नेचुरल गैस के दाम 40% बढ़ने के बाद CNG-PNG के दाम बढ़ने की आशंका बढ़ी

पिछले साल अक्टूबर की शुरुआत में एक किलो CNG के लिए 48 रुपए से कम कीमत चुकानी पड़ती थी. अब भाव 75 रुपए के ऊपर है.

नेचुरल गैस के दाम 40% बढ़ने के बाद CNG-PNG के दाम बढ़ने की आशंका बढ़ी

दिल्ली के रहने वाले महेंद्र कुमार को एक साल पहले CNG गाड़ी खरीदने के फैसले पर पछतावा हो रहा है. सालभर में CNG की कीमतों में 50 फीसद से ज्यादा का उछाल आ चुका है और कीमतें और महंगी होने की आशंका फिर से बढ़ गई है. सरकार ने 30 सितंबर को अक्टूबर से मार्च के लिए नेचुरल गैस का नया भाव तय किया है जो पुराने भाव से 40 फीसद ज्यादा है. पिछले साल यानी अप्रैल से सितंबर 2021 के लिए तय हुए नेचुरल गैस के भाव से तुलना की जाए तो कीमतें 377% ज्यादा हो गई हैं. इस दौरान CNG की कीमतों में हुई बढ़ोतरी को देखें तो भाव में जोरदार उछाल आया है.

पिछले साल अक्टूबर की शुरुआत में एक किलो CNG के लिए 48 रुपए से कम कीमत चुकानी पड़ती थी. अब भाव 75 रुपए के ऊपर है और अब नेचुरल गैस के दाम में हुई 40 फीसद बढ़ोतरी के बाद CNG और महंगी होने की आशंका बढ़ गई है. इसी आशंका की वजह से देवेंद्र को CNG गाड़ी खरीदने के अपने फैसले पर पछतावा हो रहा है क्योंकि इससे पेट्रोल की तुलना करें तो एक साल पहले के मुकाबले दाम बढ़ने के बजाय घटे हैं. सालभर में PNG की कीमतों में भी CNG की तरह ही बढ़ोतरी हुई है.

ऊपर से नेचुरल गैस के महंगा होने से PNG का रेट और भी ज्यादा बढ़ने की आशंका है लेकिन यह दर्द सिर्फ PNG और CNG तक ही सीमत नहीं रहने वाला फर्टिलाइजर और बिजली की महंगाई बनकर यह उन लोगों की जेब भी खाली करेगा जो CNG और PNG इस्तेमाल नहीं करते. देश में जितनी नेचुरल गैस की खपत होती है उसका लगभग एक-तिहाई हिस्सा रिफाइनरी और पेट्रो कैमिकल इंडस्ट्री अपने लिए खर्च करती है. लगभग उतनी ही खपत फर्टिलाइजर उद्योग भी करता है. इसके अलावा करीब 8 फीसद खपत बिजली बनाने में होती है और बाकी खपत अन्य उद्योगों में होती है. नेचुरल गैस के महंगा होने से इन सभी उद्योगों की लागत बढ़ेगी. जिसे अंत में उपभोक्ताओं की जेब से ही वसूला जाएगा.

देश में जितनी नेचुरल गैस की खपत होती है. उसका लगभग आधा हिस्सा आयात करना पड़ता है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में नेचुरल गैस के दाम बढ़ने तथा रुपए में आई कमजोरी की वजह से आयात महंगा पड़ रहा है. ऊपर से भारत को नेचुरल गैस की सप्लाई करने वाली रूस की कंपनी गैजप्रॉम ने मई के बाद से सप्लाई रोक रखी है. इसलिए भारत को अन्य देशों से उनके तय किए भाव पर ही गैस खरीदनी पड़ रही है. इस साल अक्टूबर और नवंबर में डिलिवर होने वाली नेचुरल गैस के लिए भारत ने जो कीमत चुकाई है. वह पिछले साल के मुकाबले दोगुनी है. इस वजह से भी नेचुरल गैस की वजह से महंगाई बढ़ने की आशंका है.

Published - October 4, 2022, 12:20 IST