातचीत फोन पर होती है तो क्या बोलना है, क्या नहीं बोलना है और क्या जानकारी शेयर करना है और नहीं करना है इसकी समझ जरूरी है.
ATM फ्रॉड के बढ़ते हुए मामले को देखते हुए केंद्र सरकार नें बैंकों से कहा है कि ATM की सुरक्षा को लेकर वे अपने मानकों को और दुरुस्त करें. मैन इन द मिडिल (MiTM) एटीएम फ्रॉड का अडवांस तरीका है. इसमें एटीएम मशीन को जब कैश निकासी का रिक्वेस्ट मिलता है तो उस मैसेज को इंटरसेप्ट कर लिया जाता है. ट्रांजैक्शन को लेकर मैसेज में बदलाव कर वह अनअप्रूव्ड ट्रांजैक्शन को अप्रूव कर लेता है. आसान शब्दों में ट्रांजैक्शन को लेकर जिस मैसेज को डिक्लाइन कर दिया जाता है उसमें वह बदलाव कर ट्रांजैक्शन करता है. ऐसे ट्रांजैक्शन में अकाउंट से डेबिट नहीं होता है क्योंकि आधिकारिक रूप से इसे अप्रूवल नहीं मिली होती है.